जयपुर : विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान पर फोकस करना शुरू कर दिया है। चुनावों की रणनीति तय करने और संगठन से जुड़े मुद्दों को लेकर आज कांग्रेस मुख्यालय दिल्ली में मीटिंग हो रही है।
बैठक में सीएम अशोक गहलोत वर्चुअली जुड़े हैं। इस दौरान कुछ समय के लिए मीडियाकर्मियों को वीडियो और फोटो के लिए अलाऊ किया गया।
राहुल गांधी ने मीडियाकर्मियों से हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि बैठक में गहलोतजी भी जुड़े हैं, लैपटॉप में उन्हें भी दिखा दीजिए। इस पर नेताओं ने कहा की बड़ी स्क्रीन लगी है उस पर भी देख सकते हैं।
पायलट पर हो सकता है फैसला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी राजस्थान के कांग्रेस नेताओं को चुनावी टास्क देंगे। इस बैठक में करीब 30 वरिष्ठ नेताओं को बुलाया गया है।
सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान मिटाकर एकजुट करने के हिसाब से इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इस बैठक में राजस्थान विधानसभा चुनावों की रणनीति के साथ सचिन पायलट के रोल काे लेकर फैसला होने की संभावना है।
पिछले दिनों इसी तरह की बैठक छत्तीसगढ़ के मामले में हुई थी। छत्तीसगढ की बैठक के बाद टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया गया था।
छत्तीसगढ़ में खींचतान मिटाने के बाद अब राजस्थान की बारी है। सचिन पायलट को संगठन में पद देकर मेनस्ट्रीम में लाने के फार्मूला पर इस बैठक के बाद अमल होने की संभावना है।
एआईसीसी से किए गए फोन
राजस्थान के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर पहले राहुल गांधी 1 जुलाई को बैठक लेने वाले थे, लेकिन उस वक्त कांग्रेस विधायकों की सालासर में होने वाले दो दिन के सम्मेलन का हवाला देकर इसे आगे खिसकाया। इस बीच, सीएम अशोक गहलोत के पैर के अंगूठाें में फ्रैक्चर होने के कारण विधायक और उम्मीदवारों के सम्मेलन को टाल दिया। बैठक को आगे खिसकाया। वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रभारी सुखिजंदर रंधावा, तीनों सहप्रभारी पिछले तीन दिनों से दिल्ली में हैं।
खड़गे-राहुल की बैठक में गहलोत-पायलट सहित मंत्री और वरिष्ठ नेता
विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार करने और कांग्रेस में एकजुटता को लेकर हो रही इस बैठक में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ 30 नेताओं को बुलाया गया है। इसमें मंत्री और वरिष्ठ नेता शामिल हैं। स्पीकर सीपी जोशी भी बैठक में शामिल हो रहे हैं।
प्रदेश प्रभारी सुखिजंदर सिंह रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटाससरा, सह प्रभारी काजी निजामुद्दीन, अमृता धवन, वीरेंद्र राठौड़ के अलावा दूसरे प्रदेशों के प्रभारी रहे नेता रघु शर्मा, भंवर जितेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, मोहन प्रकाश, सीडब्ल्यूसी मेंबर रहे रघुवीर मीणा, पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी, राज्यसभा सांसद नीरज डांगी भी शामिल हैं।
यूपी के सहप्रभारी सचिव रहे धीरज गुर्जर और जुबेर खान सहित मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया,उदयलाल आंजना,परसादी लाल मीणा,शकुंतला रावत,ममता भूपेश,गोविंद राम मेघवाल, महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, प्रमोद जैन भाया, रामलाल जाट,रमेश मीणा, भजन लाल जाटव बैठक में शामिल हो रहे हैं। विधायक रफीक खान को भी बुलाया है।
नोटिस वाले दोनों मंत्रियों को नहीं बुलाया
25 सितंबर की घटना में नोटिस वाले दोनों मंत्रियों यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, जलदाय मंत्री महेश जोशी को बैठक में नहीं बुलाया गया है। इन्हें उस वक्त नोटिस दिया था जिस पर अभी तक एक्शन पेंडिंग है।
बैठक में पायलट गुट के नेता नहीं
बैठक में सचिन पायलट खेमे के मंत्रियों को नहीं बुलाया गया है। बैठक में गहलोत खेमे के नेताओं का ही दबदबा ज्यादा है। पायलट गुट के नेता चुनिंदा ही हैं।
नेताओं को मिलेंगे चुनावी टास्क
राजस्थान की इस बैठक में नेताओं को चुनावी टास्क दिए जाएंगे। मुख्य जोर चुनावी रणनीति के हिसाब से फील्ड में एक्टिव रहने पर रहेगा।
जनाधार वाले नेताओं को अपने क्षेत्र के साथ कुछ और सीटों की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इस बैठक में अब तक कई राउंड में हुए सर्वे के रिजल्ट पर भी चर्चा होगी।
