जयपुर : लड़कियों से छेड़छाड़ की तो करिअर होगा बर्बाद:पुलिस भर्ती बोर्ड को भेजेगी मनचलों की लिस्ट, कैरेक्टर सर्टिफिकेट मांगा जाएगा; एक्सपट्‌र्स ने बताया-कैसे करेंगे शॉर्टलिस्ट

जयपुर : ‘जो मनचले लोग हैं, जो लड़कियों से साथ बद्तमीजी करते हैं, उनका इलाज करो। इनका नाम लिखो और आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड भेजो। मनचले लोग बहन-बेटियों के साथ छेड़छाड़ करते हैं, हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।’

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चीफ सैक्रेटरी, डीजी पुलिस और अधिकारियों को ये मौखिक आदेश सोमवार रात कानून व्यवस्था को लेकर हुई बैठक में दिए। सीएम गहलोत ने साफ कहा कि महिलाओं, लड़कियों और बच्चियों से छेड़छाड़ करने वालों को राजस्थान में अब सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। छेड़छाड़ करने वालों के कैरेक्टर सर्टिफिकेट में इसका उल्लेख ​किया जाएगा। ये युवा भर्ती परीक्षा में शामिल ही नहीं हो सकेंगे।

सीएम गहलोत के इन आदेशों ने देश में नई चर्चा छेड़ दी है। यदि ऐसा हो गया तो लड़कियों से छेड़छाड़ करने वालों को सरकारी नौकरी से वंचित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन जाएगा।

चूंकि अभी तक आदेश मौखिक है, ऐसे में लोगों के मन में कई सवाल हैं…

  • सरकार लाखों अभ्यर्थियों में से कैसे छेड़छाड़ करने वाले युवकों की पहचान कर उन्हें भर्ती परीक्षा से वंचित करेगी?
  • क्या भर्ती में अब कैरेक्टर सर्टिफिकेट अनिवार्य किया जाएगा?
  • क्या भर्ती बोर्ड अपने स्तर पर कैरेक्टर सर्टिफिकेट की व्यवस्था को लागू कर सकता है?
  • राज्य सरकार को सभी तरह की भर्ती परीक्षाओं में कैरेक्टर सर्टिफिकेट को अनिवार्य करने के लिए क्या करना होगा?

मीडिया ने आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष दीपक उप्रेती, पूर्व सचिव केके शर्मा, सदस्य शिव सिंह राठौड़ से बात कर इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश की।

पढ़िए रिपोर्ट…

सरकार को आखिर भर्तियों में कैरेक्टर सर्टिफिकेट अनिवार्य करने की जरूरत क्यों पड़ रही है?

एक्सपर्ट कमेंट : मुख्यमंत्री गहलोत के इस कदम से महिलाओं के खिलाफ कोई भी गलत हरकत करने वाले या उसमें इन्वॉल्व होने वाले युवाओं में भर्ती परीक्षा में नहीं बैठ पाने का डर पैदा होगा। महिलाओं में भी सुरक्षा की भावना पैदा होगी। पुलिस का भी मानना है कि ऐसे ही आवारा युवा बाद में भर्ती परीक्षा में चयन के लिए नकल या पेपर लीक में शामिल हो जाते हैं। राज्य सरकार चाहती है कि अपने भविष्य की चिंता को लेकर गंभीरता से पढ़ने-लिखने वाले साफ-सुथरे चरित्र वाले युवाओं को भर्ती परीक्षाओं में बैठने का उचित माहौल मिले।

अभी भर्ती परीक्षाओं में इस सर्टिफिकेट को लेकर क्या प्रक्रिया है? क्या सभी परीक्षाओं में इसकी जरूरत पड़ती है?

