NEXA EVERGREEN : गुजरात के धोलेरा सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर शेखावाटी सहित पूरे प्रदेश में 2700 करोड़ रुपए की ठगी करने वालों ने जेल से बाहर आने के लिए नया पैंतरा चला है।
ठगों ने 20 लोगों की एक कमेटी बनाई है। ये कमेटी ठगों को जमानत पर जेल से बाहर निकालने के लिए ठगी के शिकार लोगों से मिलकर उनपर समझौता करने और केस वापस लेने का दबाव बना रही है।
उल्लेखनीय है कि ठगी का खुलासा होने के बाद नेक्सा एवरग्रीन के डायरेक्टर रणवीर बिजारणियां, सुभाष बिजारणियां, ओपेंद्र, अमरचंद ढाका, गोपाल दूधवाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
पांचों आरोपी अभी सीकर जेल में बंद हैं। वहीं बनवारी महरिया, मोहित, गिरिजा सहित कई आरोपी फरार चल रहे हैं।
कंपनी के डायरेक्टर के गिरफ्तार होने के बाद उन्हें बाहर निकालने के लिए ये कमेटी बनाई गई। हाल ही में इस कमेटी ने सीकर के बीकानेर बाइपास पर एक गार्डन में भी मीटिंग की। जिसमें पीड़ित लोगों को भी बुलाया गया था।
पढ़िए क्या है ठगों का जेल से बाहर निकलने का मास्टर प्लान…
रुपए मिलने का झांसा देकर FIR वापस लेने का दबाव
कंपनी की कमेटी में डॉक्टर विनाेद, कैप्टन रूघाराम, नरेश कुमार के साथ करीब 20 लोग जुडे़ हुए हैं। इन्होंने ठगों को जल्द जमानत दिलाने के लिए मास्टर प्लान बनाया है।
सोशल मीडि़या पर भी कमेटी के कुछ लोगों ने अलग-अलग लिंक बना कर डाले हैं। इन वीडियो में वे पीड़ितों को रुपए वापस मिलने का झांसा देकर एफआईआर वापस लेने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
कमेटी के लोगों का कहना है कि अगर कंपनी के डायरेक्टर रणवीर बिजारणियां, सुभाष बिजारणियां, ओपेंद्र जेल से जमानत पर बाहर आ जाएंगे तो सभी का पैसा लौटा दिया जाएगा।
2 तरीके से दे रहे झांसा
एफआईआर वापस कराने के लिए पीड़ितों को 2 तरीके से झांसा दिया जा रहा है। कमेटी के लोग दावा कर रहे हैं कि आधा रकम कैश दे दी जाएगी और आधी रकम के बदले धोलेरा सिटी में ही जमीन दे दी जाएगी।
इसके अलावा रुपए के बदले पूरी जमीन देने का ऑप्शन भी दिया जा रहा है। कमेटी के लोग पीड़ितों को विश्वास दिलाने के लिए ये झांसा भी दे रहे हैं कि कुछ लोगों ने एफआईआर वापस भी ले ली है।
कमेटी के लोग रोजाना सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो डाल रहे हैं जिनमें लोगों से अपील की जा रही है कि वे एफआईआर वापस ले लें। जिससे लोगों को जल्द से जल्द रुपए वापस मिल सके।
गलत एफिटेविट सोशल मीडिया पर पोस्ट किए
ठगों की कमेटी किस तरह लोगों को धोखा दे रही है, इसका अंदाजा 47 लाख रुपए गंवा चुके एक पीड़ित सतवीर के उदाहरण से समझ सकते हैं। सतवीर सिंह ने बताया कि उन्हें कमेटी के लोगों ने एक गार्डन में बुलाया था। वहां उन पर दबाव बनाया गया कि एफआईआर वापस ले लो।
जमानत मिलने पर ही सभी का हिसाब हो सकेगा। सतवीर को एक फॉर्मट का पेपर दिया गया है। सतबीर ने बताया कि पेपर में लिखा था कि ‘मैंने कंपनी के डायरेक्टर रणवीर बिजारणियां, सुभाष बिजारणियां, ओपेंद्र सहित अन्य के खिलाफ गलती से मुकदमा करा दिया है।
इनसे मेरा कोई लेना देना नहीं है। इनसे मुझे कोई रुपए नहीं लेने हैं। गलतफहमी में आकर मैंने इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया था।’
सतवीर ने बताया कि ये पढ़ने के बाद मैंने कमेटी के लोगों से कहा कि- इसमें तो रुपयों के लेनदेन की कोई बात नहीं लिखी है? जबकि मैंने 47 लाख रुपए का इंवेस्टमेंट किया था।
पत्नी के गहनों पर बैंक से लोन लेकर रुपए एजेंटों को दिए थे। अब पिछले दो महीनों से किस्तें बाउंस हो रही है तो बैंक ने गहनों को नीलाम करने के लिए नोटिस भेज दिए हैं। 47 लाख रुपयों का हिसाब कब और कौन करेगा?
