झुंझुनूं : मणिपुर में महिलाओं पर बर्बरता के खिलाफ सोमवार को कलक्ट्रेट के सामने महिला अत्याचार विरोधी संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले धरना प्रदर्शन किया गया। प्रधानमंत्री का पुतला फूंक फर देश की बेटियों के साथ बर्बर अत्याचार बंद करो, मणिपुर के मुख्यमंत्री इस्तीफा दो, मणिपुर में तुरंत शांति बहाल करो, केन्द्र सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। एडवोकेट बजरंग लाल ने कहा कि हिंसा और महिलाओं के साथ बहसी दरिन्दगी के लिए केन्द्र की मोदी सरकार जिम्मेदार है।
मणिपुर की राज्यपाल ने केन्द्र सरकार व ग्रह मंत्रालय को मणिपुर की भयावह स्थिति के लिए बार बार अवगत करवा दिया था, लेकिन केन्द्र सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया और मणिपुर को जलते हुए तमाशा देखते रहे। प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर के बारे में एक शब्द भी जुबान से नहीं निकला। अब निकला है तो मणिपुर की बजाय राजस्थान और छत्तीसगढ़ में महिलाओं के अत्याचार नजर आते हैं, यह अव्वल दर्जे की धूर्तता है जो एक देश के प्रधानमंत्री के लिए शोभा नहीं देती।
महिला वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर जल रहा है, बहन बेटियां बर्बरता की हद पार हो रही है, इसके बाद भी देश के प्रधानामंत्री चुप्पी साधे बैठे हुए है।
इस दौराने पर 27 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी की सीकर में होने वाली सभा के प्रति विरोध प्रकट करते हुए किसान मजदूर छात्र नौजवान और महिलाओ को बहिष्कार करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
विरोध प्रदर्शन के बाद मणिपुर में शांति बहाली की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। सर्वहारा एकता मंच के महेश चोमाल, क्रान्तिकारी किसान यूनियन के करणीराम मझाऊ,तारा पुनिया, मधु खन्ना, शारदा ढाका, सुमित्रा शर्मा, भीम आर्मी के प्रदीप चंदेल, युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष रविन्द्र सिंह कड़वासरा, विक्रम दुलड एडवोकेट, महेंद्र बाबल, विक्रम स्वामी, ओपेन्दर डुडी, दीपक बाबल, शुभकरण महला, महताब सिंह चौधरी, सहदेव कस्वा, पितराम कालेर, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी लियाकत अली, कैप्टन मोहनलाल, बलबीर सिंह झाझड़िया, हरिसिंह रायल, रामेश्वर बांस नानक सहित अन्य लोग मौजूद रहे।