झुंझुनूं : देशी घी से भी महंगा हुआ जीरा, रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रहे भाव:जानें क्यों महंगा हुआ जीरा

झुंझुनूं : टमाटर के बाद अब जीरे के भाव भी रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रहे हैं। अमूमन तीन सौ से चार सौ रुपए किलो की दर से बिकने वाले जीरे के भाव चांद को छू रहे हैं। खुदरा में भाव सात सौ से आठ सौ रुपए में बिक रहे हैं। अगर सौ ग्राम का पैकैट लें तो यह नब्बे से सौ रुपए का मिल रहा है। यह भाव देसी घी से भी महंगा है। काजू व बादाम से भी जीरा महंगा हो गया है। गृहणियां अब छौंक में जीरे में सौंफ मिला रही हैं, वहीं कई जगह जीरे की जगह राई काम में ली जाने लगी है।

सबसे ज्यादा यहां होता जीरा
जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर और जोधपुर में सबसे ज्यादा जीरे का उत्पादन होता है। एक अनुमान के मुताबिक यहां सालाना करीब 5445 हजार करोड़ रुपये का जीरा संबंधित कारोबार होता है। राजस्थान की सबसे बड़ी जीरे की मंडी भी जोधपुर में है। इसके अलावा आधे से ज्यादा किसान जीरे की फसल बेचने गुजरात के ऊंझा में जाते हैं। ऊंझा से इस क्षेत्र की सबसे बड़ी मंडी माना जाता है। जालौर का जीरा तो अमरीका सहित विश्व के कई देशों में जाता है। कृषि विभाग के अनुसार राज्य में करीब पांच से छह लाख हैक्टेयर में जीरा बोया जाता है। इस बार जीरे का उत्पादन कम होने के कारण इसके भाव आसमान छू रहे हैं। मंडियों में जीरे की आवक बेहद कम हो गई है।

इनका कहना है

शेखावाटी के सीकर, चूरू झुंझुनूं जिलों में अधिकतर जीरा जोधपुर व गुजरात की ऊंझा मंडी से आता है। इस बार उत्पादन कम होने के कारण जीरा थोक में छह सौ रुपए किलो से ज्यादा के भाव में बिक रहा है। खुदरा में क्वालिटी के अनुसार सात सौ से आठ सौ रुपए किलो में बिक रहा है। हर माह महंगा होता जा रहा है।
मुकेश टेकड़ीवाल, व्यापारी

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