Dr Vikas DivyaKirti Drishti IAS Video Controversy: देश भर में कोचिंग गुरु डॉ विकास दिव्यकीर्ति के विवादित वीडियो क्लिप को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है। सोशल मीडिया पर एक ओर से लोग उन्हें हिंदू विरोधी बताकर भगवान श्रीराम और देवी सीता के अपमान का आरोप लगा रहे हैं, वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं। विवादित वीडियो क्लिप में दिव्यकीर्ति रामायण की चौपाइयों का संदर्भ देते हुए श्रीराम के हवाले से सीताजी को लेकर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं। इसके अलावा एक और वीडियो क्लिप में शम्बूक वध का हवाला देते हुए कथित तौर पर श्रीराम पर जातिगत भेदभाव और दलित विरोधी होने का आरोप लगाने की चेष्टा की गई है। आइए जानते हैं क्या है पूरा विवाद और क्या है डॉ विकास दिव्यकीर्ति की सफाई?
सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक पर विरोध
ट्विटर पर भी यह मुद्दा लगातार ट्रेंड में बना हुआ है। वायरल वीडियो में वे श्रीराम के हवाले से कह रहे हैं कि सीते अगर तुम्हे लगता है रावण से युद्ध मैंने तुम्हारे लिए लड़ा है तो यह तुम्हारी गलतफहमी है। यह युद्ध मैंनें अपने कुल के सम्मान के लिए लड़ा है। इतना ही नहीं, इसके आगे भी दिव्यकीर्ति ने पुस्तक का संदर्भ देते हुए एक और विवादित बात कही, जिसे हम यहां नहीं लिख सकते हैं।
डॉ दिव्यकीर्ति बोले- जेएनयू प्रोफेसर की पुस्तक में है रेफरेंस
पुस्तक में रामायण और महाभारत का संदर्भ
अपमानजनक तरीके से समझाना भी विरोध का कारण
वीडियो में डॉ विकास दिव्यकीर्ति हंसते हुए देवी सीता पर अमर्यादित एवं अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं। हालांकि, वे कथित तौर पर पुस्तक का संदर्भ दे रहे हैं, लेकिन उनकी कक्षा में मौजूद छात्र भी ठहाका मारकर हंस रहे हैं। इस अपमानजनक रवैये से लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है। हिंदू समाज के लिए भगवान श्रीराम एवं देवी सीता आस्था के केंद्र हैं और रामायण एक पवित्र और पूजनीय ग्रंथ है।
सीता-राम और रामायण घर-घर में पूजे जाते हैं और आम आदमी के लिए राम मर्यादा पुरुषोत्तम माने गए है। उनके बारे में ऐसी टिप्पणी कोई स्वीकार नहीं सकता है। हालांकि, डॉ विकास दिव्यकीर्ति ने पुस्तक का संदर्भ दिया है और पुस्तक लिखने वाले पुरुषोत्तम अग्रवाल ने उत्तर रामायण का संदर्भ दिया है। जबकि हिंदू जनमानस में प्रचलित है कि वाल्मिकी ने उत्तर रामायण लिखी ही नहीं थी और समाज का एक बड़ा वर्ग इसे मनगढ़ंत बताता आया है।
नुपूर शर्मा की टिप्पणी पर भी हुआ था बवाल
हिंदी साहित्य के प्रोफेसर रह चुके हैं डॉ. दिव्यकीर्ति