जयपुर : जयपुर के एक छोटे से कस्बे बस्सी की रहने वाली 18 साल की दिशा शर्मा डॉक्टर बनने का सपने पूरा करने के लिए दो साल से कड़ी मेहनत कर रही थी। रोज 17-17 घंटे पढ़ाई कर रही थी। साइंस में इतनी होनहार कि 10वीं और 12वीं दोनों बोर्ड एग्जाम में 100% मार्क्स हासिल किए। परिवार ही नहीं, पूरे मोहल्ले को यकीन था कि दिशा नीट क्रैक कर लेगी।
लेकिन चाय के एक कप ने उसकी दो साल की मेहनत बर्बाद कर दी। नीट के एग्जाम के दौरान इनविजिलेटर के हाथ से छूटा चाय का कप दिशा की ओएमआरशीट पर गिर गया। जो जवाब लिखे थे, वो चाय बिखरने से मिट गए। 17 सवाल छूट गए, जिसके जवाब उसे आते थे। आंखों में आंसू लिए दिशा 5 मिनट का एक्स्ट्रा टाइम मांगती रही, लेकिन नहीं मिला।
एक साल खराब होने का दिशा का इतना सदमा लगा कि कई रातों तक नींद नहीं आई। नींद की गोलियां लेनी पड़ी। जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो अब दिशा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
पढ़िए- पूरी रिपोर्ट…
दादा की मौत ने समझाई डॉक्टर की अहमियत
दिशा बताती हैं- जब मैं छोटी थी तो दादाजी की हार्ट अटैक आया। आसपास में कोई डॉक्टर नहीं था। अस्पताल लेकर गए, तब तक देर हो गई। तब पहली बार समझ में आया डॉक्टर जीवन के लिए कितने जरूरी होते हैं। सोचा- अगर आज हमारे घर में कोई डॉक्टर होते तो दादाजी को बचाया जा सकता था।
जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई, डॉक्टर बनने का मेरा सपना और मजबूत होता गया। साइंस मेरा फेवरेट सब्जेक्ट बन गया। दसवीं बोर्ड और 12वीं में भी मुझे साइंस में 100 में से 100 मिले।
नीट के लिए 17-17 घंटे पढ़ाई की
12वीं के बाद दिशा ने पूरे फोकस के साथ नीट की तैयारी शुरू की। नीट के पहले प्रयास में 470 नंबर मिले। कुछ नम्बर से MBBS की सीट से चूक गई। दिशा को वेटेनरी, बीडीएस, बीएससी नर्सिंग मिल रहा था। परिवार वालों ने खूब समझाया, जो मिल रहा है उसमें एडमिश्न ले लो। बाद में पता नहीं क्या हो? लेकिन दिशा हार मानने के लिए तैयार नहीं थी।
बस्सी में पढ़ाई की सुविधा नहीं थी तो जयपुर में हॉस्टल में रहकर तैयारी की। रोज 17-17 घंटे पढ़ाई की। दिशा बताती है, हॉस्टल में बेसिक फैसिलिटीज तक नहीं थी। न ढंग का खाना मिलता न साफ-सुथरे कमरे थे। दूसरी लड़कियां सुविधाओं को लेकर परेशान रहती, शिकायतें करतीं, लेकिन मैंने कभी इन पर ध्यान नहीं दिया। मैं जानती थी- शिकायतों के चक्कर में फंसी रहूंगी तो कभी भी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाऊंगी।
एग्जाम का दिन : एक पल में टूट गया डॉक्टर बनने का सपना
7 मई को नीट का एग्जाम था। जयपुर के रामनगरिया स्थित विवेक टैक्नो स्कूल में दिशा का सेंटर आय़ा। दोपहर 2 बजे से पेपर था। एक घंटे पहले दिशा परीक्षा सेंटर में थी। पेपर मिलते ही दिशा की उम्मीदें और बढ़ गई, क्योंकि जैसी उसने तैयारी की थी, पेपर वैसा ही आया था।
