झुंझुनूं : झुंझुनूं के हंसासर के अरुण ऑक्सफोर्ड से पीएचडी के बाद घर लौटा है। अरुण के लिए यह सफर आसान नहीं था। अरुण की स्कूली शिक्षा न्यू इंडियन पब्लिक सीनियर सैकंडरी स्कूल झुंझुनूं में हुई। अरुण सिंह बाबल के पिता भारतीय नौसेना में थे और उनसे नौसेना की गतिविधियों ने अरुण का ध्यान तकनीक की तरफ आकर्षित किया।
अरुण ने सेंटर फॉर कनवरन्जिग टेक्नॉजिस, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में नैनोसाइंस और सूचना प्रौद्योगिकी में एक एकीकृत बी.टेक और एम.टेक कार्यक्रम पूरा किया। अरुण बाबल को राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, पूसा रोड में बुनियादी वैज्ञानिक अवधारणाओं में परियोजना सहायक के रूप में काम करने का अवसर मिला।
जहां उन्होंने भौतिकी के मूल सिद्धांतों पर शोध के बारे में जाना, यही वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुप्रयोग पर विश्व स्तर पर किए जा रहें शोध में डॉ. बाबल की रुचि गहरी हुई और विज्ञान के प्रति अपने लगन और सीखने के जुनून के साथ उन्होंने प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विज्ञान विभाग में पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला लिया। उनका परिवार ही नहीं पूरा झुंझुनू उस समय गर्व महसूस कर रहा था।
कठिन परिश्रम सफलता प्राप्त की
डॉ. बाबल ने झुंझुनू के हंसासर गांव से लंदन तक की कठिन यात्रा को अथक परिश्रम से पूरा किया। डॉ. बाबल ने परमाणु रिएक्टरों में रेडियोएक्टिव आयोडीन का पता लगाने के लिए मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (एमओएफएस) बेस्ड सेंसर विकसित किये। साथ ही साथ उन्होंने एमओएफएस मेटीरियल की डाई-इलेक्ट्रिक प्रॉपर्टी पर भी काम किया।
झुंझुनू के लाल की प्रतिभा को पहचानते हुए इंजीनियरिंग और भौतिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ईपीएसआरसी) ने डॉक्टोरल ट्रेनिंग पार्टनरशिप स्कॉलरशिप के माध्यम से अरुण बाबल को पीएचडी फेलोशिप से सम्मानित किया। जिसके तहत पीएचडी करने की सम्पूर्ण फीस वहन की गई है।
ये स्कॉलरशिप प्राप्त करना भी एक मुश्किल कॉम्पिटिशन था, लेकिन अरुण बाबल की कड़ी मेहनत और प्रतिभा के कारण उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रतिष्टित छात्रवृत्ति से नवाजा गया। डॉ. बाबल के अनुसंधान कार्य को यूनाइटेड किंगडम की प्रसिद्ध सिंक्रोट्रॉन लैब ने भी सराहा। अपने अनुसंधान कार्य में निपुणता के कारण डॉ बाबल को विश्व के कई देशों में वैज्ञानिक कांफ्रेंस में भाग लेने का मौका मिला।
डॉ अरुण सिंह बाबल वर्तमान में लंदन सिटी की इक्विफैक्स कंपनी में डाटाबेस साइंटिस्ट की भूमिका में कार्यरत है। डॉ बाबल अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता और गुरुजनों को देते है, उनका कहना है कि वो शिक्षा और बेहतर तकनीक के उपयोग से देश को विकसित किया जा सकता है और साथ ही डॉ बाबल अपने क्षेत्र के बच्चों को उच्च शिक्षा अध्ययन के लिए करियर गाइडेंस भी देना चाहते हैं।