पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि आज, सचिन पायलट पर नजर, ये है पूरी स्ट्रेटेजी

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की 3 सार्वजनिक डिमांड पर सीएम गहलोत के इनकार के बाद पायलट का अगला स्टैप क्या होगा इस पर सभी की नजर टिकी हुई है। आज सचिन पायलट के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि है। दौसा के भंडाना में श्रद्धांजलि सभा और गुर्जर होस्टल में अपने पिता स्वर्गीय राजेश पायलट की प्रतिमा का अनावरण सचिन पायलट करेंगे। सुबह 10 बजे से श्रद्धांजलि कार्यक्रम और सभा है। 11.15 बजे से गुर्जर होस्टल में प्रतिमा अनावरण समारोह है। दोपहर करीब 1 बजे तक कार्यक्रम चलेगा।

पायलट नहीं बनाएंगे नई पार्टी, गठबंधन का ऑप्शन खुला

सूत्र बताते हैं कि सचिन पायलट कोई नहीं पार्टी नहीं बनाने जा रहे हैं। जिन दो पार्टियों प्रगतिशील कांग्रेस और जनसंघर्ष पार्टी की चर्चा थी। वो राजस्थान में धरातल पर नहीं है। ना ही रजिस्टर्ड हैं। बिहार में एक जनसंघर्ष पार्टी पहले से चल रही है। मिलते-जुलते नाम वाली राज जनसंघर्ष पार्टी अब तक रजिस्टर्ड नहीं हुई है। इसलिए उन अफवाहों में दम नहीं है, जो मीडिया में फैलाई गई थी। वह कांग्रेस पार्टी पर प्रेशर बनाने के लिए पॉलिटिक्स से ज्यादा कुछ नहीं थी। अब यह साफ हो गया है। हालांकि सचिन पायलट के पास गठबंधन का ऑप्शन खुला है। आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल उन्हें पहले ही गठबंधन का ऑफर दे चुके हैं। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी भी सचिन पायलट को झाड़ू उठाकर सूपड़ा साफ करने का ऑफर दे चुकी है।

नई पार्टी राजस्थान में बड़ा जोखिम, अब तक नहीं हुई सफल

राजस्थान में दो दलीय व्यवस्था ही प्रभावी रूप से चलती आई है। बाकी पार्टियां जैसे बहुजन समाज पार्टी के 6 विधायक चुने गए थे, लेकिन कांग्रेस में मर्ज कर लिए गए। आरएलपी के 3 विधायक ही हैं। भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2, राष्ट्रीय लोक दल का 1, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी का 1 विधायक हैं। इन सबको जोड़ भी लिया जाए, तो उससे ज्यादा 13 निर्दलीय विधायक चुनकर आए हैं। जबकि बीजेपी के 70 और कांग्रेस पार्टी के 108 विधायक हैं। उदयपुर से बीजेपी के गुलाबचंद कटारिया विधायक थे, जिनके असम में राज्यपाल बनने के बाद सीट रिक्त चल रही है। इससे पहले तीसरा मोर्चा बनाने के जितने भी प्रयास हुए प्रदेश की जनता ने उन्हें नकार दिया। यहां जनता पिछले 30 साल से ज्यादा वक्त से एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी को सत्ता की चाबी सौंपती आ रही है। उससे पहले लम्बे वक्त तक कांग्रेस ने शासन किया।

ये पार्टियां नहीं हो सकीं सफल

मौजूदा बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा की राजपा, घनश्याम तिवाड़ी की दीनदयाल वाहिनी, देवी सिंह भाटी का सामाजिक न्याय मंच राजस्थान में फेल हो गए। आम आदमी पार्टी भी पिछले चुनाव में पूरी तरह राजस्थान में फेल ही रही। कोई सीट नहीं निकाल सकी। इसके अलावा भी कई पार्टियों ने हाथ-पैर मारने की खूब कोशिश की, लेकिन राजस्थान में चल नहीं सकीं। इसलिए कद्दावर नेता भी अपने दम पर नई पार्टी बनाकर राजस्थान में दम खम नहीं दिखा सके। बल्की राजनीतिक रूप से किरकिरी का ही सामना करना पड़ा। इसलिए सचिन पायलट भी ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहते हैं।

पायलट के चुनावी दौरे डिज़ाइन कर रही पीके टीम

सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट राजस्थान में कांग्रेस में रहकर ही चुनाव में खुदको सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहते हैं। कांग्रेस पार्टी से अलग प्रशांत किशोर यानी पीके की टीम इस पर वर्क कर रही है।  पायलट विधानसभा चुनाव से राजस्थान के सभी जिलों में दौरे करेंगे। इनके दौरों और जनसभाओं की डिजाइनिंग, प्लानिंग, स्ट्रेटेजी और इश्यूज़ इलेक्शन एक्सपर्ट प्रशांत किशोर की कम्पनी आई पेक कर रही है। जिसमें कांग्रेस पार्टी से तय हुए फॉर्म्यूले के मुताबिक सचिन पायलट अपने समर्थक विधानसभा प्रत्याशियों के समर्थन में उनके विधानसभा क्षेत्रों में जाकर चुनावी माहौल तैयार करना और उन्हें जीत दिलाना चाहते हैं। ताकि चुनाव परिणाम आने के बाद जीते विधायकों के दम और संख्या बल के आधार पर अपना दम खम दिखा सकें। पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की सीटों पर बड़े लेवल पर फोकस करके पायलट और पीके की कंपनी काम कर रहे हैं, ऐसा सूत्र बताते हैं। हालांकि पायलट को कांग्रेस में तवज्जो नहीं मिलने पर उनके  पास गठबंधन का ऑप्शन भी खुला है।

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