उसने तेजी से पेपर सॉल्व करना शुरू किया। करीब डेढ़ घंटा बीत चुका था। अचानक दिशा को हाथ पर कुछ गिरने का एहसास हुआ। देखा तो उसके हाथ और ओएमआर शीट पर चाय गिरी हुई थी। दरअसल एग्जाम इनविजिलेटर चाय पीते हुए निरीक्षण कर रहे थे। जैसे ही वो दिशा के पास पहुंचे। उनके हाथ से चाय का कप छूट गया और दिशा के हाथ, ओएमआर शीट और टेबल पर चाय गिर गई।
मास्क से साफ की ओएमआर शीट
चाय गिरते ही इनविजिलेटर रूम से बाहर चले गए। अचानक हुई इस घटना से दिशा बुरी तरह हड़बड़ा गई। उसे समझ नहीं आया कि क्या करे। परीक्षा के कड़े नियमों के कारण दिशा के पास मास्क के अलावा कुछ भी नहीं था। दिशा ने धीरे-धीरे मास्क से ओएमआर शीट पर गिरी चाय को साफ करने लगी। इस कोशिश में ओएमआर शीट के कुछ जवाब मिट गए और चाय के धब्बों के कारण पूरी शीट खराब हो गई।
नहीं मिला एक्स्ट्रा टाइम
कुछ देर बाद इनविजिलेटर हाथ में कपड़ा लेकर रूम मे लौटे। दिशा ने उनसे कहा- मैं अब क्या करूं? ओएमआर शीट तो खराब हो चुकी है। ये तो अब चैक ही नहीं होगी। इनविजिलेटर ने ओएमआर शीट देखी और कहा- ज्यादा कुछ नहीं हुआ है। तुम अपना पेपर करो।
दिशा बताती हैं कि मैंने उनसे कहा कि मेरा टाइम खराब हो गया तो उन्होंने भरोसा दिलाया कि तुम्हें एक्स्ट्रा टाइम दिया जाएगा। दिशा ने जैसे-जैसे खुद को शांत कर दोबारा पेपर सॉल्व करना शुरू किया। इतने में टाइम पूरा हो गया और दिशा का कैमेस्ट्री का 33 प्रतिशत पेपर छूट गया।
दिशा का कहना है कि- ‘मैंने इनविजिलेटर ने 5 मिनट का एक्स्ट्रा टाइम मांगा, लेकिन उन्होंने मुझसे ओएमआर शीट छीन ली। 17 सवाल छूट गए, जो मुझे आते थे।’
प्रिंसिपल ने आधे घंटे रोका
दिशा बताती है कि- ‘पेपर खत्म हाेने के बाद मैं प्रिंसिपल के पास गई और उन्हें पूरी बात बताई। प्रिंसिपल ने मुझे अपने रूम में बैठने को कहा। आधे घंटे बिठाए रखने के बाद मुझे जाने के लिए कह दिया। दरअसल, प्रिंसिपल ने मुझे आधे घंटे रोका ताकि तब तक बाकी स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स चले जाएं और मामला ज्यादा नहीं बढ़े।’
मां बोली- रोती हुई आई मेरी बेटी
दिशा की मम्मी राजेश्वरी शर्मा ने बताया कि- ‘जब एग्जाम के दिन दिशा काफी देर तक नहीं आई तो हमें चिंता सताने लगी। सारी स्टूडेंट्स एग्जाम सेंटर से निकल चुके थे। काफी इंतजार के बाद दिशा एग्जाम सेंटर से बाहर निकलती हुई दिखी। उसे दूर से देखते ही मैं समझ गई थी कि कुछ गलत हुआ है।’
‘उसका चेहरा उतरा हुआ था, आंखों में आंसू थे। आते ही वो मुझसे लिपट गई और रोने लगी। दिशा कभी रोती नहीं है। बहुत स्ट्रॉन्ग है, लेकिन उस दिन उसे इस तरह से देखकर मेरा दिल बैठ गया। मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे। मैंने उसको संभाला और रोने का कारण पूछा। उसने मुझे पूरी घटना बताई। हमें पूरी उम्मीद थी कि दिशा इस बार नीट क्लीयर कर लेगी, लेकिन अब हमारी उम्मीद भी टूटने लगी है।’
प्रिंसिपल कहती है, बात को रफा दफा कर दो, मैं पूरा खर्चा दे दूंगी
