जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं/उदयपुर : जल हमारी धरती पर उपलब्ध अमूल्य संसाधनों में से एक है। बिना जल के धरती पर जीवन की कल्पना करना भी नामुमकिन है। जल धरती पर सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है और धरती पर आबादी निरंतर बढ़ती ही जा रही है।आने वाले समय में हमें जल की कमी का सामना ना करना पड़े इसीलिए हम सबको आज जल को बचाना है। जल संरक्षण एवं जल संचय जल की कमी हम देख रहे हैं कई शहरों में तो पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है धरती में भी पानी खत्म हो चुका है। ऐसी स्थिति में मात्र एक ही रास्ता है कि बरसात के पानी को शहरों में वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से धरती में डालना तथा गांव में वर्षा के पानी को रोककर जगह-जगह, कुंड, तालाब व कुआं में पानी ले जाकर धरती को सींचना होगा। छोटे-छोटे तरीकों से पानी को बचाना होगा। तभी हम धरती में घट रहे जलस्तर को बढ़ा पाएंगे तथा आने वाले समय को सुखद बना पाएंगे। जल है तो कल है यह यथार्थ है उपरोक्त तीनों कामों में अगर हमने विजय प्राप्त कर ली तो आने वाला कल सुखद होगा। पृथ्वी पर जल सीमित मात्रा में है। जल को पुनः वैज्ञानिक तरीके से पुनः नहीं बनाया जा सकता है। देश में स्वच्छता, पर्यावरण एवं जल संरक्षण व जल संचय आवश्यक है।
यह उद्गार स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण भारत सरकार एनएसएससी के सदस्य और पूर्व सभापति नगर परिषद डूंगरपुर केके गुप्ता ने व्यक्त किए हैं।
उन्होंने कहा कि अभी भी भारत के कुछ ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वच्छ जल एक बहुत ही महत्वपूर्ण वस्तु है और कई लोगों को मात्र दो बाल्टी पानी के लिए प्रतिदिन कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ हम से कुछ लोग प्रतिदिन भारी मात्रा में जल व्यर्थ कर देते हैं। पीने के लिए स्वच्छ पानी की प्राप्ति हर नागरिक अधिकार होना चाहिए। हमें जल के महत्व को समझना होगा और जल संकट के कारणों को लेकर जागरूक होना पड़ेगा। इस बात को समझाना बहुत ही आसान है कि यदि हमने जल को संरक्षित करना शुरू नहीं किया तो हम भी जीवित नहीं बचेंगे। जल पृथ्वी पर हर प्रकार के जीवन का आधार है। यद्यपि हम यह सोचते हैं कि पृथ्वी पर पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध है पर हम इस बात भूल जाते है कि यह एक सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है अगर हमने जल संरक्षण को लेकर प्रयास नहीं शुरू किए तो जल्द ही पृथ्वी से ताजे पानी के भंडार समाप्त हो जाएंगे। जल संरक्षण सभी सरकारी संस्थाओं और नागरिकों की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि इस समस्या का समाधान हो सके।जल संरक्षण से समाज पर कई सारे सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। बढ़ते शहरीकरण के वजह से भूमिगत जल का स्तर तेजी से कम होता जा रहा है, इस वजह से खेती और सिंचाई इत्यादि जैसे हमारे जरूरी गतिविधियों के लिए बहुत ही कम बचा हैं। यदि हम जल संरक्षण करेंगे तो हमारे पास खेतो के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध रहेगा तथा इससे फसलों की पैदावार ज्यादा अच्छी होगी।
जल संरक्षण का अर्थ है कि हमें पेड़ों की कटाई भी रोकनी पड़ेगी क्योंकि पेड़ों के जड़ भूमिगत जल के स्तर को रोककर रखते हैं, इससे साथ ही हम और अधिक संख्या में वृक्षारोपण करके पानी की इस समस्या को कम करने का प्रयास कर सकते हैं और एक हरे-भरे पृथ्वी के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं।इसके साथ ही यदि हम जल को बचाना चाहते हैं, तो हमें अपने जल स्त्रोतों को भी बचाने की आवश्यकता है। हमारे द्वारा समुद्रों और नदियों में फैलाए जाने वाले प्रदूषण भी बहुत ही विकराल रूप धारण कर चुका है, जिससे यह जलीय जीवन को भी नष्ट कर रहा है। हमें तत्काल रूप से जल प्रदूषण को रोकने और हमारे द्वारा प्रदूषित नदियों को स्वच्छ करने का प्रयास करने की आवश्यकता है क्योंकि एक अच्छा जलीय पारिस्थितिकी तंत्र हमारे ग्रह के जन जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। इसके साथ ही जल संरक्षण के द्वारा हम पृथ्वी पर जीवन का सही संतुलन भी स्थापित कर पाएंगे।
जल का संचय करना बहुत आसान है, लोगों में नैतिक जागरूकता होना आवश्यक : केके गुप्ता
