जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं-पिलानी : राजस्थान हाईकोर्ट ने पंचायत समिति पिलानी की प्रधान को कर्तव्यों के निर्वहन में गंभीर कोताही बरतने को लेकर, बर्खास्तगी हेतु एवं साथ ही वित्तीय अधिकार किसी अन्य सक्षम अधिकारी को दिए जाने को लेकर दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई कर, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के प्रमुख सचिव, उपायुक्त एवं शासन सचिव, जिला कलेक्टर झुंझुनूं, सीईओ, एसडीओ सूरजगढ़ व प्रधान बिरमा देवी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले के अनुसार पंचायत समिति पिलानी के निर्वाचित सदस्य राजकुमार ने एडवोकेट संजय महला के जरिये रिट याचिका दायर कर बताया कि पंचायत समिति की प्रधान अपने कर्तव्यों के निर्वहन में पूरी तरह उदासीन व असफल रही है, जिसे पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत सरकार बर्खास्त कर, वित्तीय अधिकार किसी अन्य सक्षम अधिकारी को हस्तांतरित करें।
बहस में एडवोकेट संजय महला ने कहा कि प्रधान ने नियमानुसार बैठकों का आयोजन नही किया। विकास कार्यो व निर्माण कार्यो को लेकर उदासीन रही है। ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा देय 5 करोड़ का बजट लेप्स होने की स्थिति में है। बिल बाऊचरो पर भी हस्ताक्षर नही कर रही है। 9 जनवरी 2023 को अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया में मात्र एक मत के अंतर से अयोग्य होने से बची थी। विकास अधिकारी ने बार बार पत्र द्वारा प्रधान को उसके पदीय कर्तव्यों की पालना के लिए लिखा। जिला परिषद के सीईओ ने भी 19 जनवरी को पंचायती राज विभाग से मार्गदर्शन मांगा था एवं इससे पूर्व में 2 अगस्त 2022 को प्रधान को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर जवाब मांगा था। याचिका में मांग की गई है कि पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों को देखते हुए विभाग ने अभी तक ना तो प्रधान को निलम्बित किया है एवं ना ही बर्खास्तगी बाबत कोई कदम उठाया है जबकि पंचायत समिति पिलानी के सारे विकास कार्य ठप्प पड़े हैं।
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने याचिका के तथ्यों, परिस्थितियों एवं प्रस्तुत दस्तावेजो के अवलोकन के बाद ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अधिकारियों, जिला कलेक्टर, जिला परिषद व अन्यो को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब मांगा है।