खेतड़ी : दीपोत्सव पर बाजार सजकर तैयार हैं। इस बाद धनेतरस दो दिन होने से बाजार से लेकर घरों तक उत्साह है। इस बार त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर शाम 6:04 बजे से 23 अक्टूबर शाम 6:04 बजे तक रहेगी। ज्योतिषास्त्रियों के अनुसार धन त्रयोदशी उस दिन होती है, जब प्रदोष काल में त्रयोदशी हो। साथ ही रात्रि के निशीथ काल में भी त्रयोदशी हो। प्रदोष काल और निशीथ काल में त्रयोदशी 22 अक्टूबर को रहेगी। ऐसे में 22 को धनतेरस का दीप दान और खरीदारी करना श्रेष्ठ रहेगा। जबकि 23 अक्टूबर को पूरे दिन त्रयोदशी होने से धन्वन्तरि पूजन अवश्य उस दिन होगा। धनतेरस के दिन शनिवार को त्रिपुष्कर योग और शनि प्रदोष भी रहेगा।
पंडित सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि धनतेरस का दिन वैसे तो अबूझ व स्वयं सिद्ध मुहूर्त है लेकिन चौघड़िया मुहूर्त के आधार पर भी खरीदारी कर सकते हैं। बाजार में लोगों की भीड़ काफी उत्साह के साथ देखी जा रही है।
त्रिपुष्कर योग: तीन बार खरीदारी का मौका
धनतेरस के दिन अभीष्ट फलदायी त्रिपुष्कर योग दोपहर 1:50 से शाम 6:03 तक रहेगा। त्रिपुष्कर योग में की गई खरीदारी तीन बार और खरीदारी का मौका देती है। इसके अलावा धनतेरस पर शनि प्रदोष व्रत भी रहेगा। यह शिव की पूजा का विशेष फल देने वाला है।
24 को शाम छह बजे बाद महालक्ष्मी पूजा
प्रदोष काल में तेरस आने से 22 को धनतेरस और भगवान धन्वंतरि का जन्म मध्यान्ह में हुआ था, इसलिए धन्वंतरि पूजन 23 को होगा। अमावस्या प्रदोषकाल में 24 अक्टूबर को है। महालक्ष्मी पूजन 24 की रात ही होगा। चतुर्दशी 23 अक्टूबर की शाम 6:05 से 24 अक्टूबर को शाम 6 बजे तक है। फिर अमावस्या है। यानी महालक्ष्मी पूजन शाम 6 बजे बाद होगा।