उन्होंने कहा कि, इस धरती पर भगवान की ओर से हमारे लिए सबसे कीमती उपहार पानी हैं। जिस तरह पानी को बर्बाद करना बेहद आसान है उसी तरह पानी को बचाना भी बेहद आसान हैं। अगर हम अपने दैनिक जीवन की छोटी-छोटी बातों पर गौर करें तो काफी हद तक पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं। नल से पानी की रिसाव को रोकें। कपड़े धोते समय या ब्रश करते समय नल खुला ना छोड़ें। वर्षा से जल संरक्षण करें। नहाते समय बाल्टी का प्रयोग करें ना कि शावर का। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को इसका मूल्य समझाएं। सब्जी धोने के लिए जिस पानी का प्रयोग होता है उसे बचाकर गमलों में डाला जा सकता है। हम सभी को पानी बचाना चाहिए। इसे व्यर्थ नष्ट नहीं करना चाहिए। यदि किसी नल से 1 सेकंड में एक बूंद गिरती है तो 1 साल में 11000 लीटर पानी नष्ट हो जाता है। चीन के अंदर 70 करोड़ लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। वैसे तो पृथ्वी के 71% प्रतिशत भाग पर पानी पाया जाता है परंतु उसमें सिर्फ 1% पानी ही पीने योग्य है। एक व्यक्ति बिना भोजन के 1 महीने तक जीवित रह सकता है परंतु बिना पानी के एक हफ्ते ही जीवित रह पाएगा। विश्व में पानी कमी से जूझ रहे विश्व के 20 शहरों में से पाँच तो भारत में ही हैं। इस सूची में दिल्ली दूसरे स्थान पर है। इसमें कोई दो राय नहीं कि जल ही जीवन है। यह वह शक्ति है, जो भारत के उच्च आर्थिक विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और नागरिकों के जीवन-स्तर को ऊँचा उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। डूंगरपुर का जल संरक्षण व जल संचय मॉडल देशभर को जलयुक्त बनाने में मददगार साबित होगा।
नगर निकाय डूंगरपुर का जल संरक्षण मॉडल देशभर में लागू होना चाहिए : केके गुप्ता
केके गुप्ता बताते हैं कि राजस्थान जैसे मरू प्रदेश में पानी की किल्लत कई दशकों से बनी हुई थी वर्ष 2016 में ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान’ चलाई थी। इसके परिणामस्वरूप मात्र दो वर्षों में ही भूजल स्तर 1.3 मीटर बढ़ गया तथा अन्य देशों ने भी राज्य सरकार के इस नवाचार को अपनाया था। इस अभियान के तहत नगर परिषद डूंगरपुर द्वारा भी प्रत्येक घटक पर कार्य करते हुए योजना के उचित क्रियान्वयन पर बल दिया गया। सबसे पहले शहर ही पुरानी बावे एवं कुओं की सफाई करवाकर गहरे कर उनसे शुद्ध जल की नियमित शहरों में सप्लाई की व्यवस्था की। जिससे प्रतिदिन 8 लाख लीटर पानी नियमित मिलने लगा। शहरवासियों की जल की समस्या का काफी हद तक निवारण हुआ। क्षेत्र में शहर की झील, तालाबों को गहरा एवं साफ करवाया जिससे वर्षा का पानी लम्बे समय एवं प्रचूर मात्रा में एकत्रित करने में सहायक सिद्ध हुआ। शहर के 100 सरकारी बिल्डिंगों व 500 घरों को वाटर हार्वेस्टिंग से जोडने का कार्य तीव्र गति से किया जिसमें छतों का वर्षा का पानी वाटर हार्वेस्टिंग के द्वारा बोरिंग से सीधा धरती में उतारा तथा एक साल में ही धरती के पानी का स्तर 20 फीट बढ़ गया एवं जो पानी का टीडीएस पहले 840 तक था वह घटकर 570 पर आ गया। शहर के नकारा 100 हैण्डपम्पों को वाटर हार्वेस्टिंग से जोडा गया जो आज भरपूर पानी दे रहे है। वाटर हार्वेस्टिंग कार्य हर घर के लिए अनिवार्य एवं पुरानी मकानों में जहां एवरेज वाटर हार्वेस्टिंग में रूपये 16 हजार का प्रतिघर खर्चा आता था नगर परिषद् द्वारा जिसने भी घर पर वाटर हार्वेस्टिंग लगाया उसको 50 प्रतिशत सब्सिडी दी गई अर्थात मात्र 8 हजार रूपयों में ही वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई।दिल्ली सरकार ने भी हमारे नवाचार को अपनाया तथा पानी की लेवल को बढ़ाने के लिए दिल्ली से एक इंजीनियर टीम को डूंगरपुर भेजा जिसने डूंगरपुर की तर्ज पर दिल्ली में भी पानी को संचय करने का कार्य किया तथा जिसने दिल्ली में डूंगरपुर की तर्ज पर काम किया। उसे 50 हजार रुपए की सब्सिडी तथा 10 प्रतिशत पानी के बिलों में कटौती से बिल लेने की घोषणा की।
शहरों में पानी संचय की जिम्मेदारी निकायों को दी जानी चाहिए
डूंगरपुर शहर जो ‘ब्लेक जॉन’ में था राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की प्रभावी योजना वर्ष 2016 की ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलंब योजना’ ने डूंगरपुर शहर का भाग्य ही बदल दिया पहले धरती के पानी में 800 टी.डी.एस. हुआ करते थे धीरे-धीरे घटते हुए वर्ष 2019 में टी.डी.एस. 540 तक आ गया। ज्यादा टी.डी.एस. से आमजन का जीना दुर्लभ हो जाता था शरीर के जॉइंट एवं घुटनों में दर्द होने लगता हैं तथा दांत गल जाते हैं, दांतों का गिरना, बालो का उड़ना, खुजली होना तथा अन्य बीमारियाँ विशाल रूप धारण कर रहीं हैं पानी में फ्लोराइड एवं नाइट्रेड ज्यादा होने से केंसर जैसी बीमारियाँ भी ज्यादा हो रही हैं राजस्थान के 11 शहरों में यह बीमारियाँ खराब पानी से हो रही हैं तथा 28 शहरों में भी आंशिक रूप से पानी खराब हो रहा है जैसे-जैसे गहराई में जा रहे है जल स्तर घटने के साथ-साथ पानी की क्वालिटी भी ख़राब हो रही हैं।