सीकर : एक्सीडेंट कुत्ते के कारण, पुलिस ने बेगुनाह को फंसाया:80 लाख के लिए झूठी कहानी, कोर्ट ने कहा – SP पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करें

सीकर : 10 साल पहले 80 लाख का क्लेम उठाने के लिए कुत्ते को मार्शल जीप बताया गया था। 10 साल में 77 तारीख पड़ी। अलग-अलग बयान हुए। कोर्ट फैसला सुनाने वाली ही थी कि 5 मिनट पहले सच सामने आया और पूरा केस पलट गया।

काेर्ट में तीन लोगों की गवाही हुई जो पलट गए और पूरे केस का सच सामने आया। ये वे गवाह थे जो पुलिस ने फर्जी क्लेम उठाने के लिए तैयार किए थे। 10 साल बाद 18 अक्टूबर को फैसला आया।

मार्शल ड्राइवर सुभाषचंद्र जिस पर एक्सीडेंट का आरोप लगा था उसे डीएसपी की जांच के बाद बरी किया गया। कोर्ट ने सीकर एसपी को आदेश दिया। कहा– गलत जांच करने वाले दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक्शन लेकर कोर्ट को बताएं।

इस मामले में पुलिस ने कुत्ते को मार्शल जीप दिखाया।। इतना ही नहीं पुलिस ने जो फर्जी गवाह कोर्ट में पेश किए थे लेकिन वे भी पलट गए। कॉन्स्टेबल सुरेंद्र कुमार ने बयान दिए कि एक्सीडेंट होने वाली मार्शल गाड़ी पर एक्सीडेंट के कोई निशान ही नहीं थे। पुलिस मार्शल गाड़ी व ड्राइवर की गलती को कोर्ट में साबित नहीं कर पाएं और पूरा केस झूठा निकला।

पढ़िए कैसे इस मामले का खुलासा हुआ और गवाह पलटते गए

पहले जानें क्या था मामला

उदयपुरवाटी के छापोली के रहने वाले दिनेश कुमार पुत्र बंशीधर ने 10 अगस्त 2011 को मामला दर्ज कराया कि सुबह नौ बजे उसका भाई रमेश रोहिला पुत्र बंशीधर सीकर से चिराना बाइक लेकर जा रहा था। सूचना मिली कि रास्ते में रामपुरा रोड पर बस स्टैंड के पास किसी अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। रमेश रोहिला चिराना की सीएचसी में मेल नर्स था। दादिया पुलिस ने मुकदमा नंबर 288/11 पर आईपीसी 279,304ए में दर्ज कर जांच कर शुरू दी गई।

खुद थानाधिकारी भंवरलाल ने रिपोर्ट में नोट डाला

सबसे खास बात है कि घटना के समय थानाधिकारी भंवरलाल दादिया थाने में पोस्टेड़ थे। तब वे ही मौके पर पहुंचे थे। 108 एंबुलेंस के ड्राइवर ने शव को ले जाने से मना कर दिया था, तब शव नहीं उठाने पर लोगों ने प्रदर्शन भी किया था।

मामला शांत होने के बाद वे थाने लौटे और रिपोर्ट में लिखा कि कुत्ते के सामने आने पर हादसा हुआ। बाइक को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा। जबकि बाद में ट्रांसफर होकर आए एसआई मदनलाल कड़वासरा ने जांच को बदलवा कर फर्जी क्लेम के लिए एएसआई बनवारीलाल के साथ मिलकर कोर्ट में चार्जशीट पेश की।

पुलिस की दो जांच, दोनों अलग-अलग

पहली जांच में हकीकत

दादिया थाने में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद ASI हरिसिंह ने जांच की। पोस्टमार्टम करवाने के बाद मौके की रिपोर्ट तैयार की गई। मौके पर पहुंच कर गवाहों के बयान लिए। सामने आया कि रमेश रोहिला 10 अगस्त 2011 को सुबह 9 बजे सीकर से उदयपुरवाटी साइड से बाइक नंबर आरजे 02- 10एम 3190 लेकर जा रहा था।

रामपुरा बस स्टैंड से करीब 100 कदम पहले रघुनाथगढ़ की साइड में पहुंचने पर सामने कुत्ता आ गया। कुत्ते को बचाने की कोशिश में रमेश सड़क पर गिर गया और उसके सिर में काफी चोट लगी। उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

108 एंबुलेंस पहुंची तो मौत होने के कारण कर्मचारियों ने शव ले जाने से मना कर दिया। ग्रामीणों ने शव सड़क पर रखकर जाम लगा दिया।

दादिया पुलिस ने सड़क जाम करने पर मुकदमा नंबर 117/2011 दर्ज किया। एएसआई हरिसिंह ने जांच में बाइक के कुत्ते के सामने आने पर एक्सीडेंट मानते हुए FR लगा कर कोर्ट में 17 नवम्बर 2011 को पेश कर दी।

दूसरी जांच में कुत्ते को बना दिया मार्शल

कोर्ट में FR पेश होने के बाद पीड़ित पक्ष ने जांच अधिकारी बदलकर दोबारा निष्पक्ष जांच कराने की अपील की। तब दादिया थाने में पोस्टेड ASI बनवारीलाल को जांच सौंपी गई। ASI बनवारीलाल ने दोबारा घटनास्थल पर जाकर मौका मुआयना कराया।

