झुंझुनूं : जिले के सबसे बडे़ राजकीय बीडीके अस्पताल में रेडियालॉजिस्ट नहीं होने के कारण मरीजों को सोनोग्राफी का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मशीन होने के बावजूद बाहर से सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है। बीडीके अस्पताल की बात करें तो फिलहाल अस्पताल में सोनोग्राफी की तीन मशीन उपलब्ध है, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण एक ही मशीन को काम में लिया जा रहा है, जबकि दो मशीनें पिछले छः महीने से स्टोर में बंद हैं। सुविधा नहीं होने से रोगियों की जेब से हर महीने लाखों रुपए लग रहे हैं, गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन चुकी है। अस्पताल का प्रतिदिन का आउटडोर 2 हजार से ज्यादा रहता है। प्रतिदिन औसतन 400 से 500 सोनोग्राफी लिखी जा रही हैं, लेकिन फायदा ना के बराबर ही मिल पा रहा है।
40-50 सोनोग्राफी हो रही है रोजाना जिले का सबसे बड़ा अस्पताल होने की वजह से यहां डिलीवरी और इलाज के लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्र बड़ी में मरीज आते है। हर दिन करीब 400 से 500 मरीजों को सोनोग्राफी की जरूरत पड़ रही है। जबकि एक मशीन से एक दिन में मात्र 40-50 सोनोग्राफी ही की जा रही है। बाकी मरीजों को बाहर से सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है। वही निजी सेंटरों की चांदी हो रही है।
संविदा पर लगाने के निर्देश दिए थे सोनोग्राफी मशीनों के संचालन के लिए रेडियोलॉजिस्ट और सोनोलॉजिस्ट तक नहीं मिल पा रहे हैं। अस्पताल में लगाए गए रेडियोलॉजिस्ट डॉ. राजकुमार बंबोरिया आज तक आए ही नहीं। कुछ समय पहले जिला कलेक्टर ने संविदा पर रेडियोलॉजिस्ट लगाने के भी निर्देश दिए थे। पीएमओं डॉ. कमलेश झाझडिय़ा ने बताया कि दो नई मशीनें मिली थी। परंतु रेडियोलॉजिस्ट नहीं मिलने की वजह शुरू नहीं की जा सकी। सरकार ने एक रेडियोलॉजिस्ट लगाया था। उन्होंने ज्वाइनिंग नहीं दी। इसके बारे में निदेशालय को अवगत करा दिया गया है। अस्पताल में पहले से चल रही पुरानी वाली मशीन की जगह नई मशीन लगा दी गई है। रोजाना 40-50 सोनोग्राफी की जा रही हैं।