झुंझुनूं : महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजना फ्लॉप साबित हो रही है। रोजगार की बात हो या ऋण की सरकार किसी ना किसी तरह से महिलाओं को रोजगार से जोड़कर उन्हें मजबूत करने की तमाम कोशिशें कर रही है, लेकिन इन प्रयासों को सरकार के अपने ही लोग विफल करने में लगे हुए है। झुंझुनूं में अब तक 2709 महिलाओं ने आवेदन किए है, लेकिन 360 को ही ऋण दिया गया है।
महिला अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक विप्लव न्यौला ने बताया कि योजना के तहत जिले में प्राप्त करीब 2709 आवेदनों को कार्यालय स्तर की प्रक्रिया पूर्ण कर बैंकों को भेजा गया था। इस संबंध में बैंकों की ओर से पोर्टल पर जारी की गई सूचना के मुताबिक जिले में कुल 360 आवेदनों में 148892373 रुपए की राशि वितरित की गई है।
महिलाओं की फाइलों से मुंह रहे हैं बैंकर्स
सरकारी वित्तीय संस्थानों में बैठे जिम्मेदार महिलाओं के नाम से पहुंचने वाली अधिकांश फाइलों से मुंह मोड़ रहे हैं। महिलाओं की ओर लोन के लिए बैंकों में दी जाने वाली फाइलों को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है। बार बार बैंक के चक्कर लगवाए जाते हैं, इससे आवेदन करने वाली महिलाओं को निराशा हाथ लग रही है।
इंदिरा महिला उद्यम प्रोत्साहन योजना
राज्य सरकार की ओर से महिला अधिकारिता विभाग के माध्यम से इंदिरा महिला उद्यम प्रोत्साहन योजना शुरू की हुई है। योजना के तहत महिलाओं और महिला स्वयं सहायता समूहों को आय जनक गतिविधियों से जोड़ने के लिए अनुदान देने का प्रावधान है। योजना के तहत व्यक्तिगत महिला उद्यमी अथवा स्वयं सहायता समूह को 50 लाख रूपए तक और समूहों के समूह के रूप में विद्यमान क्लस्टर या फेडरेशन को 1 करोड़ रूपए तक की ऋण सुविधा है। ऋण राशि का 25 प्रतिशत अनुदान, वंचित वर्ग (एसटी एससी, विधवा, परित्यकता) को 30 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है।
इसमें उद्योग, सेवा, व्यापार, डेयरी व कृषि आधारित उद्यम आदि कई क्षेत्रों के लिए ऋण सुविधा है। आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन है।
अब तक 2709 आवेदन हुए
इस योजना के तहत 01 नवम्बर 2022 तक जिले में 2709 आवेदन किए गए। पोर्टल पर जारी किए गए विवरण के अनुसार मात्र 360 आवेदकों को ऋण वितरित किया गया है। इन 360 ऋण में मात्र 148892373 रुपये की राशि वितरित की गई है। योजना की धीमी चाल का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महज अब तक 360 महिलाओं को ही ऋण मिल पाया है, जबकि हजारों आवेदक महिलाएं अभी भी कतार में हैं। ऐसे में महिलाओं के प्रोत्साहन के लिए मिलने वाली राशि पर बैंक डाले कुंडली डाले बैठे है। इससे महिलाओं को निराशा हाथ लग रही है।