जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं-सूरजगढ़ : राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा सूरजगढ़ में सामाजिक कार्यकर्ता जगदेव सिंह खरड़िया की अध्यक्षता में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। शरणार्थी समस्या किसी एक देश की नहीं बल्कि विश्व की समस्या है।वर्षों से जो लोग शरणार्थी जीवन जी रहे हैं, उन्हें ही मालूम है कि शरणार्थियों को कितनी प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। बैठक में शरणार्थियों की समस्या और देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने कहा- 20 जून को प्रतिवर्ष विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जाता है। यह दिवस उन लोगों के साहस, शक्ति और संकल्प के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है, जिन्हें प्रताड़ना, संघर्ष और हिंसा की चुनौतियों के कारण अपना देश छोड़कर बाहर भागने को मजबूर होना पड़ता है। शरणार्थियों की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित करने और शरणार्थी समस्याओं को हल करने के लिए ही यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य कारण लोगों में जागरूकता फैलानी है कि कोई भी इंसान अमान्य नहीं होता फिर चाहे वह किसी भी देश का नागरिक हो। एकता और समन्वय की भावना रखते हुए हमें सभी को मान्यता देनी चाहिए। म्यांमार, लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान, मलेशिया, यूनान, यूक्रेन, पाकिस्तान और अधिकांश अफ्रीकी देशों में हर साल लाखों नागरिक दूसरे देशों में शरणार्थी के रूप में शरण लेते हैं। हर इंसान के जीवन की कीमत होती है और हर इंसान अपने आप में सम्मान पाने के लायक होता है। इसलिए अगर कोई भी युद्ध, हिंसा, आपदा जैसी समस्या के चलते पलायन करने पर मजबूर होता है तो उसका अपमान करने का अधिकार किसी को नहीं है। उसकी मदद की जानी चाहिए और उनकी समस्याओं का हल निकालने की कोशिश की जानी चाहिए। यदि शरणार्थियों से सम्बंधित संकट और वैश्विक चुनौतियों की बात करें तो यह पिछली एक शताब्दी का सबसे ज्वलंत मुद्दा रहा है। विभिन्न प्राकृतिक एवं मानवीय आपदाएँ जैसे- भूकंप, समुद्र का जल स्तर बढ़ना, सूखा, गरीबी, गृहयुद्ध, आतंकवाद-चरमपंथ और गैर राज्य अभिकर्ताओं द्वारा देश के शासन-प्रशासन में स्थापित होने के कारण वैश्विक स्तर पर लोगों के विस्थापन की दरें बढ़ी हैं।गरीबी, गृहयुद्ध और आंतरिक संघर्ष के कारण लेबनान, सीरिया और लीबिया से काफी बड़ी संख्या में लोग यूरोप के देशों की ओर पलायन कर रहे हैं।अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के कारण यहाँ पर भी विस्थापितों की संख्या विकराल रूप से बढ़ रही है। शरणार्थियों की बात आती है तो हमारे देश के विभाजन की यादें भी ताजा हो जाती हैं।
1947 में आजादी के समय हमारे देश के लोग अपने ही देश में शरणार्थी बन गए थे। आजादी के बाद लाखों लोग मर गए और लाखों लोग आज भी विभाजन का दंश झेल रहे हैं। बहुत सारे लोग पाकिस्तान से आकर आज भी भारत में शरणार्थी जीवन जी रहे हैं। जो कभी अविभाजित भारत के नागरिक होते थे, वह अपने ही देश में शरणार्थी बन गये हैं। वास्तव में उनकी पीड़ा को समझने की आवश्यकता है। जाट महासभा के अध्यक्ष जगदेव सिंह खरड़िया ने कहा- जाति व धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले लोग अपने ही देश के लोगों के लिए समस्या बन जाते हैं। पाकिस्तान व अफगानिस्तान जैसे देश धर्म की वजह से संकट में हैं। वहां के लोग मानवता व राष्ट्र धर्म से बढ़कर अपने धर्म को ज्यादा अहमियत देते हैं, जिसकी वजह से वहां के लोग गर्दिश में हैं। हमारे देश में आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में मजबूत लोकतंत्र की स्थापना हुई। धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र व संविधान और स्वतंत्र संवैधानिक संस्थाओं का निर्माण हुआ। जिसकी बदौलत आज हमारा राष्ट्र निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। मगर कुछ सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाले लोग हमारे देश में अस्थिरता का माहौल बना रहे हैं।
हम सभी देशवासियों का कर्तव्य बनता है कि राष्ट्रहित में ऐसे लोगों का समर्थन नहीं करें। देश की आजादी के लिए जान देने वाले वीरों की कुर्बानी को याद रखें। योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह खुगांई ने कहा- देश की आजादी के लिए प्राणों की आहुति देने वाले वीरों को नमन करना चाहिए और राष्ट्र निर्माण में विशेष भूमिका निभाने वाले महापुरुषों का सम्मान किया जाना चाहिए। इंसानियत और राष्ट्र धर्म से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। राजनीतिक पार्टियों के चक्कर में पड़कर हमें आजादी के मूल्यों और हमारे कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए। यह देश किसी नेता या राजनीतिक पार्टी का नहीं बल्कि हम सब भारतीयों का है। हम सबको मिलकर राष्ट्र की प्रगति और खुशहाली के बारे में सोचना चाहिए। बैठक में नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर जल्दी ही एक कार्यक्रम करने पर विचार किया गया। नई संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को किया गया था। देश की 20 से ज्यादा राजनीतिक पार्टियों ने इस उद्घाटन का बहिष्कार किया था। देश के राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति को भी इस कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया था। आखिर क्या वजह है कि लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन के उद्घाटन का बहुत सारी पार्टियों को बहिष्कार करना पड़ा। मोदी सरकार ने 28 मई को ही नए संसद भवन का उद्घाटन क्यों किया? यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है। इन सभी मुद्दों को लेकर जल्दी ही एक बैठक का आयोजन किया जायेगा। अगर हम सचमुच देशभक्त हैं तो हमें राष्ट्रीय मुद्दों पर गहनता से विचार करना होगा।
बैठक में आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी, वीर तेजाजी विकास संस्थान के अध्यक्ष जगदेव सिंह खरड़िया, डॉ. प्रीतम सिंह खुगांई, संदीप कुमार, सुदेश खरड़िया, सुनील गांधी, खुशी वर्मा, दिनेश, रणवीर सिंह, अंजू गांधी, रवि कुमार आदि अन्य लोग मौजूद रहे।