भारत में निर्मित कफ सिरप पीने से गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत, डब्ल्यूएचओ ने दी चेतावनी, 4 कफ सिरप हैं शामिल

अफ्रीका : वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने बुधवार को भारत की फार्मास्युटिकल्स कंपनी के बनाए 4 कफ-सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया है। WHO ने कहा कि ये प्रोडक्ट मानकों पर खरे नहीं हैं। ये सुरक्षित नहीं हैं, खासतौर से बच्चों में इनके इस्तेमाल से गंभीर समस्या या फिर मौत का खतरा है।

WHO ने कहा कि गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत गुर्दों की हालत बेहद खराब हो जाने की वजह से हुई है। बहुत मुमकिन है कि इन सिरप के इस्तेमाल के चलते ही बच्चों की मौत हुई हो। ये प्रोडक्ट अभी सिर्फ गाम्बिया में पाए गए हैं।

WHO ने रिपोर्ट में कहा कि कफ-सिरप में डायथेलेन ग्लाईकोल (diethylene glycol) और इथिलेन ग्लाईकोल (ethylene glycol) की इतनी मात्रा है कि वजह इंसानों के लिए जानलेवा हो सकते हैं। दरअसल, इन कंपाउंड की वजह से भारत में भी बच्चों समेत 33 की जान जा चुकी है, लेकिन इन कंपाउंड पर बैन नहीं लगाया गया है।

WHO ने मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट जारी किया है। यह न केवल गाम्बिया जैसे देशों, बल्कि भारत के लिए भी बेहद गंभीर है। मामला बच्चों से जुड़ा है तो अलर्ट के मायने और व्यापक हो जाते हैं। कई सवाल हैं.. मसलन WHO की डिटेल रिपोर्ट, वो भारतीय कंपनी जहां इनका प्रोडक्शन हुआ, क्या ये सिरप भारत में भी बिक रहे हैं, क्या वाकई खतरनाक हैं?

इन सवालों के जवाब से पहले पढ़िए, जिन कंटेंट का WHO की रिपोर्ट में जिक्र.. उस पर भास्कर रिसर्च

कंपनी ने बंद की वेबसाइट: अलर्ट जारी होने के तुरंत बाद भास्कर ने मेडिकल एक्सपर्ट और अधिकारियों से बातचीत की। पता चला कि जिस कंपनी के सिरप पर सवाल हैं, उसने वेबसाइट बंद कर दी है, ताकि लोगों को ज्यादा जानकारी ना मिल सके।

जिन कंपाउंड जिक्र, वो स्वाद बढ़ाते हैं: शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक शर्मा ने बताया कि जिन कंपाउंड diethylene glycol और ethylene glycol का जिक्र WHO की रिपोर्ट में है, वह कार्बन कंपाउंड है। इसमें न खुश्बू होती है और न ही कलर। ये मीठा होता है। बच्चों के सिरप में सिर्फ इसलिए मिलाया जाता है ताकि वो आसानी से पी सकें।

मात्रा ज्यादा होने पर जानलेवा: दवाओं में ये कंपाउंड अधिकतम 0.14 मिलीग्राम प्रति किलो तक मिलाया जा सकता है। 1 ग्राम प्रति किलो से ज्यादा मिलाने पर ये मौत का कारण बन सकता है। WHO या इन कंपनी ने खुलासा नहीं किया कि जिन दवाओं से मौत हुई, उसमें इन कंपाउंड की कितनी मात्रा थी।

इंसानों पर 3 फेज में होता है इन कंपाउंड का असर
पहला फेज: पहले दो दिन में उल्टी-दस्त, पेट में दर्द। दिमाग सुन्न पड़ने लगता है। इसे माइनर कोमा भी कहा जाता है।

दूसरा फेज: तीसरे-चौथे दिन किडनी फेलियर हो जाता है। यूरिन पास नहीं हो पाता। ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। हृदय की गति भी अनियमित हो जाती है।

तीसरा फेज: पांचवें से दसवें दिन तक पैरालिसिस हो सकता है। व्यक्ति डीप कोमा में जा सकता है। मौत भी हो सकती है। अगर इन कंपाउंड के चलते एक बार मरीज गंभीर हो गया, उसे बचा भी लिया गया तो किडनी की समस्या रहती है। उसे डायलिसिस की जरूरत भी पड़ सकती है।

गाम्बिया में कफ सिरप के जिस कंपाउंड से 66 बच्चों की जान गई…वही भारत में भी ले चुका 33 की जान
diethylene glycol और ethylene glycol कंपाउंड का दवाओं में इस्तेमाल अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में प्रतिबंधित है। लेकिन भारत में भी दो बार इन केमिकल कंपाउंड की वजह से त्रासदी आ चुकी है।

