जयपुर : पिंकसिटी जयपुर के पार्थ खंडेलवाल ने राजस्थान में टॉप करते हुए नीट यूजी परीक्षा में देश भर में 10वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय अपनी बड़ी बहन को दिया है। पार्थ को नीट यूजी की परीक्षा में 715 नंबर मिले हैं। दिल्ली AIIMS मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल से पार्थ एमबीबीएस की पढ़ाई करना चाहते हैं। 710 मार्क्स से ज़्यादा मार्क्स पर ही एम्स दिल्ली में नम्बर आएगा।
नीट में जयपुर के पार्थ खंडेलवाल ने ऑल इंडिया 10वीं रैंक हासिल की है। मीडिया से बातचीत में पार्थ ने बताया कि मैंने 9th क्लास में ही MBBS करने की सोच ली थी। इसके बाद 10वीं क्लास से तैयारी शुरू की। इसके बाद में हर दिन सब कुछ भूल 12 घंटे पढ़ाई करता था। कोचिंग से घर नहीं जाता। पढ़ाई पूरी होने के बाद ही जाता था।
इसके बाद भी जब मेरे नंबर अच्छे नहीं आए तो स्ट्रेस में परेशान हो गया था। फैमिली और टीचर्स ने पूरा सपोर्ट किया। उसी का रिजल्ट है कि आज मैं यहां तक पहुंच पाया हूं। आगे पढ़िए मीडिया से पार्थ की खास बातचीत…
सवाल – नीट की तैयारी कैसे और कब शुरू की?
जवाब – मैंने 10वीं क्लास में ही नीट की तैयारी शुरू कर दी थी। उस वक्त मैंने एलेन क्लासेस जॉइन की। मेरी नीट की जर्नी शुरू हुई। इसके बाद टीचर्स ने मुझे पूरा सपोर्ट किया। उसी का नतीजा है कि आज मेरी ऑल ओवर इंडिया 10वीं रैंक आई है।
सवाल – स्कूल के साथ नीट की तैयारी में क्या प्रॉब्लम आई?
जवाब – मेरी दीदी की वजह से मुझे यह फील्ड चुनने की इंस्पिरेशन मिली। वह भी जयपुर के एसएमएस कॉलेज से एमबीबीएस कर रही है। उनके साथ ही फैमिली मेंबर्स ने भी मुझे पूरा सपोर्ट किया। जब कभी मेरे मार्क्स अच्छे नहीं आते थे। मेरे पेरेंट्स ही मुझे हिम्मत देते और मोटिवेट करते थे। इसके बाद मैं और ज्यादा मेहनत से तैयारियों में जुट जाता था।
सवाल – नीट की तैयारी के बारे में कब सोचा। क्या फैमिली में किसी का प्रेशर था। या फिर खुद ने ही तैयारी शुरू की थी?
जवाब – मेरी फैमिली ने कभी मुझे किसी भी काम के लिए मना नहीं किया। नीट की तैयारी के लिए भी मैंने ही सोचा था। जब मैं 9वीं क्लास में था। तभी मैंने सोच लिया था कि मुझे फ्यूचर में एमबीबीएस करके अच्छा डॉक्टर बनना है। ताकि मैं आम लोगों की मदद कर सकूं।
सवाल – तैयारी कर पढ़ने के साथ और क्या खेलने के लिए बाहर जाते थे?
जवाब – 10वीं के बाद मैंने अपना सारा वक्त पढ़ाई में ही दिया। मैं आउटडोर एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट नहीं करता था। ना ही मैं सोशल मीडिया यूज करता था। क्योंकि वहां काफी ज्यादा फिजूल का वक्त बर्बाद होता है। हालांकि मैं सिर्फ वॉट्सऐप यूज कर रहा था। ताकि टीचर्स के नोट्स मुझे मिल सकें। इसके अलावा मैं 12 घंटे कोचिंग पढ़ता था। वहां जितनी भी पढ़ाई हो पाती, मैं वह करके ही घर लौटता था।
सवाल – क्या तैयारी के दौरान कभी परेशान और हताश हुए?