कमेटी के लोगों ने उनसे कहा कि गहने हम छुड़ा देते हैं लेकिन वे गहने तभी मिलेंगे, जब सारे डायरेक्टर जेल से बाहर आ जाएंगे। उन्होंने रुपयों के बदले जमीन देने को बोला, लेकिन जमीन और रुपए कब वापस देंगे। उसकी कोई गारंटी नहीं दी जा रही थी।
कई रिश्तेदारों से भी फोन करवा कर दबाव बनाया था।सतबीर ने बताया कि वहां पर काफी लोगों को फोन कर बुलाया जा रहा था। समझौता नहीं होने पर काफी लोग वापस भी लौट गए थे। मैं भी लौट आया था। अगले ही दिन मेरे नाम का पेपर कई ग्रुप में वायरल हो रहा था।
मेरे पास लोगों के फोन आए कि तुमने एफआईआर वापस क्यों ली? सतबीर ने बताया कि मैंने किसी पेपर पर कोई साइन नहीं किए थे। फिर भी बिना साइन के पेपर को वायरल कराया जा रहा था। जब मैंने कमेटी के लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि हमने ऐसा कोई लेटर वायरल नहीं किया।
1500 बीघा जमीन धोलेरा में सीज
एडिशनल एसपी रामचंद्र मूंड नेक्सा एवरग्रीन ठगी मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने बताया- जांच में पता लगा कि 2700 करोड़ रुपए की ठगी की गई है।
पुलिस की टीमें गुजरात में कंपनी के धोलेरा सिटी प्रोजेक्ट पर पहुंची। वहां पर रिकॉर्ड चैक किया तो पता लगा कि करीब 1500 बीघा जमीन खरीदी गई है।
पुलिस 1300 बीघा जमीन पहले ही सीज कर चुकी थी। वहीं दो दिन पहले बची हुई जमीन को भी सीज कर दिया गया। कंपनी के 85 बैंक अकाउंट्स भी सीज किए जा चुके हैं। इनमें करीब 15 करोड़ रुपए बताए जा रहे हैं।
ठगी के पैसों से गोवा में रिसोर्ट, राजसमंद में भी ग्रेनाइट की माइंस
पुलिस की जांच में पता लगा कि आरोपियों ने ठगी के रुपयों से गोवा में 25 करोड़ रुपए का रिसोर्ट भी ले लिया था। इसके अलावा राजसमंद में ग्रेनाइट की माइंस भी ले ली।
मार्बल निकालने के लिए एक पूरा पहाड़ ही खरीद लिया था। इन्होंने मिलकर जयपुर के जगतपुरा में एक होटल भी खरीदा था। अहमदाबाद में एक फ्लैट भी खरीद लिया था। इसके अलावा लोगों पर इंप्रेशन बनाने के लिए ऑडी, मर्सीडिज और बीएमडल्यू जैसे लग्जरी गाड़ियां खरीद ली थी।
इस तरह शुरू किया धोलेरा सिटी प्रोजेक्ट
रणवीर बिजारणियां नेक्सा कंपनी में जुड़ने से पहले काफी शराब पीता था। उसे किसी ने सलाह दी तो वह नीम करौरी महाराज के पास धोक लगाने भी पहुंचा था।
