झुंझुनूं : डिजीटल का प्रचलन बढ़ने से प्रिटिंग व्यवसाय सिमटने लगा है, जहां लोग ब्याह-शादी व शुभ कार्य का न्यौता देने के लिए कार्ड प्रिंटिंग करवाते थे, लेकिन अब ई- कार्ड व डिजीटल कार्ड के माध्यम से निमत्रंण संदेश भेज रहे है।
इस व्यवसाय पर सबसे ज्यादा प्रभाव कोरोना के बाद पड़ा है। कोरोना के बाद से शादी ही नहीं बल्कि, कोई भी शुभ कार्यक्रम में प्रिटिंग कार्ड की जगह अब डिजिटल कार्ड इस्तेमाल किया जाने लगा है। इससे लोगों का आने-जाने की समस्या खत्म हुई है, समय की बचत भी हो रही है। वहीं प्रिंटिंग खर्च एवं लगने वाले कागज में बचत हो रही है। लोगों के लिए भी सुविधाजनक हो रहा है।
हालांकि डिजीटल प्रचलन से प्रिंटिंग व्यवसाय को नुकसान हुआ है। व्यवसाय से जुड़े लोगों की मानें तो तीन साल पूर्व से अब प्रिटिंग व्यवसाय आधा ही रह गया। कागज एवं स्याही महंगी होने से दर तो बढ़ी है। लेकिन मार्केट को बढ़ावा नहीं मिल पाया।
सोशल मीडिया पर भेज रहे निमंत्रण
लोगों अब कार्ड छपवाने की बजाए ई- कार्ड व डिजिटल कार्ड बनवा रहे हैं। वहीं इनको सोशल मीडिया पर भेजकर लोगों को कार्यक्रम में आने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।
कई लोग तो वीडियो क्लिप में साउंड एवं इफेक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे वह देखने में आकर्षक लगता है। इससे नई टेक्नोलॉजी का व्यवसाय भी बढ़ा है। प्रिंटिंग व्यवसायी भी इस तरफ अपने व्यवसाय को बढ़ाने में लगे हैं।
टांक प्रिंटर्स अयूब टांक ने बताया कि डिजिटल कार्ड के प्रचलन से व्यवसाय पर काफी फर्क पड़ रहा है। लेकिन समय के साथ वह भी डिजिटल तकनीकी की तरफ व्यवसाय बढ़ा रहे हैं।
कोरोना के बाद से ही प्रिटिंग प्रेस व्यवसाय में 50 फीसदी कमी आई है। पहले लोग 300 से कम कार्ड नहीं छपवाते थे, वह अब सिर्फ 100 की तादात में ही सिमट कर रह गया है।
सुभाष प्रिंटर्स के मालिक ने बताया कि
डजिटल कार्ड से प्रिंटिंग व्यवसाय चौपट होने के हालात बन गए। महंगाई के मुताबिक कागज व स्याही की दरों में उतार चढ़ाव तो होता है, लेकिन ग्राहकी नहीं है।