झुंझुनूं : जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का फैसला, इंडसंड बैंक पर लगाया जुर्माना, चैक बुक, एटीएम जारी किया लेकिन खाता खोलना भूला बैंक

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल 

झुंझुनूं : जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में बुधवार को इंडसंड बैंक के द्वारा महेंद्र सिंह बनाम प्रबंधक इंडसंड बैंक के मामले में आयोग अध्यक्ष एवं पीठासीन अधिकारी मनोज मील व सदस्या नीतू सैनी ने निर्णय सुनाते हुए बैंक द्वारा परिवादी से चैक के जरिए 5,500 रुपए लेकर चैकबुक व एटीएम जारी करने के बाद भी परिवादी का खाता ओपन नहीं करने और परिवादी को उसके द्वारा जमा करवाए गए रुपए नहीं लौटाने के मामले में बैंक पर जुर्माना लगाया है। आयोग में झुंझुनू जिले के भोजासर गांव के महेंद्र सिंह 31 अगस्त 2021 को परिवाद दायर किया था कि परिवादी ने इंडसंड बैक में खाता खुलवाने के लिए आवेदन किया था। बैंक अधिकारियों के कहने पर परिवादी ने 5 हजार 5 सौ रुपए चैक के माध्यम से इंडसंड बैंक में जमा करवाए थे।बैंक द्वारा परिवादी को खाता खोलकर चैक के जरिए जमा राशि खाते में जमा करने का आश्वासन दिया गया और चैक बुक और एटीएम जारी कर दिए गए। चूंकि बैंक एटीएम और चैक बुक जारी कर चुका था, ऐसे में परिवादी ने बैंक पर विश्वास करते हुए एक फायनेंस कंपनी को लेन-देन के लिए इंडसंड बैंक के उक्त खाते का चैक जारी कर दिया था। तब इंडसंड बैंक ने चैक को वापस लौटते हुए कहा कि आपके खाते में पर्याप्त राशि नहीं है। फाईनेंस कंपनी ने भी परिवादी पर चैक बाऊंस होने पर पैनल्टी लगा दी। ऐसे में परिवादी ने बैंक में संपर्क किया तो बैंक द्वारा बताया गया कि आपका खाता ओपन नहीं हुआ है। इसके बाद परिवादी को बैंक द्वारा रकम वापस करने का आश्वासन दिया गया। 1 महीने तक बैंक के चक्कर काटने पर परिवादी महेंद्र सिंह ने वकील के जरिए बैंक को लीगल नोटिस भिजवाया। लेकिन बैंक द्वारा नोटिस का जवाब नहीं देने एवं जमा रकम वापस नहीं लौटने पर परिवादी ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में मामला दर्ज करवाया। जिस पर बुधवार को निर्णय सुनाया गया।

9 बार मौका दिया आयोग ने:

परिवाद दर्ज होने के बाद आयोग के समक्ष बैंक के प्रतिनिधि आमीन अली और शाखा प्रबंधक विक्रम सिंह लगातार 9 पेशी पर उपस्थित हुए। वहीं 1 पेशी पर अधिवक्ता भी उपस्थित हुए और हर बार जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। इस दौरान आयोग के तत्कालीन पीठासीन अधिकारी का कार्यकाल पूरा हो गया व बैंक के प्रतिनिधियों ने आयोग में पेश होना बंद कर दिया। जबकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के मुताबिक किसी भी परिवाद में नोटिस प्राप्त होने के 45 दिन में जवाब दिया जाना आवश्यक है। मार्च में मनोज मील द्वारा पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य ग्रहण करने के बाद इस मामले में वापस सुनवाई शुरु हुई। जिस पर बुधवार को अध्यक्ष मनोज मील व सदस्या नीतू सैनी ने फैसला सुनाया।

यह लगा जुर्माना:

आयोग ने फैसला दिया है कि इंडसंड बैंक को परिवादी से 5 हजार 5 सौ की राशि चैक के जरिए 30 जनवरी 2021 को मिल गई थी। ऐसे में बैंक तब से लेकर परिवादी को राशि चुकाने तक की अवधि तक 9 फीसदी सालाना ब्याज राशि सहित 5,500 रुपए चुकाएगा। साथ ही परिवादी को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति पेटे 7 हजार 5 सौ रुपए और परिवाद व्यय के रूप में 10 हजार रुपए देगा। बैंक पर सामान्य उपभोक्ता के साथ लापरवाही बरतने पर 2,500 रुपए का जुर्माना लगाया गया है, जो बैंक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, झुंझुनूं कार्यालय में जमा करवाकर आयोग के सामने रसीद पेश करेगा। बैंक द्वारा प्राधिकरण में राशि जमा नहीं करवाने पर आयोग का रीडर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झुंझुनूं की तरफ से इजराय की कार्रवाई करेगा।

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