जयपुर : एक पति अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लिए 55 हजार रुपए के सिक्के 7 बोरों में भरकर कोर्ट लेकर पहुंचता है। जज के सामने उन बोरों को खोलकर दिखाता है।
कोर्ट रूम में मौजूद सभी लोग यह दृश्य देखकर चौंक जाते हैं। कोर्ट आदेश देती है कि इन सिक्कों की गिनती पति को पत्नी पक्ष की मौजूदगी में ही करनी होगी। इनके 1-1 हजार रुपए के बंडल बनाकर पत्नी को देने होंगे।
ये किसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच तलाक और भरण-पोषण से जुड़ा मामला है। पिछले कई दिनों से ये मामला चर्चा में है। कौन सही है कौन गलत? सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है।
आखिर 12 साल पहले जिस कपल की धूमधाम से शादी हुई, क्या वजह थी कि मामला यहां तक पहुंचा। भास्कर ने दोनों पक्षों से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की….
12 साल पहले शादी, एक बात से तकरार
कोर्ट में सिक्के लाने वाला दशरथ कुमावत पुत्र कालूराम कुमावत है। दशरथ ने बताया कि वह निमाड़ा जयपुर का रहने वाला है और फिलहाल हरमाड़ा में मां-बाप के साथ किराए के मकान में रहता है। उसकी शादी 2011 में सीमा कुमावत पुत्री नाथूलाल कुमावत से हुई थी।
बड़े भाई राजेंद्र कुमावत की भी शादी पत्नी सीमा की बड़ी बहन रेखा से हुई थी। दोनों भाइयों की शादी एक साथ हुई थी। उसकी बड़ी भाभी ग्रेजुएट है और पत्नी सीमा 10वीं पढ़ी है। शादी के एक साल के बाद गोना करके घर लेकर आए थे। शादी के एक साल बाद से बड़ा भाई अलग जयपुर में रहने लगा था।
पति बोला – मां को पीटा तो अलग कर ली राहें
दशरथ ने बताया कि शादी के बाद कभी-कभी छोटी बातों पर बहस हो जाती थी। उसकी पत्नी सीमा हमेशा लड़ती-झगड़ती रहती थी। लेकिन वह एडजस्ट करता रहा था। उसके पिता को भी कई बार बताया था। 2017 में मां मुरली देवी और पत्नी सीमा के बीच में घर के काम को लेकर विवाद हो गया था। दोनों के बीच में काफी विवाद बढ़ गया था। तब पत्नी ने अपने पिता को फोन करके बुला लिया।
उसका आरोप है कि उसके ससुर एक गाड़ी में कुछ लोगों को साथ लेकर आए थे। उसकी पत्नी और ससुर ने मिलकर उसकी मां के साथ मारपीट कर डाली। मां के साथ मारपीट करने की बात उसे सहन नहीं हो सकी थी। तब उन्होंने गोविंदगढ़ थाने में मारपीट का मुकदमा भी दर्ज कराया था। तब उसके पिता पत्नी सीमा को लेकर चले गए। तब से वे दोनों अलग रहने लगे हैं।
‘घर से बाहर निकालकर कहता- जाओ 10 हजार रुपए लेकर आओ’
उधर पत्नी सीमा कुमावत ने मीडिया को बताया कि दशरथ के लगाए सारे आरोप झूठे हैं। वह मुझे हर तरीके से परेशान करना चाहता है। पहले जब साथ थी तब घर खर्च के लिए पैसे मांगने पर मेरे साथ मारपीट करता था। हर बार मायके जाने पर दहेज लाने के लिए प्रताड़ित करता।
