पश्चिम बंगाल-कोलकाता : 11 साल की गैंगरेप पीड़िता का कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में गर्भपात (Medical Termination Pregnancy) किया गया। इस दौरान 28 हफ्ते का जिंदा भ्रुण पैदा हुआ। इसके बाद डॉक्टरों ने सर्जरी रोक दी। पीड़िता और उसके बच्चे को कड़ी मॉनिटरिंग में रखा गया है। बीते 21 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट ने 5वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा के गर्भपात की इजाजत दी थी। इसके लिए 24 घंटे के अंदर मेडिकल बोर्ड के गठन का भी आदेश दिया था। पीड़िता के माता-पिता ने अपनी गर्भवती बेटी का गर्भपात कराने की अनुमति हाईकोर्ट से मांगी थी।
28 जुलाई को लिखी गई FIR तो सामने आया केस
दरअसल, यह मामला 28 जुलाई को सामने आया था। एफआईआर के मुताबिक, छात्रा को कथित तौर पर कुछ लोगों ने शारीरिक रुप से प्रताड़ित किया और उसके साथ गैंगरेप किया। जब तीन अगस्त को उसकी तबियत बिगड़ी तो परिवार वालों को इलाज के दौरान पता चला कि उनकी बेटी गर्भवती है। परिवार ने गर्भपात कराने का फैसला लिया था।
एसएसकेएम अस्पताल के डॉक्टरों ने दवा खिलाकर पीड़ित का गर्भपात कराया। क्योंकि सर्जरी से उसके गर्भाशय पर असर पड़ सकता था। सर्जरी के कारण भविष्य में बच्चा पैदा करने की क्षमता को भी आघात पहुंच सकता था।
लड़की अभी बहुत छोटी
स्त्री रोग विभाग के एचओडी सुभाष बिस्वास ने कहा कि लड़की की उम्र को ध्यान में रखते हुए, हमारे निदेशक (आईपीजीएमईआर निदेशक मनिमॉय बनर्जी) ने हमें सबसे सुरक्षित एमटीपी विकल्प तलाशने के लिए कहा था ताकि उसकी प्रजनन क्षमता पूरी तरह से संरक्षित रहे। लड़की अभी बहुत छोटी है और वह भविष्य में मां बनना चाहेगी। उसके गर्भाशय को सर्जरी के कारण होने वाले किसी भी प्रकार के आघात से बचाने के लिए, हमने ओरल दवा के माध्यम से एमटीपी आयोजित करने का विकल्प चुना।
नवजात की हालत बेहद नाजुक
रेप पीड़िता को 30 घंटे से अधिक समय तक दवा पर रखा गया और अगले 48 घंटों तक उसकी निगरानी की जाएगी। वहीं, समय से पहले जन्मे नवजात की हालत बेहद नाजुक है और उसे नियोनेटोलॉजी विभाग में निगरानी में रखा गया है, इसे आगे भी नियमों के मुताबिक राज्य की देखरेख में रखा जाएगा/पालन किया जाएगा।