जोधपुर : राजस्थान के जोधपुर जिले में एक नाबालिग लड़की मां बन गई। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने उसके प्रेमी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा- अदालत किसी नाबालिग के साथ संबंध बनाने के पक्ष में नहीं हैं और न ही किसी को ऐसा करने की अनुमति देता है।
यह सत्य है कि प्यार किसी कानून या सामाजिक नियम को ध्यान में रखकर नहीं होता है। नादानी में दोनों के बीच सबंध बने, जिससे एक बच्चा पैदा हो गया। लड़की नाबलिग है, लेकिन अगर हम इस मामले को आगे बढ़ाते हैं तो तीन जिंदगी खराब होंगीं, इसका असर दोनों परिवारों पर भी पड़ेगा। ऐसे में आरोपी प्रेमी के खिलाफ दर्ज पॉक्सो केस रद्द किया जाता है। चलिए, अब इस मामले को विस्तार से जानते हैं।
दरअसल, यह मामला जोधपुर जिले का है। चार अगस्त को पेट में दर्द होने की शिकायत पर एक परिवार के लोग अपनी 16 साल की बेटी को अस्पताल लेकर आए थे। उम्मेद अस्पताल के डॉक्टरों ने लड़की की जांच की तो वह गर्भवती पाई गई, जहां कुछ दिन बाद उसने के एक लड़के को जन्म दिया। इसके बाद मामला पुलिस के पास पहुंचा। पुलिस को दिए अपने बयान में पीड़िता ने कहा कि उसका एक 22 साल के लड़के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था। इस दौरान दोनों ने आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए, इससे वह गर्भवती हो गई। पीड़िता के बयान के आधार पर पुलिस ने प्रेमी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी।
नाबालिग के प्रेमी के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद मामला कोर्ट पहुंचा। आरोपी युवक के वकील ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें उसने कहा कि याचिकाकर्ता और नाबालिग के बीच प्रेम प्रसंग थे। जिससे वह गर्भवती हो गई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। पीड़िता और उसके परिजनों ने कोई केस दर्ज नहीं कराया, पुलिस ने अपनी ओर से मामला दर्ज किया है। दोनों परिवार वाले अपने बच्चों के अपनान के लिए तैयार हैं। वह नहीं चाहते की याचिकाकर्ता को सजा हो। ऐसे में इस मामले को खत्म किया जाए।
13 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि 16 साल की लड़की को 22 साल के युवक से प्रेम हो गया। जिसके बाद दोनों में संबंध बने और फिर एक बच्चे का जन्म हुआ। परिजनों की ओर से इस मामले की कोई शिकायत नहीं की गई। लड़की ने भी अपने बयान में कहा कि उसने अपनी से प्रेमी के साथ संबंध बनाए। दोनों के माता-पिता भी बच्चों की गलती को माफ कर शादी कराने के लिए तैयार है। अगर, यह केस आगे बढ़ता है तो लड़के को कम से कम 10 साल की सजा होगी। इसका सीधा असर लड़की उसके बच्चे और दोनों परिवारों पर पड़ेगा। इन हालातों को देखते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ देवनगर पुलिस थाने में दर्ज केस को निरस्त किया जाना न्याय हित में होगा।
दोनों पक्षों के माता-पिता कोर्ट में मौजूद थे।
याचिकाकर्ता के वकील गजेंद्र पंवार ने कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता और नाबालिग के बीच प्रेम संबंध था. इससे नाबालिग गर्भवती हो गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। इस मामले में न तो पीड़िता ने और न ही उसके परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. पूरा मामला पुलिस ने अपनी ओर से दर्ज किया है। बाद में दोनों परिवारों के बीच समझौता हो गया। दोनों परिवार नहीं चाहते कि इस मामले में याचिकाकर्ता को सजा मिले।
कोर्ट में कहा- एफआईआर रद्द करना न्याय के हित में है
इस मामले का फैसला 13 अक्टूबर को आया था। फैसला सुनाते हुए जज ने कहा- 16 साल की लड़की को 22 साल के लड़के से प्यार हो गया। दोनों की अज्ञानता कानून पर भारी पड़ी। इस मामले में पुलिस ने अपनी ओर से शिकायत दर्ज कराई थी और लड़की या उसके परिजनों की ओर से कोई शिकायत नहीं की गई थी.