बोलता था कि जाओ अपने मायके जाकर 10 हजार लेकर आओ, तभी मकान में घुसने दूंगा। मेरे माता-पिता को भी गाली गलौज करता था। गर्भवती थी, तब डॉक्टरी जांच से लेकर हर चीज का पैसा मांगता था। रोज-रोज की मारपीट से तंग आकर मुझे कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। हम दो बहनों और दो भाइयों की को अकेले पिता ने मजदूरी कर पढ़ाया लिखाया, शादी की। कितना दहेज देते।
शराब पीकर बेटी को पीटता, दोहिती को दूध पिलाकर वापस ले जाता
दशरथ के ससुर नाथूलाल कुमावत ने बताया कि उसकी बेटी सीमा को शराब पीकर वह रोजाना मारता पीटता था। वह गलत शौक करता था। जब शादी के बाद बच्ची हो गई थी तो बेटी उसे लेकर पीहर आ गई थी। तब दशरथ जबरन नवजात को वापस लेकर चला गया था।
केवल दूध पिलाने के लिए बच्ची को घर लेकर आता था। फिर वापस लेकर घर चला जाता था। हम समझा कर बेटी को ससुराल भेजते तो फिर से मारने लग जाता था। बेटी परेशान होकर वापस घर आ जाती थी। छोटी-छोटी बातों पर उसके साथ मारपीट होती थी।
कोर्ट में लगाई तलाक की अर्जी, 5 हजार गुजारा भत्ता देने का आदेश
पति-पत्नी के बीच झगड़े के बाद दशरथ ने कोर्ट में तलाक की अर्जी लगा दी। कोर्ट में तलाक पर सुनवाई चल रही थी तभी पत्नी ने गुजारे भत्ते के लिए याचिका लगा दी थी। साथ ही दशरथ के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मुकदमा भी दर्ज करा दिया। इसके बाद कोर्ट ने दशरथ को 5 हजार रुपए महीना पत्नी सीमा को गुजारा भत्ता देने के आदेश सुनाए थे।
दो किस्त में जमा करवाए 1.10 लाख रुपए
मीडिया ने जब गुजारा भत्ते के पैसे में सिक्कों में देने पर सवाल पूछा तो दशरथ
ने बताया कि 5 साल से कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हर महीने के 5 हजार रुपए के हिसाब से उस पर काफी रुपए बकाया हो गए थे। रुपए जमा कराने के लिए फैमिली कोर्ट से दो बार वसूली वारंट जारी हुआ था। तब उसने पहली बार 65 हजार रुपए पुलिस थाने में हेडकांस्टेबल रामनिवास को जमा कराए थे। इसके बाद फरवरी 2023 में फिर से रुपए वसूली का वारंट जारी हुआ। तब भी 55 हजार रुपए 500-500 के नोट में जमा कराए थे।
तीसरी बार फिर कोर्ट से आया गिरफ्तारी वारंट
इस बार पहले वसूली वारंट आया फिर 16 जून को गिरफ्तारी वारंट आया। हरमाड़ा पुलिस ने उसे बकाया चल रहे 55000 रुपए लेकर आने को बोला। दशरथ ने बताया कि उसके पास पैसों का बंदोबस्त नहीं था। वह 3 हजार रुपए देकर किराए के मकान में रहता है। वह हटवाड़ा (साप्ताहिक मंडी) में प्लास्टिक का सामान बेचने का काम करता है। उसकी महीने की इनकम 12 से 15 हजार रुपए है। पैसे नहीं थे तब उसे ख्याल आया कि घर में ही कुछ सिक्के रखे हुए हैं।
कई रातों में 12-12 घंटे लगाकर गिने सिक्के, भाड़े की गाड़ी में लादकर पहुंचा कोर्ट
दशरथ ने बताया कि प्लास्टिक के डिब्बे व घरेलू सामान की दुकान पर ग्राहक सिक्के तो दे जाते हैं लेकिन वापिस नहीं लेते। उसके पास काफी समय से सिक्के घर पर ही जमा हो रखे थे। कई बार व्यापारियों को भी सिक्के देने की कोशिश की लेकिन कोई राजी नहीं हुआ।