सर्वे के आधार पर टिकट काटने पर भी फैसले के संकेत
चुनावी बैठक में टिकट बांटने के फार्मूले पर भी चर्चा होगी। कर्नाटक चुनावों का मॉडल राजस्थान में भी अपनाए जाने के आसार हैं।
इस बार सर्वे में हारने वाले नेताओं के टिकट काटने के फार्मूले पर विचार चल रहा है। कांग्रेस ने अब तक कई राउंड सर्वे करवाए हैं। इन सर्वे के नतीजों के आधार पर हारने वाले विधायकों को फील्ड में हालत सुधारने की नसीहत पहले ही दी जा चुकी है।
अब कर्नाटक फार्मूले के हिसाब से फाइनल सर्वे के आधार पर टिकट तय हो सकते हैं। जिन विधायकों और मंत्रियों की ग्राउंड में हालत ठीक नहीं है, उनके टिकट काटने पर विचार किया जा रहा है।
चुनावी कमेटियां बनाने पर भी चर्चा, पायलट काे चुनावी कमेटियों में जगह मिलने की संभावना
विधानसभा चुनाव की तैयारी बैठक में प्रदेश के लिए बनने वाली चुनावी कमेटियों पर भी चर्चा होगी। आने वाले दिनों में स्क्रीनिंग कमेटी, कैंपेन कमेटी सहित करीब आठ से 10 चुनावी कमेटियां बनाई जानी हैं।
इन कमेटियों में वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों को शामिल किया जाएगा। बैठक में कमेटियां बनने की डेडलाइन तय होने की संभावना है। सचिन पायलट को भी किसी चुनावी कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है।
सबसे बड़ा मुद्दा पायलट-गहलोत की खींचतान
छत्तीसगढ़ की तर्ज पर राजस्थान की चुनावी बैठक में सचिन पायलट और अशोक गहलोत की खींचतान मिटाने का मुद्दा उठेगा। पायलट की मांगों का समाधान करके दोनों नेताओं को एक मंच पर लाने का मैसेज देने के लिए कई नेता सलाह दे चुके हैं।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस में पायलट और गहलोत खेमों की एकजुटता के बिना भारी नुकसान का पूर्वानुमान लगाया है।
कांग्रेस हाईकमान को भी इसका फीडबैक दिया जा चुका है। यही वजह है कि अब राहुल गांधी और खड़गे राजस्थान के मामले को टैक्टफुली हैंडल करने की रणनीति बना रहे हैं। दोनों नेताओं को एक मंच पर लाने के लिए शेयरिंग फार्मूले पर भी बैठक में विचार किया जा सकता है। हालांकि, इस बैठक में मोटे तौर पर चुनावी मुद्दों, संगठन की मजबूती और ग्राउंड लेवल की कमजोरियों को सुधारकर बूथ मैनेजमेंट पर फोकस करने का टास्क दिया जाएगा।
गहलोत पेपरलीक करने वालों को उम्र कैद की सजा का प्रावधान करने की घोषणा कर चुके
सीएम अशोक गहलोत इस बैठक से दो दिन पहले प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपरलीक करने वालों को उम्र कैद की सजा का प्रावधान करने और भर्ती करवाने वाली संस्थाओं के कामकाज के तौर तरीकों में बदलाव लाने की घोषणा कर चुके हैं। गहलोत की इस घोषणा को सचिन पायलट की मांगों को मानने की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। सचिन पायलट ने आरपीएएसी को भंग करके इसका पुनर्गठन करके आमूलचूल बदलाव करने की मांग की थी।
अब तक पायलट की मांगों को गहलोत ने सिरे से खारिज कर दिया था। पायलट ने 11 से 15 मई तक पेपरलीक और बीजेपी राज के करप्शन के खिलाफ अजमेर से जयपुर तक पैदल यात्रा की थी। 15 मई को जयपुर में यात्रा खत्म करके सभा में पायलट ने सरकार के सामने तीन मांगें रखते हुए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था।
अल्टीमेटम खत्म होने से पहले 29 मई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी की मौजूदगी में गहलोत पायलट की सुलह बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद पायलट ने आंदोलन तो नहीं किया, लेकिन युवाओं से जुड़ी मांगों को छोड़ने से इनकार कर दिया था।
बीच का रास्ता निकाल सकता है हाईकमान
सचिन पायलट ने पेपरलीक से प्रभावित युवाओं को मुआवजा देने, आरपीएससी को भंग करके पुनर्गठन करने और बीजेपी राज के करप्शन की जांच के लिए हाई पावर कमेटी बनाने की मांग की थी।
सीएम ने प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने के लिए RPSC, कर्मचारी चयन बोर्ड की कामकाज की शैली और प्रोसेस को सुधारने की शुरुआत करने की घोषणा की।
जबकि सचिन पायलट की तीन मांगों को मानने से पहले सीएम अशोक गहलोत ने साफ इनकार कर दिया था। पेपरलीक से प्रभावित बेरोजगारों को मुआवजा देने की मांग को गहलोत ने बुद्धि का दिवालियापन बताया था।
आरपीएससी को भंग करने की मांग पर गहलोत ने कहा था कि पायलट हमारे परिवार के मेंबर हैं, उन्होंने बात उठाई है तो हमने परीक्षण करवाया तो सामने आया कि कानून में इस तरह का प्रावधान ही नहीं है।