जवाब – तैयारी के दौरान काफी मेहनत करता था। लेकिन उसके बाद भी जब टेस्ट में अच्छे मार्क्स नहीं आते थे। काफी परेशान होता था। डिमोटिवेट भी हो जाता था। उसके बाद फ्रेंड्स और फैमिली मेंबर से बात कर खुद के इस स्ट्रेस को कम करता। फिर से तैयारी में जुट जाता था। इसके बाद जब मेरे मार्क्स टेस्ट में अच्छे आते। तब खुद ब खुद ही मोटिवेट होकर और ज्यादा अच्छे से तैयारियों में जुट गया था।
सवाल – फ्यूचर में क्या करना चाहते हैं?
जवाब – अगर नीट पीजी में मेरा अच्छा स्कोर हो गया तो न्यूरोलॉजी या कार्डियोलॉजी में अच्छा डॉक्टर बनना चाहूंगा। फिर एक अच्छा डर्मेटोलॉजिस्ट बन आम लोगों की मदद करूंगा।
सवाल – जो स्टूडेंट्स नीट की तैयारी कर रहे हैं उन्हें क्या सजेशन देंगे?
जवाब – लगातार मेहनत करें कभी हिम्मत नहीं आ रहे। ऐसा करने से आपके रिजल्ट लगातार इंप्रूव होंगे। यही सक्सेसफुल होने का एकमात्र तरीका है।
पार्थ के पिता बिजनेसमैन
पार्थ खंडेलवाल जयपुर के अंबाबाड़ी में रहते हैं। उनके पिता सुधीर खंडेलवाल व्यापारी हैं। इनकी जयपुर के चार इलाके में ड्राई फ्रूट्स की शॉप है। वही उनकी मां ऋतु खंडेलवाल ग्रहणी है।
पार्थ की बड़ी बहन भी है। इनका नाम जाह्नवी खंडेलवाल है। जो जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही हैं। वहीं अब दोनों बच्चों के मेडिकल फील्ड में भविष्य बनाने को लेकर पेरेंट्स भी काफी खुश हैं।
पार्थ के पिता सुधीर ने कहा- जाह्नवी और पार्थ दोनों ने काफी मेहनत की है। उसी का रिजल्ट है कि आज दोनों यहां तक पहुंचे हैं। मुझे उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि दोनों भविष्य में अच्छे डॉक्टर बन जरूरतमंद लोगों की मदद करेंगे।
पार्थ ने बताया- कोचिंग में फैकल्टीज का बहुत सपोर्ट मिला। मैं पढ़ाई घड़ी देखकर नहीं करता। लगता था कि किसी टॉपिक को पढ़े हुए टाइम हो गया तो उसे ही पढ़ने लग जाता था। दोस्तों से बात करके रिफ्रेश हो जाता हूं। कभी सब्जेक्ट की बातें तो कभी हंसी-मजाक मुझे रिचार्ज कर देते हैं।
उन्होंने कहा- मैं एनटीएसई स्कॉलर रहा हूं, स्टेज-1 ओवरऑल 33वीं रैंक प्राप्त की। एसटीएसई स्टेज-2 में रैंक-1 प्राप्त की। बायोलॉजी मेरी स्ट्रॉन्ग है, इसलिए नीट देने का मन बनाया।
एक एग्जाम में मेरी पर्सेंटेज कम आई। परेशान हो गया। सबसे लो स्कोर होने के बाद मैंने और अधिक मेहनत करने का संकल्प लिया और इसके बाद कभी स्कोर कम नहीं आने दिया। मैं दिल्ली एम्स से एमबीबीएस करना चाहता हूं। इसके बाद न्यूरो या कार्डियोलॉजी में जाना चाहता हूं।
पुरू खंडेलवाल ने कहा- रिलेक्स होकर तैयारी करना ज्यादा फायदेमंद-
जयपुर के पुरु खंडेलवाल ने नीट में 710 अंक हासिल कर देशभर में 58th रैंक हासिल की है। उन्होंने बताया कि सिर्फ रिलेक्स होकर बिना किसी तनाव के पढ़ाई की जाए।
