नई दिल्ली: आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने दिल्ली सरकार से डीजल पर चलने वाले मध्यम और भारी गुड्स वाहनों के दिल्ली में प्रवेश को बैन करने के दिल्ली सरकार के आदेश का विरोध किया है। आल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के चेयरमैन श्री के एस अटवाल ने कहा की दिल्ली सरकार के तुगलकी आदेशों के बाद देश के बिभिन्न हिस्सों से राजधानी दिल्ली के लिए डिस्पैच किये गए लगभग 150 ट्रक दिल्ली बॉर्डर पर खड़े हैं तथा मुंबई, चेन्नई, कोलकत्ता आदि महानगरों से सामान लेकर दिल्ली के लिए आ रहे लगभग एक हज़ार ट्रक अगले एक हफ्ते तक दिल्ली सीमा पर फस जायेंगे।
चेयरमैन श्री के एस अटवाल ने कहा की लम्बी दुरी पर समान ढोने बाले ट्रक केवल डीजल पर ही चलते हैं क्योंकि इन बाहनों के सीएनजी या इलेक्ट्रिक मोड पर चार्जिंग की सरकार ने व्यवस्था ही नहीं की है। उन्होंने कहा की इससे राजधानी दिल्ली में अनेक वस्तुओं की कमी हो जाएगी तथा विवाह, शादियों और त्योहारों के सीजन में लोगों को अनेक दिक्क्तों का सामना करना पड़ेगा तथा राजधानी दिल्ली का व्यापार ठप्प हो जायेगा क्योंकि अनेक वस्तुओं की कमी के चलते लोग पड़ोसी राज्यों नॉएडा, गुडगाँव, फरीदाबाद, जयपुर आदि शहरों में खरीददारी करने के लिए मजबूर होंगे।
चेयरमैन श्री के एस अटवाल ने कहा की दिल्ली सरकार हर साल प्रदूषण की आड़ में ट्रकों के प्रवेश को बैन करके खानापूर्ति कर देती है तथा प्रदूषण का ठीकरा ट्रकों पर फोड़ती है जिससे ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े अनेक परिवारों पर रोजी रोटी का संकट पैदा हो जाता है तथा राजधानी दिल्ली का व्यापार ठप्प हो जाता है। उन्होंने कहा की दिल्ली सरकार साल 2015 से दिल्ली में प्रवेश करने वाले ट्रकों से ग्रीन टैक्स बसूल कर रही है। उन्होंने कहा दिल्ली सरकार राजधानी में प्रवेश करने बाले सामान से लदे भारी बाहन से 2600 रूपये और माध्यम बाहन 1400 रूपये प्रति एन्ट्री ग्रीन टैक्स बसूलती है जबकि खाली भारी वाहन की प्रत्येक एंट्री पर 1300 रूपये और माध्यम वाहन 700 रूपये प्रति एन्ट्री ग्रीन टैक्स बसूलती है।
दिल्ली सरकार वर्ष 2015 से ट्रकों से अब तक कुल 1355 करोड़ रूपये ग्रीन टैक्स बसूल चुकी है जबकि दिल्ली सरकार ने अब तक कुल वसूल किए गए ग्रीन टैक्स में से मात्र 290 करोड़ रूपये गैर उत्पादक कार्यों के लिए खर्च किये हैं जिससे दिल्ली सरकार की संजीदगी जाहिर होती है। उन्होंने कहा की दिल्ली सरकार के निर्णय से ट्रांसपोर्ट उद्योग पर आये संकट की स्थिति पर चर्चा के लिए ट्रांसपोर्ट उद्योग से जुडी बिभिन्न संगठनों की बैठक इस हफ्ते बुलाई गई है जिसमे आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा की अगर सरकार ने अपना निर्णय वापिस नहीं लिया तो ट्रांसपोर्ट कांग्रेस संघर्ष की राह पकड़ेगी।