कारगिल विजय दिवस : नारा-ए-तकबीर पर भ्रमित हुई थी पाक सेना, पांच हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर फहराया तिरंगा

कारगिल विजय दिवस : कारगिल में साढ़े पांच हजार फीट ऊंची बर्फीली जुबैर हिल पर कब्जा जमाए बैठी पाकिस्तानी फौज से मुकाबला कर चोटी पर तिरंगा फहराने वाले भिंड निवासी 22 ग्रेनेडियर से सेवानिवृत्त कैप्टन बादशाह खान के मन-मस्तिष्क में कारगिल युद्ध की यादें अब भी ताजा हैं। युद्ध में सैनिकों के बलिदान को याद कर उनकी आंखें डबडबा जाती हैं। वह कहते हैं कि हमारे सैनिकों की दिलेरी देख पाकिस्तानियों के दांत खट्टे हो गए थे।

सेवानिवृत्त कैप्टन बादशाह खान बताते है कि जुबैर हिल पोस्ट जीतने में 22 ग्रेनेडियर के 18 जवान बलिदान हुए।

बादशाह खान बताते हैं कि 22 जुलाई 1999 को तत्कालीन लेफ्टिनेंट कर्नल अजीत सिंह के नेतृत्व में चार्ली एचएम सी कंपनी को 5.5 जुबैर हिल पोस्ट पर कब्जा करने का लक्ष्य मिला। हम लोगों ने शाम पांच बजे से चढ़ाई शुरू की। पाकिस्तानी सेना चोटी से स्नाइपर के जरिये गोलीबारी कर रही थी। इस गोलीबारी के बीच 22 ग्रेनेडियर के जवान एलएमजी और दूसरे हथियारों से जवाब देते हुए आगे बढ़ते रहे। इसी दौरान पाकिस्तान की ओर से आर्टिलरी फायर आया। तभी लेफ्टिनेंट कर्नल अजीत सिंह ने नारा दिया ‘नारा-ए-तकबीर”, साथी जवानों ने जवाब में जोर से कहा ‘अल्लाहु-अकबर”। कुछ पल के लिए इस नारे से पाकिस्तानी सैनिक भ्रमित हो गए। उन्हें लगा कि उनके साथी (उनकी बैकअप टीम) आ रहे हैं। बस इतना मौका भारतीय जवानों को संभलने के लिए काफी रहा।

रिटायर्ड कैप्टन बादशाह खान

…..जब लेफ्टिनेंट कर्नल ने दो गोलियां जेब में रख ली

जुबैर हिल पोस्ट जीतने में 22 ग्रेनेडियर के 18 जवान बलिदान हुए। कई जवान घायल हुए। एक क्षण ऐसा भी आया जब गोला-बारूद खत्म हो रहा था, तब लेफ्टिनेंट कर्नल अजीत सिंह ने राइफल की मैग्जीन से दो गोलियां निकालकर जेब में रख ली थीं, ताकि दुश्मन के हाथों पड़ने के बजाए यह गोलियां खुद के काम आएं। पाक सेना ने आत्मसर्मपण के लिए कहा, लेकिन लेफ्टिनेंट कर्नल अजीत सिंह ने चिल्लाकर जवाब दिया सरेंडर तुम करोगे, हमारे और 150 जवान आ गए हैं। इतना कहने के साथ कंपनी ने गोलीबारी तेज कर दी। पाक सेना को लगा कि वाकई में और भारतीय फौज आ रही है।

हैलिपैड पर कब्जा कर दुश्मन को कमजोर किया और पत्थरों से बना दी अस्थाई पोस्ट

बकौल बादशाह खान, पाक सेना ने जुबैर हिल पोस्ट पर हैलिपैड बनाया था। यहां पाकिस्तानी हेलिकाप्टर अपने जवानों को उतार रहे थे। पोस्ट पर पहुंचने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल अजीत सिंह के नेतृत्व में 22 ग्रेनेडियर ने हैलिपैड पर कब्जा कर लिया। पत्थर एकत्रित कर अस्थायी पोस्ट बना ली। इस दौरान मेहगांव (मध्य प्रदेश) निवासी लांस नायक शमशाद खान बलिदान हो गए। वह जब घायल होकर गिरे तब भी लड़ते रहे। हरियाणा निवासी नायक जाकिर हुसैन का एक हाथ बांह से अलग हो गया था, लेकिन वह एक हाथ से एलएमजी चलाकर दुश्मन को जवाब देते रहे। एलएमजी संभाले साथी रियासत अली भी बलिदान हो गए थे। बादशाह खान बताते हैं वे वर्ष 1983 में बतौर सिपाही ग्वालियर बीआरओ से भारतीय सेना में भर्ती हुए। बतौर हवलदार 22 ग्रेनेडियर में हैदराबाद के मेंहदीपट्नम में पदस्थ थे। हैदराबाद से जून 1999 में राजस्थान के रेतीले माहौल में ट्रेनिंग ले रहे थे। इसी दौरान 28 जून को राजस्थान से कारगिल के बटालिक एरिया के लिए रवाना हुए। यहां पहुंचकर 10 दिन बर्फीले माहौल में चोटियों पर चढ़ने, दुश्मन की चालों को समझने की ट्रेनिंग ली थी। 22 जुलाई को लेफ्टिनेंट कर्नल अजीत सिंह के नेतृत्व में चार्ली एचएमसी कंपनी को जुबैर हिल पोस्ट पर कब्जे का टारगेट मिला था।

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