झुंझुनूं-सूरजगढ़ : भारत की आजादी के गौरवपूर्ण इतिहास के ऐतिहासिक दिन अगस्त क्रांति दिवस पर आदर्श समाज समिति के तत्वाधान में आजादी की राह में जान कुर्बान करने वाले शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया।
आजादी के महासंग्राम, स्वतंत्रता के सशक्त शंखनाद ’भारत छोड़ो आंदोलन’ का आगाज काकोरी कांड के ठीक सत्रह साल बाद 9 अगस्त 1942 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर पूरे देश में एक साथ आरंभ हुआ। आज के ही दिन शांति के प्रचारक गांधी जी ने करो या मरो का नारा देकर देशवासियों से आजादी के आंदोलन में भाग लेने की अपील की थी।
आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया छोड़ो आंदोलन आजादी का अंतिम आंदोलन था। 8 अगस्त 1942 को बम्बई में कांग्रेस के अधिवेशन में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ। 9 अगस्त 1942 को मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में क्रांति का आगाज हुआ। महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, कस्तूरबा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, मौलाना अबुल कलाम आजाद व डॉ. राजेंद्र प्रसाद सहित तमाम बड़े नेताओं को अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया। इसके बाद आंदोलन की कमान अरूणा आसफ अली, जयप्रकाश नारायण, डॉ. राम मनोहर लोहिया, बीजू पटनायक, उषा मेहता आदि स्वतंत्रता सेनानियों ने संभाली। 22 फरवरी 1944 को कस्तूरबा गांधी का जेल में रहते हुए देहांत हो गया। भारत छोड़ो आंदोलन में हर वर्ग धर्म के लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।
गरीब मजदूर किसानों ने भी आंदोलन में भाग लिया। जो संगठन बढ़-चढ़कर राष्ट्रवाद और देशभक्ति की बातें कर रहे हैं, उन संगठनों ने आजादी के आंदोलन में भाग नहीं लिया। मुस्लिम लीग, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, हिंदू महासभा और डॉ. अंबेडकर व उनकी पार्टी ने आजादी के आंदोलन का विरोध किया। आजादी की अंतिम लड़ाई में हजारों लोग शहीद हो गये और लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया लेकिन आजादी मिलने तक यह आंदोलन जारी रहा। भारत की आजादी के लिए यातनाएं सहने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और आजादी की राहों में जान कुर्बान करने वाले शहीदों को हम नमन करते हैं।