कोई दूसरा बंदोबस्त नहीं हुआ तो घर पहुंच कर 12 घंटे में सारे सिक्के गिने। कुछ सिक्के पहले कई रातों में गिन कर हिसाब लगा चुका था। कोर्ट में पेशी की सुबह उसने सारे सिक्के 7 अलग कट्टों में भर लिए। फिर भाड़े पर गाड़ी लेकर पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में कोर्ट पहुंचा।
सिक्के देखकर जज बोले 10 दिन गिनने में लगेंगे
कोर्ट में दशरथ कट्टों में भरकर सिक्के लेकर पहुंचा तो सभी हैरान रह गए। उसने कट्टों का मुंह खोलकर 55 हजार रुपए के सिक्के दिखा दिए। कोर्ट को बताया कि उसके पास देने के लिए रुपए नहीं थे। 7 कट्टों में वह एक-दो रुपए के सिक्के लेकर आया है। कुछ सिक्के 5 रुपए के भी थे। एक कट्टे का वजन करीब 35 किलो है।
कोर्ट में पीड़िता के वकील रामप्रकाश कुमावत ने कहा कि उन्हें प्रताड़ित करने के लिए जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है। वहीं दशरथ के वकील रमन गुप्ता ने कहा कि ये भारतीय मुद्रा पूरी तरह से वैध है। उन्होंने कोर्ट से ये सिक्के स्वीकार करने की गुहार लगाई।
कोर्ट ने दशरथ को बोला कि इतने सारे सिक्कों को गिनने में 10 दिन लग जाएंगे। कोर्ट ने आदेश देकर अगली तारीख 26 जून को तय कर दी। कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख 26 जून को खुद दशरथ ही इन सिक्कों गिनेगा। वह इन इनके एक-एक हजार के अलग-अलग बंडल कोर्ट में ही बैठ कर बनाएगा। दूसरे पक्ष को सिक्के पूरी तरह से गिनने के बाद ही देगा।
दशरथ के साथ ही रहती है 10 साल की बेटी
दशरथ ने बताया उसकी एक 10 साल की बेटी उसी के पास रहती है। उसका जन्म 2013 में हुआ था। उसका महात्मा गांधी स्कूल में एडमिशन करवा रखा है। पहले पत्नी ने बोला कि वह बेटी को अपने पास रखेगी। लेकिन कुछ समय बाद ही उसने बेटी को रखने से मना कर दिया। दशरथ ने कहा कि वह बेटी को अपने पास रखेगा और खुद ही शादी करेगा।
कोर्ट और पुलिस थाने के रोजाना चक्कर लगाता रहता हूं। दशरथ बोला कि जब शादी हुई थी तो बीकॉम सेकंड ईयर में पढ़ रहा था। शादी के बाद कम्प्यूटर डिग्री भी की। लेकिन पढ़ाई का कोई फायदा नहीं है। दशरथ ने दावा किया कि वो कोई और काम नहीं करता, केवल मजदूरी पर ही निर्भर है।
कोर्ट में अभी भी 75 हजार जमा बकाया
कोर्ट में अभी भी उसे 75 हजार रुपए और जमा कराने होंगे। फिलहाल उसके पास रुपए नहीं है। 55 हजार रुपए कोर्ट में जमा कराने के बाद बाकी के रुपयों का इंतजाम करना होगा। उसका काम भी ठीक नहीं चल रहा है। त्योहार आने पर रोजाना एक हजार रुपए का काम हो जाता है। लेकिन अभी मंदा चल रहा है।
पहले पिता भी राज मिस्त्री का काम करते थे। लेकिन अब तबीयत सही नहीं होने के कारण घर पर ही रहते हैं। 2017 में कोर्ट में मुकदमा चलने के बाद उसके मां-बाप के खिलाफ भी वारंट जारी हुए थे। दोनों पक्षों के बीच में कई बार समाज के लोगों ने राजीनामा करवाने का प्रयास किया। लेकिन उसके ससुराल वाले फैसला होने पर भी नहीं मानते।