एक्सपर्ट कमेंट : राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) हो या कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB) दोनों ही की ओर से आयोजित किसी भी भर्ती परीक्षा के आवेदन के समय किसी भी कैंडिडेट से कैरेक्टर सर्टिफिकेट नहीं मांगा जाता। भर्ती के लिए जरूरी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता रखने वाला कोई भी कैंडिडेट संबंधित परीक्षा में बैठ सकता है।

आयोग और बोर्ड के पूर्व अध्यक्षों और सदस्यों के अनुसार अभी तक चल रही व्यवस्थाओं की बात करें तो एग्जाम में सफल होने के बाद आयोग और बोर्ड कैंडिडेट को संबंधित विभाग में काम करने के लिए योग्य मानकर उन्हें रिकमेंड कर देते हैं। संबंधित विभाग उस कैंडिडेट का कैरेक्टर वेरिफिकेशन करता है।

कैंडिडेट्स का वेरिफिकेशन कैसे होता है?

एक्सपर्ट कमेंट : एक्सपट्‌र्स का कहना है कि आरपीएससी या बोर्ड के पास अपने इतना स्टाफ ही नहीं है कि सभी कैंडिडेट्स का वेरिफिकेशन करे। ऐसे में ये काम सरकार के पास है। ऐसे में पुलिस ही ऐसी संस्था है जो कैरेक्टर वेरिफिकेशन कर सकती है। कैरेक्टर वेरिफिकेशन को लेकर अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं के लिए विभागों की अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं। विभाग पता करता है कि कैंडिडेट के खिलाफ पुलिस में कोई मुकदमा दर्ज तो नहीं है? कोई कोर्ट केस में वह अपराधी तो घोषित नहीं हुआ?

सीएम गहलोत ने ग्रामीण और शहरी ओलिंपिक के उद्घाटन कार्यक्रम के बाद मनचलों का इलाज करने की बात कही थी।
सीएम गहलोत ने ग्रामीण और शहरी ओलिंपिक के उद्घाटन कार्यक्रम के बाद मनचलों का इलाज करने की बात कही थी।

आरएएस जैसी बड़ी भर्ती परीक्षाओं में कैसे होता है कैंडिडेट्स का वेरिफिकेशन?

एक्सपर्ट कमेंट : RAS भर्ती परीक्षा में सफल कैंडिडेट्स की सूची सरकार को भेज दी जाती है। सरकार संबंधित थाना पुलिस से संबंधित कैंडिडेट्स के चरित्र के बारे में पड़ताल करवाती है। सबसे पहले पुलिस संबंधित कैंडिडेट को लेकर अपने थाने में ही पता करती है कि किसी तरह का कोई मामला दर्ज तो नहीं है या कोर्ट में दोषी तो नहीं पाया गया है? कैंडिडेट के खिलाफ थाने में कभी कोई शिकायत तो नहीं मिली है? इसके बाद पुलिस कैंडिडेट के घर तक जाती है। जरूरत पड़ने पर आस-पड़ोस से भी चर्चा करती है। इसके बाद पुलिस संबंधित कैंडिडेट के बारे में संबंधित विभाग को सूचना देती है कि उसका चाल-चलन उचित है या अनुचित।

क्या भर्ती बोर्ड अपने स्तर पर कैरेक्टर सर्टिफिकेट की व्यवस्था को लागू कर सकता है?

एक्सपर्ट कमेंट : आरपीएससी हो या कर्मचारी चयन बोर्ड…ये संवैधानिक संस्थाएं हैं। नियम-अधिकार बने हुए हैं और इन्हीं के आधार पर ये आयोग और बोर्ड काम करते हैं। सभी भर्तियों के भर्ती नियम होते हैं। उन्हीं नियमों के आधार पर भर्तियां होती हैं। यदि सरकार द्वारा इन नियमों में चेंज कर दिया जाए तो किसी भी भर्ती बोर्ड को उन्हें मानना होगा, लेकिन रूल्स में चेंज करने के लिए सरकार को भी एक प्रक्रिया अपनानी होगी।

राज्य सरकार को सभी तरह की भर्ती परीक्षाओं में कैरेक्टर सर्टिफिकेट को अनिवार्य करने के लिए क्या करना होगा?

