झुंझुनूं-खेतड़ी : खेतड़ी वन में विचरण करने वाले पक्षी काला तीतर को राजस्थान के झुंझुनूं जिले की आबोहवा खूब रास आ रही है। यहां पर्याप्त मात्रा में भोजन व आवास की सुविधा मिलने से इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। जिला पक्षी का दर्जा प्राप्त काले तीतर की संख्या बढ़कर 5000 से अधिक हो गई है। मादा एक बार में आठ से बारह अंडे देती है। उप वन संरक्षक आरके हुड्डा ने बताया कि काला तीतर बेहद शर्मिला पक्षी है। इसका सिर घुमावदार होता है और इसकी आंख की पुतली का रंग भूरा होता है। सिर का अगला भाग भूरा होता है और गला काले रंग का होता है। इसकी लंबाई 33 से 35 सेमी. होती है और वज़न लगभग 500 ग्राम होता है। इसका प्रमुख रंग काला होता है। यह थोड़ी दूरी तक ही उड़ता है और सीधा उड़ता है। अपनी उड़ान के दौरान यह पंख फड़फड़ाने के बजाय कभी-कभी पंख फैलाकर भी उड़ता है। इसके पंख गोलाई लिए हुए होते हैं और पूंछ पर सफ़ेद-काली धारियां होती हैं।
रहने के लिए झाड़ियां पसंदक्षेत्रीय वन अधिकारी विजय कुमार फगेड़िया ने बताया कि काला तीतर झाड़ीदार इलाकों में रहना पसन्द करता है और ऐसे खेतों में रहता है जहां फ़सल इतनी ऊंची हो कि उसे छुपने में आसानी हो। नीचे फ़सल इतनी खुली हो कि ख़तरा नज़र आते ही आसानी से भागा जा सके। यह घनी वनस्पति वाले इलाके में रहना पसन्द करता है जो कि पानी के नज़दीक हो।
गीत से रिझाता है नरप्राय: मार्च के आख़रि से मई तक यह ज़मीन की दरारों में अपना घोंसला बनाते हैं। नर चट्टानों पर या नीचे पेड़ों पर खड़ा होकर अपने अनूठे गीत से मादा को रिझाने की कोशिश करता है। पूरे अप्रेल में इसे सुना जा सकता है। मादा एक बार में 8 से 12 अण्डे देती है। अण्डे सेने की अवधि 18-19 दिन की होती है। माता-पिता दोनों ही चूज़ों की देखभाल करते हैं। बच्चे अपने माता-पिता के साथ पहली सर्दी ग़ुज़ारते हैं।
जीवनकाल छह वर्षजिला पक्षी काला तीतर झुंझुनूं जिले में लगभग सभी स्थानों पर पाया जाता है। इसका जीवनकाल लगभग 6 वर्ष है। यह समूह में रहते हैं तथा खेत खलिहान व जंगल में रहना पसंद करते हैं। इनका प्रमुख भोजन लार्वा, कीट, पतंगें, घास के बीज, फूल और पत्ती है।.