झुंझुनूं : आपने अभिनेता पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज जरूर देखी होगी, जिसमें एक व्यक्ति को दस्तावेजों में मरा हुआ घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद वह आदमी खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटता है। यानी इंसान का जिस्म से ज्यादा कागज पर जिंदा होना जरूरी है। ऐसा ही एक मामला नवलगढ़ में भी सामने आया है। इलाके के कोलसिया गांव की नेहरों की ढाणी निवासी मोहनलाल नेहरा की पत्नी झिमकोरी देवी (80) को वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी। कुछ दिन पहले विभागीय खानापूर्ति में उसे कागजाें में मरा हुआ घोषित कर दिया।
17 मार्च को मृत मान बंद की वृद्धावस्था पेंशन
जब पेंशन बंद हो गई तब महिला ने परिचितों के जरिए पता लगाया तो मालूम चला कि वह मर चुकी है। तब से झिमकोरी अपने आपको जिंदा साबित करने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रही है। महिला मंगलवार को जाखल में लगे स्थायी महंगाई राहत कैंप में भी अपने आपको जिंदा साबित करने के लिए पहुंच गई, लेकिन वहां पर भी उसकी किसी ने सुनवाई नहीं की। महिला के बेटे जयवीर ने बताया कि उसकी मां को जनवरी तक वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी।
इसके बाद पेंशन अपने आप बंद हो गई। जब पेंशन बंद होने के कारणों का पता किया गया तो सामने आया कि दस्तावेजों में झिमकोरी देवी को मृत घोषित कर पेंशन बंद की जा चुकी है। तब से महिला अपने बेटे के साथ चक्कर काट रही है। महिला कह रही है कि मैं 100 साल की हो गई हूं और अभी जिंदा हूं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि किस सरकारी कर्मचारी की गलती से महिला को मृत बता दिया गया। किसान नेता सुभाष बुगालिया ने भी प्रशासन से पीड़ित वृद्ध महिला की मदद करने की मांग की है, ताकि महिला की पेंशन दोबारा शुरू हो सके।
इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं मिली। इस मामले को दिखवाता हूं। – राकेश कुमार, बीडीओ नवलगढ़