एक्सपर्ट कमेंट : राज्य सरकार भर्ती नियमों में चेंज करना चाहती है तो अपने बनाए नियम आरपीएससी या कर्मचारी चयन बोर्ड से अप्रूव करवाने होंगे। सरकार चाहे तो आरपीएससी और बोर्ड दोनों से ही नियम बनवाकर मंगवा सकती है। इसके बाद, मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर सभी कैबिनेट मंत्रियों के सामने नियमों को अनुमोदित (अप्रूव) करवा सकते हैं। कैबिनेट से अप्रवूल के बाद सरकार नोटिफिकेशन जारी कर सकती है। नोटिफिकेशन जारी होते ही कैरेक्टर सर्टिफिकेट का नियम सभी भर्ती परीक्षाओं पर लागू हो जाएगा।

सीएम अशोक गहलोत ने मंगलवार देर रात कानून व्यवस्था की बैठक में अफसरों के साथ मीटिंग में मनचलों के खिलाफ एक्शन के आदेश दिए।
सीएम अशोक गहलोत ने मंगलवार देर रात कानून व्यवस्था की बैठक में अफसरों के साथ मीटिंग में मनचलों के खिलाफ एक्शन के आदेश दिए।

किसी सरकार ने कभी कैरेक्टर सर्टिफिकेट लेने की व्यवस्था को रोक दिया तो…

एक्सपर्ट कमेंट : कोई भी सरकार हो यदि वह लॉजिकल चेंजेज करती है तो सभी को मान्य होते हैं। महिलाओं से छेड़छाड़ करने वालों को समाज कंटक के रूप में देखा जाता है। ऐसे समाज कंटकों को सरकारी नौकरी पाने से रोका जाता रहा है तो शायद ही कोई सरकार या पार्टी होगी, जो इसका विरोध करेगी।

अभी किस तरह के लोगों को भर्ती परीक्षाओं में शामिल होने से रोका (डी-बार) जाता है?

एक्सपर्ट कमेंट : दागी कैंडिडेट्स को डी-बार करने के बाकायदा नियम-कायदे होते हैं। आरपीएससी और कर्मचारी चयन आयोग तय गाइडलाइन के आधार पर कैंडिटेड्स को डी-बार करते हैं। जो नकल करते हुए पकड़े जाते हैं। पेपर लीक में शामिल होते हैं और अन्य तरह के अनुचित संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें बतौर सजा किसी भी सरकारी नौकरी की भर्ती परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया जाता है, मतलब डी-बार कर दिया जाता है। यदि आयोग ने डी-बार कर दिया तो ऐसा नहीं है कि वह व्यक्ति कर्मचारी चयन बोर्ड की परीक्षा में बैठ सकता है या बोर्ड ने डीबार किया तो आरपीएससी की परीक्षा दे सकता है। ऐसा व्यक्ति सरकार की किसी परीक्षा में शामिल नहीं हो सकता।

मुख्यमंत्री के फैसले के बाद मनचलों को रोकने के लिए क्या-क्या और नियम बनाए जा सकते हैं?

एक्सपर्ट कमेंट : आयोग और बोर्ड के स्तर पर ऐसी जिम्मेदारी दी जाएगी तो काम बहुत बढ़ जाएगा। भर्ती प्रक्रियाओं की भी स्पीड घटेगी। कुछ आवारा किस्म के युवाओं के लिए लाखों कैंडिडेट्स परेशान न हों, इसकी व्यवस्था करनी होगी। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही सरकार को मनचलों को रोकने के नियम बनाने चाहिए।

आवेदन के समय ही कैरेक्टर सर्टिफिकेट लेने के अलावा भी राज्य सरकार के पास कुछ रास्ते हैं। मनचलों को रोकने के लिए ज्यादा जटिल नियम व प्रक्रियाएं अपनाने के बजाय इसे आसान बनाना होगा।

राज्य सरकार भर्ती नियमों में चेंज करना चाहती है तो अपने बनाए नियम आरपीएससी या कर्मचारी चयन बोर्ड से अप्रूव करवाने होंगे। सरकार चाहे तो आरपीएससी और बोर्ड दोनों से ही नियम बनवाकर मंगवा सकती है।
राज्य सरकार भर्ती नियमों में चेंज करना चाहती है तो अपने बनाए नियम आरपीएससी या कर्मचारी चयन बोर्ड से अप्रूव करवाने होंगे। सरकार चाहे तो आरपीएससी और बोर्ड दोनों से ही नियम बनवाकर मंगवा सकती है।

छेड़छाड़ करने वालों को परीक्षा में बैठने से रोकने के क्या उपाय हो सकते हैं?

