चूरू : रेख़्ता फाउंडेशन की ओर से जोधपुर में चल रहे अंजस महोत्सव में रविवार को चूरू के साहित्यकार कुमार अजय ने ‘साहित्यिक पत्रकारिता में भाषा’ विषय पर आयोजित सेशन में शिरकत की और अपनी बात रखी। सेशन को संबोधित करते हुए साहित्य अकादेमी अवार्डी लेखक रामस्वरूप किसान ने कहा कि जन आवाज को स्वर देने में साहित्यिक पत्रकारिता की अहम भूमिका है और भाषा को बरतते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि इस पत्रकारिता के पीछे हमारा लक्ष्य क्या है। नामचीन पत्रकार और माणक के संपादक पदम् मेहता ने राजस्थानी पत्रकारिता के इतिहास और इसकी ताकत पर चर्चा करते हुए कहा कि भाषा के विकास और मान्यता में हमारे लिए पत्रकारिता की ताकत उपयोगी साबित होगी। राजस्थली के संपादक वरिष्ठ लेखक श्याम महर्षि में कहा कि राजस्थान के किसी भी अंचल में लिखी गयी रचना को सारे राजस्थान के लोग पढ़ते समझते हैं और इस प्रकार कहा जा सकता है कि भाषा की एकरूपता का सवाल वास्तव में इतनी बड़ी समस्या नहीं है जितना उसे प्रचारित किया जाता है।
युवा लेखक कुमार अजय ने कहा कि पत्रकारिता की भाषा को आमजन के करीब होना चाहिये और इसमें वैचारिक प्रतिरोध तो जरूरी है ही। उन्होंने कहा कि संपादन करते समय यह बड़ी चुनौती रहती है कि रचना की आत्मा प्रभावित नहीं हो।
साहित्यकार हरिमोहन सारस्वत रूंख ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजस्थानी साहित्यिक पत्रकारिता की दशा और दिशा पर चर्चा की।
इस दौरान राजस्थानी के नामचीन लेखक पद्मश्री सीपी देवल, साहित्य अकादेमी के राजस्थानी परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य, मालचंद तिवाड़ी, नीरज दईया, सत्यनारायण सोनी, घनश्याम नाथ कच्छावा, अमित तिवारी, राजेन्द्र देथा समेत बड़ी संख्या में साहित्यकर, साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।