झुंझुनूं : बेघर, अनाथ और बेसहारा बच्चों के लिए खुलेंगे छात्रावास:नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर हॉस्टल का नामकरण

झुंझुनूं : अनाथ और दुष्कर परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों तथा अभिभावकों की देख-रेख से वंचित ऐसे बच्चे, जिन्हें स्कूली शिक्षा के साथ रहने और बोर्डिंग सुविधा की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों के लिए नेताजी सुभाषचन्द्र बोस आवासीय विद्यालय तथा छात्रावास खोले जाएंगे।

ताकि विद्यार्थी अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण कर शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सके। आवासीय विद्यालयों तथा छात्रावासों में कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण कर सकेंगे।

निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 6 से 14 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को निशुल्क एवं अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है। इसी के तहत विद्यार्थियों के लिए छात्रावास तथा आवासीय विद्यालय खोले जाएंगे।

चार हजार रुपए प्रति बच्चे पर होंगे खर्च

आधारभूत आवश्यकताओं पर वार्षिक व्यय की राशि का चार हजार रुपए प्रति विद्यार्थी व्यय किए जाएंगे। इसके तहत चप्पल, रिबन, कंघा, हेयर क्लिप, बनियान, जुराब, नेलकटर, स्कार्फ, पॉलिसी, रुमाल, तौलिया, रंगीन ड्रेस, ब्लेजर, शूज तथा अन्य दैनिक उपयोग के लिए आवश्यकता के अनुसार सामग्री की खरीद की जा सकेगी।

ये विद्यार्थी ले सकेंगे प्रवेश

हाउस होल्ड सर्वे में चिन्हित ड्रॉप आउट एवं शिक्षा से वंचित बालक-बालिकाएं आवासीय विद्यालय में प्रवेश ले सकेंगे। इसके अलावा ऐसे बच्चे जो कक्षा 5 के बाद अनामांकित एवं ड्रॉप आउट हो गए हैं। साथ ही बेसहारा, अनाथ बच्चों के अलावा कोविड महामारी के कारण ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु हुई है, ऐसे बच्चों को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ विद्यालय से जोड़ा जाएगा।

नियमित कक्षा 5 उत्तीर्ण करने वाले बालक-बालिकाओं को इनमें प्रवेश नहीं दिया जाएगा। आवासीय विद्यालय में 11 से 14 आयु वर्ग के बालक एवं बालिकाओं को प्रवेश दिया जा सकेगा। आवासीय विद्यालयों में सीमित सीटों के लिए यह सुविधा है।

लंबे समय तक गैरमौजूद रहने वाले विद्यार्थी के स्थान पर वर्ष पर्यन्त कभी भी किसी को प्रवेश दिया जा सकेगा।

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