तो बहुत आसानी से सबकुछ समझा जा सकता है। यही सफलता का कारण भी बनता है। मेरी प्रॉब्लम सॉल्विंग एप्रोच अलग है, यही मेरी स्ट्रेटजी भी रही।
मैने जब नीट की तैयारी शुरू की। तो इन ऑर्गेनिक केमेस्ट्री में दिक्कत आती थी। मैने मेरे अनुसार दुबारा से नोट्स तैयार किए। ऐसे किए कि मुझे रिकॉल करने के लिए अब सिर्फ पन्ने पलटने पड़ते हैं।
इसके साथ ही दोस्त, फैमिली के साथ टाइम स्पेंड, दोस्तों के साथ बातचीत मुझे एनर्जी देती है। जब भी लगता है बहुत पढ़ाई हो गई।रिलेक्स रहने के लिए फैमिली के साथ टाइम स्पेंड करता हूं। अब आगे एम्स दिल्ली से एमबीबीएस कर न्यूरोलॉजी की तरफ जाना चाहता हूं।
आगे पढ़िए राजस्थान से नीट क्लीयर करने वाले कुछ स्टूडेंट्स की सक्सेस स्टोरी…
नरेगा मजदूर की बेटी का NEET में सिलेक्शन
अलवर के मुंडावर के चांदपुर गांव की रहने वाली बेटी नेहा का भी सिलेक्शन हुआ है। तीसरे प्रयास में नेहा की कैटेगरी वाइज 1215वीं रैंक आई है। नेहा के पिता विक्रम सिंह नरेगा मजदूर है। घर में कुछ गोवंश भी है। ऐसे में पिता ने मजदूरी कर बेटी को पढ़ाया।
पिता विक्रम सिंह ने बताया- उनके दो बेटी है नेहा और नीशू। नेहा ने जब बताया कि वह डॉक्टर बनना चाहती है तो उसे पढ़ने के लिए सीकर भेजा।
इससे पहले जब मेरे घर में दो बेटियां हुईं तो परिवार के लोगों ने कहा कि परिवार में बेटा जरूरी है। लेकिन, मैंने कह दिया था कि मेरी दोनों बेटी ही बेटों के बराबर है। अब जब बेटी का नीट के लिए सिलेक्शन हुआ है तो पूरा परिवार खुश है।
ऑटो से रोज 15 किमी सफर किया, रात को घर पहुंचती; तीसरे अटेम्प्ट में नीट पास की
कोटा के कैथून की रहने वाली अलीना आयशा (19) ने अपनी कोशिशों से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित नीट यूजी परीक्षा पास की।
अलीना को ये सफलता तीसरे प्रयास में मिली। इससे पहले दो बार वो असफल रही। उसने हार नहीं मानी। तीसरे प्रयास में अपनी मेहनत से नीट एग्जाम में 720 मेंसे 649 नम्बर हासिल किए।
अलीना ने बताया कि साल 2021 में 12 वीं के साथ पहली बार नीट का एग्जाम दिया था। जिसमें 336 नम्बर आए। फिर अगले साल तैयारी के साथ परीक्षा दी।
लेकिन सफलता नहीं मिली। केवल 538 नम्बर ही आए। अलीना कहती है कि कम नम्बर आने पर अजीब सा लगता था। उस समय परिवार के सदस्य सपोर्ट करते। मोटिवेशन के साथ आगे तैयारी करने की बात कहते। परिवार के सपोर्ट के कारण की नीट एग्जाम पास कर सकी।
15 किमी रोज ऑटो में सफर किया
अलीना ने बताया कि साल 2021 में 12 वीं पास करने के बाद उसने कोटा में कोचिंग जोइन की। वो रोज ऑटो में बैठकर 15 किमी दूर कोचिंग में पढ़ाई करने आती थी। रात साढ़े 8 बजे कोंचिंग खत्म करके करीब 10 बजे घर पहुंची थी। ये सिलसिला दो साल तक चला। ऑटो में और भी स्टूडेंट्स उसके साथ आते जाते थे।