झुंझुनूं : मंत्रालय कर्मचारी पिछले दो महीने से हड़ताल पर है। कामकाज प्रभावित हो रहे है। सरकार भले यह मान ले कि कोई काम नहीं अटक रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि एक-एक जिले में करोड़ों रुपए का भुगतान व नए वित्तीय वर्ष में होने वाले काम लटके हुए हैं।
हालत यह है कि बीते वित्तीय वर्ष में विभिन्न योजनाओं से संबंधित जो कार्य पूर्ण हो गए, उनके पूर्णतः प्रमाण पत्र तो तैयार हो गए, लेकिन मंत्रालय कर्मचारियों के काम पर नहीं होने से भुगतान नहीं हो पा रहा है।
होने वाले काम भी टरका रहे कर्मचारी
राजस्थान राज्य मंत्रालय कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों की माने तों राज्य भर के करीब 80 हजार मंत्रालय कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
झुंझुनूं जिले के कर्मचारियों की संख्या करीब 18 सौ के करीब बताई जा रही है। आमजन को नहीं पता कि कौन से वर्ग के कर्मचारी हड़ताल पर है और कौन सा काम किस के जिम्मे हैं। ऐसे में मंत्रालय कर्मचारियों की हड़ताल के बहाने कई ऐसे काम भी लटकाए जा रहे हैं, जो मंत्रालय कर्मचारियों के जिम्मे ही नहीं है।
इन कार्यों पर सीधा असर
जन्म मृत्यु व जाति प्रमाण, स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूर्ण हुए व्यक्तिगत व सामुदायिक शौचालयों के भुगतान व नई स्वीकृति, प्रधानमंत्री आवास योजना की जियो ट्रैकिंग पत्र जैसे कार्यों पर सीधा असर हो रहा है। ये सभी कार्य कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त होने के इंतजार में लम्बित होते जा रहे हैं।
झुंझुनूं जिले में बीते वित्तीय वर्ष में 500 से अधिक सामुदायिक शौचालय बने हैं। एक यूनिट की लागत तीन लाख रुपए है। ऐसे करोड़ों रुपए अटक गए हैं।
ये मुख्य मांग
मंत्रालय कर्मचारियों की 11 सूत्री मांगों में मुख्य मांग 2800 ग्रेड पे विलोपित कर 3600 करने की है। इसके अलावा वर्ष 2013 में जो बेसिक बढ़ाई गई थी, उसे यथावत करने की मांग भी है। सरकार ने एलडीसी व ग्रामसेवक के नियुक्ति वाले जिले में ही ताउम्र नौकरी करने की पाबंदी हटाकर इनकी यह मांग पूरी कर ली है, लेकिन ग्रेड पे की मांग पूरी नहीं होने के चलते 10 अप्रैल को शुरू हुई हड़ताल अभी तक जारी है।