झुंझुनूं : सरकार एचआईवी पीडि़तों के लिए भले ही हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन फिर भी एचआईवी पीड़ितों की जान बचाई नहीं जा पा रही है। आलम ये है कि अकेले झुंझुनूं जिले में पिछले नौ वर्ष के दौरान 350 एचआईवी पीड़ित मौत का ग्रास बन चुके हैं, जो पीड़ितों की उपचार व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। सवाल इस लिए भी उठ रहे हैं।
यह है हकीकत
एआरटी सेंटर पर आने वाले मरीजों में अधिकांश वे लोग हैं जिनका व्यवसाय के काम से बाहर आना-जाना लगा रहता है। एचआईवी पीडि़तों में बुहाना, सुरजगढ़, चिड़ावा, नवलगढ़, पिलानी, झुंझुनूं, मलसीसर तहसील के लोग शामिल हैं। एआरटी सेंटर की जानकारी के अनुसार एचआईवी पीडि़त मरीजों में सर्वाधिक संख्या 30 से 50 आयु वर्ष के बीच है।
हर साल 100 से ज्यादा रोगी नए
पिछले वर्षों का औसत देखा जाए तो प्रति वर्ष जिले में 80 से ज्यादा एचआईवी पीडित बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद जिला मुख्यालय पर एचआईवी पीडि़तों के लिए सैकंड लाइन ट्रीटमेंट सुविधा नहीं है।
फैक्ट फाइल
जिले में 2013 से 2022 तक पंजीकृत मरीज- 1859
वर्तमान में इलाज चल रहा है 1159
2013 से 2022 की अवधि में मौत- 350
पुरुष- 240
महिला-97
युवक 15
युवतियां-9