राजेश्वरी शर्मा ने बताया कि- ‘हमने स्कूल प्रबंधन से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी। इसके बाद हमने पुलिस को सूचना दी। पुलिस के आने के बाद हमें अंदर बुलाया गया, लेकिन तब भी दिशा के पापा को अंदर नहीं आने दिया। मुझे और दिशा को ही अंदर बुलाया गया और मेरा मोबाइल भी बाहर रखवा लिया।’
‘प्रिंसिपल मैडम ने हमें दूर से ओएमआर शीट दिखाई और कहा-देख लो! ओएमआj शीट सही है। कुछ नहीं हुआ है। आप लोग यहां से जाइए। लेकिन हमने जाने से इनकार कर दिया और पूरी घटना लिखकर देने की बात पर अड़ गए। तब प्रिंसिपल बोली- आप लोग बात को क्यों बढ़ा रहे हो। बात को यहीं रफा-दफा कर दो। मैं बच्ची के सालभर का पूरा खर्चा दे दूंगी। उसके बाद हम रामनगरिया थाने गए, वहां भी हमारी सुनवाई नहीं हुई।’
नींद की गोलियां लेनी पड़ रही है
राजेश्वरी शर्मा ने बताया कि- आज तक दिशा उस सदमे से उबर नहीं पाई है। गुमसुम घर के किसी कोने में बैठी रहती है। राेती रहती है। शुरू के एक-दो दिन तो रातभर सो नहीं पाती थी। उसके बाद डॉक्टर को दिखाया तो इसे नींद की गोलियां दीं तब जाकर रात को सो पाई। उसका यह हाल देखा नहीं जाता है। उसका पूरा साल खराब हो गया। वो भी दूसरों की गलती से।
दिशा के पिता नवीन शर्मा का बस्सी में ही प्लास्टिक मोल्डिंग का छोटा सा कारखाना है। वो कहते हैं कि इस घटना से हमारा पूरा परिवार सदमे है। हमें समझ में ही नहीं आ रहा कि क्या करें। मेरी इतनी आमदनी नहीं है कि बेटी को प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में पढ़ा सकूं।
दिशा के परिवार के आरोप पर जब दैनिक भास्कर ने विवेक टेक्नो स्कूल की प्रिंसिपल इंदिरा सिंह से बात करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
हाईकोर्ट में दायर की याचिका
जब दिशा की कहीं सुनवाई नहीं हुई तो उसने अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा की मदद से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अब जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खण्डपीठ ने मामलें को गंभीरता से लेते हुए एनटीए से दिशा की ऑरिजनल ओएमआर शीट सहित पूरा रिकॉर्ड तलब कर लिया है। वहीं, परीक्षा सेंटर से क्लासरूम के सीसीटीवी फुटेज के साथ स्कूल प्रिंसिपल को 4 जुलाई को कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिए हैं।
सबको विश्वास था- दिशा एग्जाम क्रैक कर लेगी
पढ़ाई में शुरू से ही तेज होने पर दिशा को लगभग पूरा कस्बा जानता है। सभी को उम्मीद थी कि दिशा नीट का एग्ज़ाम क्रैक कर लेगी। दिशा के पड़ोस में रहने वाली मधु गुप्ता कहती है कि मैं दिशा को बचपन से जानती हूं। वो शुरू से ही पढ़ाई में तेज है। अपने करियर को लेकर फोकस्ड है।
हमें पूरी उम्मीद थी कि दिशा डॉक्टर जरूर बनेगी। बस्सी में ही रहने वाले शिव कुमार शर्मा कहते हैं कि अच्छे बच्चों के बारे में जानकारी कौन नहीं रखता है। दिशा ने 12वीं कक्षा में भी पूरा स्कूल टॉप किया था, लेकिन जो उसके साथ जो हुआ, वो गलत था।