नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी को 24 साल बाद पहला गैर-गांधी अध्यक्ष मिल गया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने शशि थरूर को 6825 वोटों से हरा दिया। खड़गे को 7897 वोट मिले, वहीं थरूर को 1072 वोट ही मिल सके। 416 वोट रिजेक्ट कर दिए गए।
नतीजों के तुरंत बाद थरूर ने खड़गे को बधाई दी और अपना साथ देने वालों को धन्यवाद दिया। इसके बाद ही वे खड़गे से मिलने उनके दिल्ली स्थित आवास पहुंचे। हालांकि, उनके चीफ इलेक्शन एजेंट सलमान सोज ने वोटिंग में धांधली का आरोप लगाया था। इधर, जीत के बाद खड़गे ने बताया कि वे शाम 4 से साढ़े 4 बजे के बीच मीडिया से बात करेंगे।
चुनाव में अनियमितताओं पर राहुल गांधी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बयान दिया था। बोले- मसले कांग्रेस इलेक्शन कमेटी में मधुसूदन मिस्त्री के सामने रख दिए गए हैं और वो फैसला लेंगे। राहुल ने वोटों की गिनती के बीच ही खड़गे की जीत की बात कह दी थी। जब उनसे पार्टी में रोल के बारे में सवाल किया गया तो कहा- खड़गेजी से पूछिए। अब वही तय करेंगे।
खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता
इस चुनाव में जीत के साथ ही खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले 65वें नेता हो गए हैं। वे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता हैं। बाबू जगजीवनराम कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले पहले दलित नेता थे। आजादी के बाद 75 साल में से 42 साल तक पार्टी की कमान गांधी परिवार के पास रही। वहीं, 33 साल पार्टी अध्यक्ष की बागडोर गांधी परिवार से अलग नेताओं के पास रही।
थरूर खेमे ने गड़बड़ियों का आरोप लगाया था
काउंटिंग के दौरान थरूर के चीफ इलेक्शन कैंपेनर सलमान सोज ने उत्तर प्रदेश, पंजाब और तेलंगाना में वोटिंग से पहले, पोलिंग के दौरान और मतदान के बाद गड़बड़ियों का आरोप लगाया था। सोज ने कहा था कि उन्होंने इस बारे में पार्टी के चुनाव प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री को बता दिया है।
राहुल बोले- कांग्रेस अकेली पार्टी, जहां चुनाव होते हैं
भारत जोड़ो यात्रा में आंध्र प्रदेश पहुंचे राहुल गांधी ने कहा, ‘कांग्रेस अकेली ऐसी पार्टी है, जिसमें इलेक्शन होता है और उसका अपना इलेक्शन कमीशन है। मैंने कांग्रेस इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन मधुसूदन मिस्त्री के साथ काम किया। वे काफी स्पष्ट वक्ता हैं। सारे मसले उनकी नजर में लाए गए हैं और वही एक्शन लेंगे। हर कोई कांग्रेस में चुनाव के बारे में पूछता है। मुझे कांग्रेस पर फख्र है, जिसमें ओपन और ट्रांसपेरेंट चुनाव हो रहे हैं। कोई दूसरी पार्टियों के भीतर चुनाव में इंट्रेस्ट क्यों नहीं लेता, चाहे वो भाजपा हो या दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां?’
आखिरी बार 1998 में वोटिंग से हुआ था चुनाव
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए आखिरी बार साल 1998 में वोटिंग हुई थी। तब सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद थे। सोनिया गांधी को करीब 7,448 वोट मिले, जबकि जितेंद्र प्रसाद 94 वोटों पर ही सिमट गए। सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से गांधी परिवार को कभी कोई चुनौती नहीं मिली। इस बार राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से इनकार करने के बाद पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने का फैसला लिया गया था।
ऐसे हुई AICC प्रेसिडेंट इलेक्शन की काउंटिंग
पार्टी अध्यक्ष पद के लिए 24 साल बाद हुए चुनाव के वोटों की गिनती सुबह 10 बजे शुरू हुई। चुनाव के लिए देशभर की सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों में बैलेट बॉक्स भेजे गए थे। 17 अक्टूबर को वोटिंग के बाद मतपेटियां नई दिल्ली के 24 अकबर रोड पर कांग्रेस मुख्यालय (AICC) लाई गई थीं। यहीं उनकी काउंटिंग की गई।
बुधवार को काउंटिंग शुरू होने से पहले मतपत्रों को आपस में मिक्स कर दिया गया, ताकि यह पता न चल सके कि किस उम्मीदवार को किस राज्य से कितने वोट मिले हैं। इसके बाद वोटों की छंटनी की गई। इस प्रक्रिया के बाद 50-50 मतपत्रों के बंच बनाकर उनकी काउंटिंग की गई। इस दौरान हर बंच की गिनती का रिकॉर्ड रखा गया।
36 पोलिंग स्टेशन पर 67 बूथों में हुई थी वोटिंग
कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी (CEA) ने चुनाव में 36 पोलिंग स्टेशनों पर 67 बूथ बनाए थे। सबसे ज्यादा 6 बूथ UP में थे। हर 200 डेलिगेट्स के लिए एक बूथ बनाया गया था। भारत जोड़ो यात्रा में शामिल राहुल गांधी समेत 47 डेलिगेट्स ने कर्नाटक के बेल्लारी में वोट डाला था। यहां यात्रा के कैंप पर एक कंटेनर में अलग से बूथ बनाया गया था।
नीचे दिए ग्राफिक में जानिए, 1947 में देश की आजादी के बाद से मल्लिकार्जुन खड़गे के चुने जाने तक कौन से नेता कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर काबिज रह चुके हैं।
थरूर ने कहा था- इतिहास याद रखेगा, हम खामोश नहीं थे
वोटिंग से पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों में शशि थरूर को पोलिंग एजेंट्स नहीं मिले। कांग्रेस ने इसके बाद नियमों में बदलाव किया और उन्हें पोलिंग एजेंट्स उपलब्ध कराए गए। कांग्रेस संविधान के मुताबिक वोट डालने वाले डेलिगेट्स ही पोलिंग एजेंट होते हैं। इसी बीच, शशि थरूर ने एक ट्वीट में लिखा- कुछ लड़ाइयां हम इसलिए भी लड़ते हैं कि इतिहास याद रख सके कि वर्तमान खामोश नहीं था।