1. पुलिस मनचलों को पकड़ते ही आयोग या बोर्ड को सूचना भेज दे। 40 साल तक के पढ़े लिखे युवाओं के बारे में जानकारी भेजी जा सकती है।

2. महिलाओं से छेड़छाड़ के मामले में कोर्ट से दोषी पाए जाने वाले युवा की डिटेल भी बोर्ड या आयोग में भेजी जाए।

3. आवेदन के समय कैंडिडेट्स से सेल्फ डिक्लेरेशन ले ले, फिर पुलिस वेरिफिकेशन में पकड़े जाने पर डी-बार कर दिया जाए।

4. आजकल सब कुछ कंप्यूटराइज्ड है। मनचलों का भी संस्थाओं में रिकॉर्ड रखा जा सकता है। आवेदन के बाद कम्प्यूटर में ही नाम, पिता का नाम, मोबाइल नंबर, पते आदि के जरिए गलत आवेदक को बाहर किया जा सकता है।

गहलोत सरकार को इस क्या पॉलिटिकल फायदे या नुकसान होंगे?

एक्सपर्ट कमेंट : महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को बीजेपी ने चुनावी साल में मुद्दा बना रखा है। राजस्थान महिला अपराधों के मामले में टॉप राज्यों में आता है। मनचलों को लेकर इस बड़े फैसले की प्रदेशभर में चर्चा हो रही है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मनचलों को सरकारी नौकरियों से दूर रखने की मंशा नेक है। इधर, भाजपा भी इस निर्णय को लेकर कोई विरोध नहीं कर पा रही है। जनता में भी पॉजिटिव मैसेज जा रहा है। समर्थन भी मिल रहा है।

राज्य सरकार ने इस फैसले से अपने दाग धोने का काम किया है। ये चुनावी मुद्दा भी बन सकता है। कांग्रेस को इस फैसले से महिलाओं का समर्थन मिलने की उम्मीद है। सीएम अशोक गहलोत महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में सख्त एक्शन लेने वाली सरकार की छवि बनाना चाहते हैं। छेड़छाड़ करने वालों को सरकारी नौकरी से अयोग्य घोषित करने का प्रावधान भी इसी छवि की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या भर्ती परीक्षाओं में कैरेक्टर सर्टिफिकेट की अनिवार्यता से पुलिस का रोल और बढ़ जाएगा?

एक्सपर्ट कमेंट : लाखों आवेदनों के बीच सफल कैंडिडेट्स की छंटनी होने के बाद विभाग के कहने पर पुलिस वेरिफिकेशन होता है। इससे संख्या काफी कम हो जाती है। यदि आवेदन के समय ही यदि पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जाएगा तो निश्चित तौर पर ही पुलिस का काम बढ़ जाएगा। कुछ एक्सपट्‌र्स का मानना है कि चयन होने के बाद ही पुलिस से रिपोर्ट मांगी जाए तो प्रक्रिया में आसानी रहेगी। उनका तर्क है कि जब तक कोर्ट फैसला न कर दे तब तक किसी कैंडिडेट को दोषी कैसे माना जा सकता है। कई बार पुलिस जांच के बाद भी कोर्ट आरोपियों को बाइज्जत बरी कर देता है। राज्य सरकार को सभी के हित को देखते हुए कोई न्याय संगत सोच रखनी होगी।

क्या देश में कोई और प्रदेश हैं, जहां भर्तियों में कैरेक्टर सर्टिफिकेट अनिवार्य है?

एक्सपर्ट कमेंट : पहली बार किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने महिलाओं और लड़कियों से छेड़छाड़ करने वालों को सरकारी नौकरी से वंचित करने का मामला उठाया है। अन्य प्रदेशों में देखा जाए तो आवेदन के साथ कैरेक्टर सार्टिफिकेट या सेल्फ सर्टिफिकेशन की बाध्यता तो कहीं भी नहीं है। राजस्थान छेड़छाड़ करने वाले युवकों को नौकरी से वंचित करने वाला पहला राज्य होगा।

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