सवाईमाधोपुर : इस बार इलाके में बड़े पैमाने पर अमरूद की पैदावार से अमरूदों के भावों में गिरावट बनी रही है। स्थिति यह रही है कि अमरूद उत्पादन की लागत और मजदूरी को निकाल पाना भी किसानों को मुश्किल हो गया। इससे निराश किसानों ने अमरूदों के पेड़ों को उखाड़ फेंकना शुरू किया है। सवाईमाधोपुर जिले के अमरूद देश भर में प्रसिद्ध हैं और यहां अमरूद उत्पादन भी सर्वाधिक होता है। इस बार काश्ताकरों को अमरूदों से अच्छे मुनाफे की उम्मीद थी लेकिन पूरे सीजन में अमरूदों के दाम कमजोर बने रहे। शुरूआत में अमरूदों के थोक भाव 25 रुपए किलो तक के थे, जो अब 6 रुपए किलो पर आ गए हैं। इस बार अमरूदों के थोक भाव ज्यादातर समय 12-15 रुपए किलो तक सीमित रहे।
इन दिनों अमरूद स्वत: पेड़ से नीचे गिर रहे है। लेकिन कम दाम मिलने से निराश किसानों ने अब खेतों से मण्डी तक अमरूद लाना भी बंद किया है। इससे अमरूद खेतों में सड़ रहे हैं। अनेक किसान अमरूदों को मवेशियों को खिला रहे है। मण्डी में बढ़ीया अमरूदों के दाम भी छह से आठ रुपए किलो तक मिल पा रहे है। इस स्थिति से व्यथित किसानों ने अमरूदों के पेड़ों पर ट्रैक्टर व कुल्हाड़ी चलाना शुरू किया है। उनका कहना है कि अमरूदों को इतनी दूर मंडी में लाने की मजदूरी भी नहीं निकल रही। उनका कहना है कि अमरूदों के दामों में साल-दर-साल गिरावट से अब अमरूद की पैदावार करना मुनाफे का काम नहीं रहा।
सरकार नहीं सुन रही पुकार
जिले में इस बार भी अमरूदों की बंपर पैदावार हुई। अधिक उत्पादन और मांग की कमी से भाव बढ़ नहीं सके। फल भी इस बार कुछ ही दिन में खराब होने लगा। किसानों को अमरूदों की पैदावार को लेकर सरकार की ओर से संरक्षण व प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। इस क्षेत्र के किसान सरकार से अमरूदों की प्रसंस्करण यूनिट लगाने की मांग लगातार कर रहे हैं जिससे अमरूदों की पैदावार का समुचित उपयोग होने के साथ पूरे दाम भी मिल सकें। लेकिन सरकार ने प्रसंस्करण इकाई लगाना तो दूर की बात रही, अब तक खराब हुए अमरूदों का सर्वे तक नहीं कराया है। इससे किसान काफी निराश हैं। उनको लागत व मजदूरी तक नहीं निकल पाई है।
जनप्रतिनिधि दे रहे थोथे आश्वासन
मंत्री, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि अमरूद प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने को लेकर थोथे आश्वासन देते रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता जयराम रमेश ने सवाईमाधोपुर में अमरूदों की प्रसंस्करण इकाई लगाने को लेकर मुख्यमंत्री से वार्ता करके इस बारे में आदेश जारी कराने का भरोसा पत्रकार वार्ता में दिलाया था लेकिन दो माह बाद भी हुआ कुछ नहीं। आरोप है कि प्रशासन, उद्यान विभाग व जिला उद्योग केन्द्र की ओर से अमरूद प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है।
दाम में नहीं दम
इस सीजन में अमरूदों के उचित दाम नहीं मिल पाए। इन दिनों 5 से 8 रुपए किलो के भाव अच्छे अमरूद के मिल रहे हैं। पिछले तीन साल के सीजन से अमरूदों के दाम कमजोर रहे हैं। इस बार भी अमरूद ने निराश किया। लागत और मजदूरी भी न मिल पाई। इन दिनों ताजा पका अमरूद कौड़ी के भाव बिक रहा है। फेंकना भी पड़ रहा है, जबकि अभी देश के कई हिस्सों में मांग है।
अशोक राज मीना, किसान, पटेल ढाणी सीनोली
अमरूदों की पैदावार में लगातार नुकसान हो रहा है। दाम कम होने से मजदूरी व परिवहन का खर्चा नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में अमरूदों के पेड़ों को ट्रैक्टर-कुल्हाड़ी जड़ से उखाड़कर फेंक रहे हैं। अमरूदों के स्थान पर कोई अन्य पैदावार करेंगे।
सुरेश चंद, किसान, महूं
इनका कहना है
इस बार अमरूदों के दाम कम मिलने से किसान अमरूदों के पेड़ोंको हटा रहे हैं। हालांकि किसानों को प्रंस्करण इकाई स्थापित कराने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
चन्द्रप्रकाश बड़ाया, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग, सवाईमाधोपुर
कर रहे प्रेरित
किसानों को अमरूद प्रंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अब तक प्रसंस्करण इकाई के लिए केवल एक फाइल आई है। सरकार की ओर से प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिए 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।
प्रेमप्रकाश यादव, सचिव, कृषि उपज मण्डी, सवाईमाधोपुर