चुरू : श्रापित: इस पहाड़ी का पत्थर कोई भी ग्रामीण घर नहीं ले जाता

चूरू : जिले के सादुलपुर तहसील का एक ऐसा गांव जो सैकड़ों साल पूर्व खण्डहरों में तब्दील हो गया था जो आज भी आबाद है। किदवंती के अनुसार एक बेटी के श्राप से यह गांव पत्थर का बन गया था। तहसील मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर गांव रेजड़ी तहसील की एकमात्र लावा निर्मित ग्रेनाइट पहाड़ी के पास बसा हुआ है। पहाड़ी की शक्ल में उजड़ा हुआ प्राचीन रेजड़ी गांव पत्थर की सूरत में आज भी अपने इतिहास की गवाही दे रहा है। जानकारों के अनुसार गांव की एक विवाहिता बेटी ने अपने पुत्र जन्म के समय भाई से शुद्ध देसी घी मंगवाया था उसने अपनी सास की ओर से जमाए घी को खाने से इंकार कर दिया। भाई घी लेकर बहन के घर आया तो ऊपरी भाग में घी था लेकिन नीचे गोबर भरा हुआ था।

रेजड़ी पहाड़ी पर अभी है अवशेष
पीहर पक्ष के इस बर्ताव को वह सहन नहीं कर पाई और भाई के सामने ही श्राप दे दिया कि सारा रेजड़ी गांव पत्थर का हो जाए मान्यता है कि तभी से तत्कालीन सार रेजड़ी गांव पशु पखेरू सहित पत्थर का हो गया था तत्कालीन मकानों ओर बटोडे झोपड़ी बनावट रेजड़ी की पहाड़ी पर आज भी स्पष्ट दिखाई देती है। पत्थर की कई शिलाओं में मानव मुहूर्त झलक रही है शापित पहाड़ी क्षेत्र में आज भी देवी माता का पूजा
स्थल है।
समय के थपेड़े से बदला मूल रूप
एडवोकेट हरदीप ने बताया कि पहाड़ी पर विस्फोट व प्राकृतिक आपदाओं के चलते आकृतियां अपना मूल स्वरूप खो चुकी है शापित रेजड़ी की पहाड़ी का पत्थर कोई भी ग्रामीण अपने घर नहीं ले जाता है। वर्तमान रेजड़ी गांव पुराने रेजड़ी गांव को पार कर वर्तमान रेजड़ी गांव पहुंचते ही एक खुशहाल गांव की तस्वीर नजर आती है रेजड़ी गांव में विभिन्न जातियों के करीब 300 घर हैं यहां की जनसंख्या लगभग 1200 से अधिक है जिनमें से करीब 1100 सौ व्यक्ति मतदाता के रूप में पंजीकृत है। गांव में नौकरी पेशे के लोग अधिक हैं 100 से अधिक व्यक्ति विभिन्न सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। यहां के अधिकतर लोग बरानी खेती पर आश्रित है।
गांव की यह है मुख्य समस्या
रेजड़ी गांव तहसील व जिला मुख्यालय से काफी दूर है। सड़क क्षतिग्रस्त है केवल आठवीं कक्षा तक का सरकारी स्कूल है कोई खेल मैदान नहीं है इसके अलावा पिछले कई दिनों से आपणी योजना के पेयजल की भी किल्लत हो गई है इस बार बारिश के अभाव में फसले चौपट हो गई
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