1986: मुंबई में हुई थी 21 मरीजों की मौत
1986 में मुंबई के एक अस्पताल में कई मरीजों को इलाज के दौरान ग्लिसरीन दिया गया था। इसके बाद किडनी फेलियर की वजह से 21 मरीजों की मौत हो गई थी। जांच में पाया गया कि उन्हें दिए गए ग्लिसरीन में diethylene glycol मिला हुआ था।

2020: जम्मू-कश्मीर में 12 बच्चों की मौत कफ सिरप से हुई
2020 में चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टरों ने सेंट्रल ड्रग अथॉरिटी CDSCO को एक कफ सिरप COLDBEST की शिकायत की थी। इस कफ सिरप के इस्तेमाल से जम्मू-कश्मीर के उधमनगर के 12 बच्चों की मौत हो गई थी। इस कफ सिरप में भी diethylene glycol मिला हुआ था।

फिर भारत में प्रतिबंध क्यों नहीं?

  • diethylene glycol एक सॉल्वेंट है जिसका इस्तेमाल दवाओं, खासतौर पर सिरप में किया जाता है। मगर इसकी मात्रा प्रति एक किलो में 0.14 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं हो सकती।
  • बच्चों के सिरप में सॉल्वेंट के तौर पर मुख्यत: propylene glycol का इस्तेमाल किया जाता है। मगर इसके मुकाबले diethylene glycol सस्ता पड़ता है। इसी वजह से फार्मा कंपनियां इसका इस्तेमाल करती हैं।

और क्या इस्तेमाल हैं diethylene glycol के
यह केमिकल कंपाउंड ऑटोमोटिव इंडस्ट्री, एग्रोकेमिकल्स, पेंट्स में इस्तेमाल होता है। कई खाद्य व पेय पदार्थों में भी स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होता है।

जम्मू-कश्मीर में जिस कफ सिरप से बच्चों की मौत हुई…उस कंपनी पर आज तक FIR भी नहीं

  • जम्मू-कश्मीर में जिस कफ सिरप COLDBEST की वजह से 12 बच्चों की मौत हुई, उसे बनाने वाली कंपनी पर आज तक एफआईआर तक नहीं हुई है।
  • यह कंपनी डिजिटल विजन हिमाचल के काला अम्ब में दवाएं बनाती है। हिमाचल की ड्रग अथॉरिटी ने कंपनी के दवाएं बेचने पर फरवरी, 2020 में प्रतिबंध लगाया था।
  • हिमाचल हाईकोर्ट ने यह कहते हुए ड्रग अथॉरिटी का आदेश खारिज कर दिया कि कफ सिरप के जिस बैच में diethylene glycol मिला, उसके अलावा कहीं कोई गड़बड़ी साबित नहीं हुई है।
  • हिमाचल ड्रग अथॉरिटी ने अप्रैल, 2022 तक कंपनी पर कोई एफआईआर नहीं करवाई थी क्योंकि मरने वाले बच्चों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था। इसकी वजह से उनकी मौत को diethylene glycol से सीधे तौर पर नहीं जोड़ा जा सकता।

अब इस खबर से जुड़े सबसे जरूरी सवाल… पहला सवाल: WHO की डिटेल रिपोर्ट में क्या है?
1. सिरप के कंटेंट इंसानों के लिए जहरीले

WHO ने कहा कि सितंबर 2022 में चार कफ सिरप का इस्तेमाल गाम्बिया में किया जा रहा था। ये मानकों पर खरे नहीं उतर रहे थे। लैब में इनकी जांच पर पता चला कि सभी सिरप में diethylene glycol और ethylene glycol की इतनी मात्रा थी, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। ये गैरजरूरी थी। इंसान के लिए ये दोनों कंटेंट जहरीले हैं और घातक साबित हो सकते हैं।

2. मौत की वजह बन सकते हैं कंटेंट
इन सिरप में शामिल किए गए कंटेंट का मानव शरीर पर जहरीला असर पड़ता है। इसे पेट में दर्द, उल्टी, डायरिया, यूरिन न कर पाना, सिरदर्द, अस्थिर दिमागी स्थिति और किडनी में ऐसी चोट, जो मौत की वजह बन सकती है।

3. हिदायत दी, सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है
इन प्रोडक्ट के सभी बैच को तब तक असुरक्षित माना जाना चाहिए, जब तक कोई राष्ट्रीय निगरानी संस्था इनकी जांच न कर ले। बच्चों के लिए ये खासतौर से बेहद खतरनाक हो सकते हैं। इससे उनकी मौत भी हो सकती है। इन प्रोडक्ट को तुरंत ज्यादा जगहों पर फैलने से रोकना चाहिए। इनकी तुरंत पहचान की जानी चाहिए ताकि ये और ज्यादा मरीजों को नुकसान न पहुंचा सकें।

