खेतड़ी : खेतड़ी को नीमकाथाना जिले में शामिल करने पर अब यहां के लोगों में आक्रोश पनपने लगा है। मंगलवार को ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर खेतड़ी को जिला बनाने के लिए एसडीएम को ज्ञापन सौंपा।
एसडीएम जय सिंह चौधरी को ग्रामीणों की ओर से दिए ज्ञापन में बताया गया कि रियासत कालीन समय में खेतड़ी प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी रियासत हुआ करती थी। स्वामी विवेकानंद और राजा अजीत सिंह के रिश्ते ने पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई गई थी। एक समय में कोटपूतली भी खेतड़ी रियासत के अधीन हुआ करता था। आज राज्य सरकार ने खेतड़ी की अनदेखी कर कोटपूतली व नीमकाथाना को जिला बना कर क्षेत्र के लोगों के साथ विश्वासघात किया है।
स्वतंत्रता से पूर्व राजस्थान प्रांत के गठन तक जयपुर के बाद खेतड़ी दूसरी बड़ी रियासत हुआ करती थी, जिसमें 555 गांव आते थे और रियासत की सीमा अलवर, जयपुर, बीकानेर, चूरू तक हुआ करती थी। राजपूताना की अन्य 18 रियासतों को जिला व संभागों का दर्जा दे दिया गया, लेकिन खेतड़ी को जिला बनाने का हक नहीं देने से क्षेत्र की जनता के साथ धोखा किया गया है। खेतड़ी जिला बनने के सभी मापदंड पूरे करने के बावजूद भी खेतड़ी के साथ अनदेखी की जा रही है। खेतड़ी को जिला बनाने की मांग को लेकर ग्रामीणों की ओर से पिछले दो माह से धरना प्रदर्शन कर आंदोलन कर सरकार को जगाने का काम भी किया गया था, लेकिन सरकार ने खेतड़ी क्षेत्र की जनता की भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए नीमकाथाना को जिला घोषित कर दिया।
इस दौरान ग्रामीणों ने खेतड़ी को भौगोलिक दृष्टि से देखते हुए जिला बनाने की मांग की है। इस मौके पर धर्मेंद्र सिंह तोमर, दिनेश कुमार सोनगरा, गोपाल राम सैनी, जुगल किशोर, पवन शर्मा, वेद प्रकाश, सुरेश सैनी, श्यामसुंदर, अजय, मोहन सिंह, मोतीलाल, सुभाष और डॉ सोमदत्त भगत सहित अनेक ग्रामीण मौजूद थे।