चेन्नई सुपर किंग्स ने अपने एक अहम मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स को 5 विकेट से हराया है। चेपॉक स्टेडियम में खेले गए इस मुकाबले में चेन्नई ने राजस्थान से मिले 142 रन के लक्ष्य को 19वें ओवर में हासिल कर लिया। जीत तो ज्यादा मुश्किल नहीं थी लेकिन इस बीच एक ऐसा नजारा दिखा, जिस पर विवाद खड़ा हो गया। ये हुआ चेन्नई के स्टार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा के विकेट पर, जिन्हें ‘ऑब्सट्रक्टिंग द फील्ड’ यानी फील्डिंग में रुकावट डालने के कारण आउट दे दिया गया। इसके बाद से ही सवाल उठने लगे कि क्या जडेजा सही में आउट थे? कहीं उनके साथ गलत तो नहीं हुआ? ये नियम असल में है क्या?
मैच में क्या हुआ ?
दरअसल, 16वें ओवर में जब आवेश खान की 5वीं गेंद को जडेजा ने थर्डमैन की ओर खेला और रन लेने लगे और जब वो दूसरे रन के लिए लौटे तो आधी पिच पार कर चुके थे लेकिन ऋतुराज गायकवाड़ ने उन्हें लौटा दिया। इतने में गेंद सीधे विकेटकीपर संजू सैमसन के हाथों में आ गई और उन्होंने नॉन-स्ट्राइकर्स वाले स्टंप्स को निशाना बनाया। इतने में खुद को बचाने के लिए जडेजा वापस क्रीज की ओर दौड़ने लगे और संजू का थ्रो सीधे उनके हाथ में जा लगा। यहां पर राजस्थान के खिलाड़ियों ने अपील की और थर्ड अंपायर ने जडेजा को आउट करार दिया।
फैसला आने से पहले ही जडेजा अपील पर नाखुश थे और आउट दिये जाने के तुरंत बाद वो भड़क गए। जडेजा गुस्से में कुछ बोलते हुए राजस्थान के खिलाड़ियों के बीच से निकले और पवेलियन लौटे। लेकिन अब सवाल ये है कि क्या उन्हें सही आउट दिया गया? किस नियम के तहत उन्हें आउट माना गया? तो चलिए अब आपको बताते है…
दरअसल, क्रिकेट के कानून बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब के नियम 37.1 के अनुसार, अगर गेंद अभी मुकाबले में है और दोनों में से कोई भी बल्लेबाज जानबूझकर अपनी बातों से या अपने किसी एक्शन से फील्डिंग में रुकावट पैदा करता है तो उसे आउट करार दिया जाएगा।
क्या जडेजा की गलती थी?
जडेजा के मामले में थर्ड अंपायर ने जब फैसला दिया, तो उसमें सबसे अहम पॉइंट था कि क्या जडेजा फील्डिंग में रुकावट डाल रहे थे। ये देखना जरूरी था कि रन लेने के दौरान क्या वो जानबूझकर अपनी लाइन को बदलकर थ्रो की लाइन में आकर दौड़ने लगे थे? इस स्थिति में थर्ड अंपायर ने जडेजा को इसका ही दोषी पाया क्योंकि वो वापस मुड़ते वक्त न सिर्फ फील्डर को देख रहे थे, बल्कि अपनी लाइन में वापस आने के बजाए पिच को क्रॉस करते हुए दूसरी ओर दौड़ने लगे, जिससे वो थ्रो और स्टंप्स के बीच आ गए। ऐसी स्थिति में ये मायने नहीं रखता कि क्या गेंद वाकई स्टंप पर लगती या नहीं।