तस्वीर गाम्बिया के एक मेडिकल सेंटर की है। जहां एक महिला अपने बीमार बच्चे के चेकअप के लिए आई है।
तस्वीर गाम्बिया के एक मेडिकल सेंटर की है। जहां एक महिला अपने बीमार बच्चे के चेकअप के लिए आई है।

4. सिरप निर्माता हरियाणा की कंपनी, चारों सिरप के नाम बताए
WHO ने कहा कि चारों सिरप हरियाणा की मेडेन फार्मास्यूटिकल कंपनी बना रही है। सवालों में घिरे चारों कफ-सिरप के नाम प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ-सिरप, मकॉफ बेबी कफ-सिरप और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप हैं। फॉर्मास्यूटिकल्स कंपनी ने अभी तक WHO को इन सिरप के लिए सुरक्षा और क्वालिटी की गारंटी नहीं दी है।

5. गैरआधिकारिक जरिए से भेजे गए ये सिरप
WHO ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इन प्रोडक्ट्स की किन देशों में सप्लाई की गई है और सप्लाई किस तरह से की गई है, इसकी तुरंत पहचान होनी चाहिए। ऐसे गैरआधिकारिक और गैरकानूनी बाजारों की भी पहचान होनी चाहिए। सभी मेडिकल प्रोडक्ट्स का अप्रूवल और उनकी बिक्री आधिकारिक और लाइसेंसधारी सप्लायर्स से होना चाहिए। प्रोडक्ट की सत्यता और वास्तविक स्थिति की बेहद बारीक तरीके से जांच होनी चाहिए। कभी भी शक हो तो मेडिकल एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

6. वॉर्निंग दी- साइड इफेक्ट दिखे तो तुरंत सूचित करें
WHO ने कहा कि ऐसे घटिया प्रोडक्ट का इस्तेमाल कतई न करें। अगर आप या कोई और ऐसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहा है और कोई गंभीर साइड इफेक्ट दिखाई देता हो तो तुरंत मेडिकल एक्सपर्ट के पास जाएं। इसके अलावा अपने देश की संस्थाओं को सूचिंत करें।

दूसरा सवाल: WHO की रिपोर्ट के बाद क्या एक्शन हुआ?
भारत सरकार ने गाम्बिया में हुई मौतों के बाद अपनी जांच शुरू कर दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। WHO ने पिछले महीने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को इन मौतों के बारे में जानकारी दी थी। इसके बाद से ही DCGI ने अपनी जांच शुरू कर दी थी। राज्य सरकार के अधिकारी भी इसमें जुटे हैं। WHO ने अन्य देशों की स्वास्थ्य और मेडिकल संस्थाओं से कहा है कि अगर वहां भी ऐसे प्रोडक्ट की पहचान होती है तो तुरंत सूचना दें।

तीसरा सवाल: क्या केवल गाम्बिया भेजे गए सिरप, भारत में भी बिकते हैं?
WHO की रिपोर्ट से साफ जाहिर है कि ये प्रोडक्ट केवल गाम्बिया तक सीमित नहीं हैं। गाम्बिया में तो बच्चों की मौतों के बाद इनकी पहचान हुई और पता चला कि इनके कंटेंट जानलेवा हैं। WHO ने आशंका जाहिर की है कि गैरकानूनी और गैरआधिकारिक जरिए से ये सिरप अन्य देशों में भी भेजे गए होंगे।

कंपनी की भारतीय वेबसाइट शुरुआत में खुल नहीं रही थी। बाद में खुलने लगी। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट की ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ने कहा कि मेडेन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी के प्रोडक्ट अब तक तो केवल विदेशों में ही भेजे जाते हैं। अगर ड्रग कंट्रोलर ने कोई गाइडलाइन जारी की है तो इसका पालन किया जाएगा।

चौथा सवाल: हरियाणा की कंपनी कौन सी है?

हरियाणा की मेडन फार्मास्युटिकल लिमिटेड का नाम WHO रिपोर्ट में है। कंपनी 22 नवंबर 1990 में रजिस्टर्ड हुई थी। चार डायरेक्टरों वाली इस कंपनी की पिछले साल नवंबर में जनरल मीटिंग हुई है। कंपनी कागजों में एक्टिव है, लेकिन इस साल उसने अपनी बैलेंस शीट नहीं भरी है।

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