इसके बाद पीड़ित पक्ष के कहने पर ही उन्होंने गवाह तैयार लिए। उन्होंने जांच रिपोर्ट में आरजे-21 यू-0392 नंबर की मार्शल गाड़ी से एक्सीडेंट होना दिखाया। एएसआई बनवारीलाल ने नागौर आरटीओ व झुंझुनूं से गाड़ी का रिकॉर्ड निकलवाया। गवाहों के बयान रिकॉर्ड किए गए। मार्शल चालक सुभाषचंद को नोटिस दिए गए।

ड्राइवर सुभाषचंद (22) पुत्र महलाराम बलाई निवासी बासड़ी, मालसीसर को एक्सीडेंट में आरोपी माना। तत्कालीन SI मदनलाल कड़वासरा से 25 फरवरी 2014 को चालान पेश करने के आदेश लिए। फिर कोर्ट में 28 अप्रैल 2014 को आईपीसी 279, 304ए में चार्जशीट नंबर 31 पेश कर दी।

डीएसपी ने ही पुलिस जांच पर सवाल उठाए

DSP अयूब खां ने सीकर SP के आदेश मिलने के बाद फर्जी क्लेम के मामले की जांच शुरू की। उन्होंने गवाह कालूराम, मनोज कुमार, महावीर सिंह, हरिलाल, दुर्गाप्रसाद व दिनेश कुमार को दोबारा बयान देने के लिए बुलाया।

हरिलाल व दुर्गाप्रसाद ने पहले के दिए बयानों के आधार पर ही कुत्ते से एक्सीडेंट बताया, लेकिन एएसआई बनवारीलाल ने मार्शल गाड़ी से एक्सीडेंट होना बता दिया था। दोनों खुद के ही बयानों को पलटते रहे।

कालूराम व मनोज कुमार से पहले बयान नहीं हुए थे। उन्होंने एएसआई बनवारीलाल के समक्ष मार्शल से एकसीडेंट होने की बात कहीं। इन दोनों गवाहों को बाद में सेटिंग कर तैयार किया गया था। यही वजह है कि दोनों घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सके। महावीर सिंह ने पहली और तीसरी जांच में कुत्ते से एक्सीडेंट होने की बात कही।

डीएसपी अयूब खां ने जांच करने के बाद सीकर एसपी को 19 जून 2018 को जांच रिपोर्ट सौंप दी। लेकिन तब से सीकर एसपी ऑफिस में ही जांच पड़ी रही। जांच को कोर्ट में पेश नहीं हुई थी

पुलिस के तीन गवाह कोर्ट में कैसे पलटे…जिन्हें सही आधार माना

पहला गवाह : पुलिस ने फाइल में एक चश्मदीद गवाह मनोज कुमार को बनाया था। जिसने कोर्ट में बोला कि सात-आठ साल पहले की बात है। वह गांव से एक लड़के को मोटरसाइकिल पर छोड़ने सीकर आ रहा था। वह रामपुरा स्टैंड पर पहुंचा तो ओवरटेक करते हुए एक मार्शल गाड़ी आई और एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। मार्शल गाड़ी के ड्राइवर का पता नहीं है। गाड़ी के नंबर भी पता नहीं है। किसकी गलती से एक्सीडेंट हुआ, ये भी पता नहीं है। बहस में पुलिस के बयानों से उसने मना कर दिया।

दूसरा गवाह : पुलिस के दूसरे गवाह रणवीर सिंह ने कोर्ट में कहा कि आज से आठ-नौ साल पहले रामपुरा स्टैंड पर एक्सीडेंट हुआ था। एक मोटरसाइकिल व मार्शल की आपस में टक्कर हुई थी। मार्शल के नंबरों का पता नहीं है। वह घटना के समय पेशाब कर रहा था, इसलिए पता नहीं कि गलती किस वाहन की है। वह ड्राइवर को भी नहीं जानता है। पुलिस के बयानों का भी उसने मना कर दिया।

तीसरा गवाह : दुर्गाप्रसाद ने कोर्ट में बताया कि आठ-नौ साल पहले रामपुरा बस स्टैंड पर एक्सीडेंट हुआ था। गाड़ी उदयपुरवाटी की ओर से सीकर की तरफ जा रही थी, मोटरसाइकिल सीकर की तरफ जा रही थी। गलती किसकी थी, पता नहीं है। वह ड्राइवर को नहीं जानता है। पुलिस के महत्वपूर्ण तीनों गवाहों ने कोर्ट में गाड़ी और ड्राइवर के बारें में कुछ पता नहीं होने की बात कहीं है।

गाड़ी मालिक बोला : खाली कागज पर साइन कराएं

कोर्ट में पुलिस ने मार्शल गाड़ी के मालिक शेर अली को भी पेश कर बयान करवाए गए थे। कोर्ट में उसने बताया कि RJ21U0392 मेरी गाड़ी है। पुलिस ने गाड़ी को जब्त किया था। उसके पास 133MVका नोटिस दिया था। उसने बताया कि पुलिस ने थाने में बुलाकर खाली कागज पर साइन करवा लिए थे। कागज में अंदर क्या लिखा है, उसे कुछ पता नहीं है। उसने बोला कि किस गाड़ी से एक्सीडेंट हुआ, उसे पता नहीं।

कोर्ट ने सीकर एसपी को दिए आदेश

कुडली कोर्ट मजिस्ट्रेट RJS सोनिया ने 18 अक्टूबर के आदेश में लिखा है कि गलत जांच करने वाले दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करें। उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई इसकी जानकारी कोर्ट को भी बताएं।

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