राजेंद्र गुढ़ा : इनकी लंगड़ी सरकार को हमने ताकत दी, राजेंद्र गुढ़ा बोले- ‘मुझे सच बोलने की सजा मिली, मैं अपने बयान पर अब भी कायम हूं’

राजेंद्र गुढ़ा : राजस्थान सरकार में सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को सीएम गहलोत ने शुक्रवार को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। गुढ़ा ने गुरुवार को राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध की हालिया घटनाओं पर अपनी ही सरकार की आलोचना की थी। विधानसभा में बोलते हुए गुढ़ा ने कहा कि यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि राज्य सरकार महिला सुरक्षा में विफल रही है। गुढ़ा ने कहा, ‘मणिपुर के बजाय हमें अपने अंदर झांकना चाहिए कि राजस्थान में महिलाओं पर अत्याचार क्यों बढ़े हैं।’

मीडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत में गुढ़ा ने कहा कि जब सरकार पर राजनीतिक संकट आया था, तब मैं मजबूती से सरकार को बचाने में लगा रहा लेकिन अब सीएम को मेरी जरूरत नहीं रही। मेरा ऐसा कोई बयान था ही नहीं कि इतनी बड़ी सजा मिले। उदयपुरवाटी की जनता ने मुझे चुन कर भेजा उन्हें यह विश्वास था कि हम वहां जाकर महिलाओं बुजुर्गों-बेरोजगारों के साथ अच्छे फैसले करेंगे और करवाएंगे।

मुझे बर्खास्त करने की जरूरत नहीं थी

मणिपुर के मुद्दे को लेकर जब बीजेपी वाले वेल में चले गए। तब मैंने इतना ही कहा था कि हम राजस्थान को महिला दुष्कर्म और उत्पीड़न में नंबर वन पर लेके आए तो हमें हमारी गिरेबान में झांक कर देख लेना चाहिए क्योंकि जनता को जवाब देना पड़ेगा। सरकार को इस पर काम करना चाहिए था। मुझे बर्खास्त करने की जरूरत नहीं थी।

सीएम को यह फैसला पहले करना चाहिए था- गुढ़ा

मैंने सीएम साहब को कभी नहीं कहा कि मुझे मंत्री बनाओ। इनकी लंगड़ी सरकार को हमने ताकत दी। 5 साल चलाया। 5 साल जब इनकी सरकार पूरी चल गई तब विधानसभा के आखिरी सत्र के आखिरी दिन अब उन्हें विधायकों और राजेंद्र गुड़ा की जरूरत नहीं है। यह फैसला करना था तो पहले करते, तो उन्हें पता चलती सारी चीजें।

मैंने तो मुख्यमंत्री को दो-दो बार विधायक दिए हैं। उनकी लंगड़ी सरकार बची हुई है तो, उसमें राजेंद्र गुढ़ा का रोल है। मैंने मुख्यमंत्री जी के लिए जो किया, यदि उनका हाथ छाती पर चला जाए और उनमें राम है तो वह जरूर सोचेंगे। वे मेरे खिलाफ पहले से भरे पड़े थे। लेकिन हम उस शेखावटी राव शेखा की भूमि से हैं, जिनकी तीन पीढ़ियों ने महिलाओं की सुरक्षा करते हुए अपनी जान दे दी थी।

मैं अपने बयान पर अब भी कायम हूं

जनता के प्रति हमारी जवाबदेही है। वह हम से सीधा पूछती है, कि हमने क्या किया? सबसे बड़ी पंचायत में बैठकर हम जहां फैसला लेते हैं, यदि वहां भी हम बोल भी नहीं पाए तो यह क्या है। मैं अब भी सौ फीसदी रूप से विधानसभा में दिए अपने बयान पर कायम हूं कि राजस्थान महिला अत्याचार में नंबर वन है। जिस पर हमें ईमानदारी से ध्यान देना चाहिए था, लेकिन सच बोलने की सजा मुझे मिली।

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