केंद्र सरकार ने एक फरमान जारी कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े 58 साल पुराने बैन को हटा दिया। जिसके बाद अब RSS के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारी बेहिचक शामिल हो सकेंगे। लेकिन केंद्र सरकार के इस फैसले पर विपक्ष कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। इसी क्रम में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया व हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले को भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ बताते हुए ट्वीट कर लिखा है कि ‘इस कार्यालय ज्ञापन में कथित तौर पर दिखाया गया है कि सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध हटा दिया है। अगर यह सच है, तो यह भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ है। आरएसएस पर प्रतिबंध इसलिए है क्योंकि इसने संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। हर आरएसएस सदस्य हिंदुत्व को राष्ट्र से ऊपर रखने की शपथ लेता है। अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी आरएसएस का सदस्य है तो वह राष्ट्र के प्रति वफादार नहीं हो सकता।’
कांग्रेस सरकार ने लगाया था बैन
गौरतलब है कि 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने RSS के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर बैन लगा दिया था। लेकिन बीते दिन डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल और ट्रेनिंग ने एक आदेश जारी करते हुए इसे रद्द कर दिया। पहले के आदेश में सरकारी कर्मचारियों के RSS के कार्यक्रमों में शामिल होने पर सजा का प्रावधान था। सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद भी पेंशन आदि के लाभ को ध्यान में रखते हुए भी RSS के कार्यक्रमों में शामिल होने से बचते रहे थे। अब नए आदेश से सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है।