उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ पुलिस की मुठभेड़ों को लेकर उठ रहे सवालों के बीच योगी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कुछ नई गाइडलाइंस जारी की हैं। गाइडलाइंस के अनुसार, डीजीपी ने यूपी पुलिस को 10 नए दिशा-निर्देश दिए है। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य एनकाउंटर की घटनाओं में पारदर्शिता लाना और किसी भी संभावित आरोप या सवाल का जवाब देने के लिए पर्याप्त प्रमाण इकट्ठा करना है।
ये है एनकाउंटर के लिए जारी 10 प्रमुख दिशा-निर्देश
घटनास्थल की वीडियोग्राफी: एनकाउंटर की जगह की पूरी वीडियोग्राफी कराई जाएगी, ताकि बाद में जांच के दौरान कोई सवाल न उठ सके।
फॉरेंसिक जांच: एनकाउंटर स्थल पर फॉरेंसिक टीम द्वारा जांच की जाएगी, जिससे सभी तकनीकी साक्ष्य जुटाए जा सकें।
परिवार को सूचना: मुठभेड़ में मारे गए अपराधी के परिजनों को तुरंत घटना की जानकारी दी जाएगी।
जांच की निष्पक्षता: जिस इलाके में एनकाउंटर हुआ है, वहां की पुलिस घटना की जांच नहीं करेगी। जांच या तो किसी दूसरे थाने की पुलिस करेगी या फिर क्राइम ब्रांच को सौंपी जाएगी।
वरिष्ठ अफसरों की जांच: एनकाउंटर की जांच सिर्फ मुठभेड़ में शामिल पुलिस अधिकारियों से एक रैंक ऊपर के अधिकारी करेंगे।
हथियारों का सरेंडर: एनकाउंटर में इस्तेमाल किए गए पुलिस और अपराधी के हथियारों को जांच के लिए सरेंडर करना अनिवार्य होगा।
बैलिस्टिक परीक्षण: एनकाउंटर के दौरान अपराधी से बरामद हथियारों का बैलिस्टिक परीक्षण करना आवश्यक होगा।
पोस्टमार्टम और वीडियोग्राफी: मुठभेड़ में मारे गए अपराधी का पोस्टमार्टम दो डॉक्टरों के पैनल द्वारा किया जाएगा और इस प्रक्रिया की भी वीडियोग्राफी होगी।
घायल पुलिसकर्मी और अपराधी: एनकाउंटर में घायल होने वाले पुलिसकर्मियों और अपराधियों की मेडिकल रिपोर्ट को भी मामले में शामिल किया जाएगा।
न्यायिक जांच: एनकाउंटर के मामलों में सभी सबूत न्यायिक जांच में प्रस्तुत किए जाएंगे, ताकि केस का त्वरित निपटारा सुनिश्चित हो सके।
आपको बता दें कि इन नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य एनकाउंटर से जुड़े सभी मामलों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ाना है, ताकि किसी भी पक्ष को न्यायिक प्रक्रिया पर संदेह न हो।