उसने शराब छोड़ने के लिए भी अर्जी दी थी। उसके बाद भी कई जगह पर आश्रम में जाकर आया था। इसके बाद उसने धोलेरा सिटी में प्रोजेक्ट शुरू कर दिया था।
वहां पर एयरपोर्ट के पास की सारी जमीनों को खरीदने की डीलिंग शुरू कर दी थी। शुरूआत में बिना कंपनी के कुछ जमीनें खरीदी थी। बाद में कंपनी रजिस्टर्ड कराने के बाद धोलेरा सिटी प्रोजेक्ट के चारों ओर जमीनें खरीदनी शुरू कर दी।
रणवीर बिजारणियां, सुभाष बिजारणियां, ओपेंद्र ने मिलकर धोलेरा सिटी में 1500 बीघा जमीन खरीदी थी। इसके अलावा माइंस, होटल, फ्लैट सहित कई प्रोजेक्ट शुरू किए थे। कंपनी में लोग इतने रुपए जमा करा रहे थे कि इनको समझ ही नहीं आ रहा था कि अब इन रुपयों का क्या करें। ऐसे में इन्होंने प्रोजेक्ट को बंद करने का प्लान बना लिया था।
एजेंटों की 30 कंपनियों में जमा कराने लगे थे रुपए
रणवीर, सुभाष की खुद की 6 कंपनियां थी। बाद में एजेंटों के साथ मिलकर 30 कंपनी अलग से बना ली। ठगी के रुपए इन्हीं कंपनियों में जमा कराने लगे। सबसे खास बात है कि हर कंपनी में रणवीर और सुभाष दोंनों में से कोई एक एजेंटों के साथ डायरेक्टर होता था। ताकि एजेंटों की कंपनी पर भी उनकी पकड़ बनी रहे।
पुलिस ऐसे एजेंटों की भी लिस्ट बना रही है, जिनके अकाउंट में कमीशन के रुपए आते थे। ठगों ने राजस्थान के सीकर, झुंझुनूं, चूरू, जयपुर, बीकानेर, उदयपुर, अजमेर, नागौर के अलावा हरियाणा, दिल्ली व गुजरात में भी लोगों से ठगी की। एजेंटों के अकाउंट में एक-एक करोड़ रुपए डलवाए थे जिससे लोगों पर भरोसा बना रहे।
जयपुर में भी धरने पर पहुंचे थे कमेटी के लोग
जयपुर में शहीद स्मारक पर काफी दिनों से धोलेरा प्रोजेक्ट को लेकर लोग धरना प्रदर्शन कर रहे थे। कमेटी के लोग धरने में भी पहुंचे थे।
वहां पर भी लोगों को झांसा देकर कहा था कि ‘जेल से बाहर आने पर ही कंपनी के डायरेक्टर सभी का हिसाब करेंगे।
वे तभी बाहर आएंगे, जब सभी लोग अपने मुकदमे वापस ले लेंगे। पुलिस उनकी प्रॉपर्टी को सीज कर रही है ऐसे में प्रॉपर्टी व अकाउंट सीज होने पर लोगों को रुपए नहीं मिल पाएंगे।’
चार साल पहले तक नहीं भरते थे टैक्स, अब हजारों करोड़ के मालिक
हैरानी की बात है कि जो ठग चार साल पहले तक टैक्स भी नहीं भरते थे, वे हजारों लोगों को ठग कर हजारों करोड़ के मालिक बन गए। कंपनी बनाकर रिटर्न भरने लगे थे।
नेक्सा एवरग्रीन कंपनी के डायरेक्टर रणवीर बिजारणियां, सुभाष बिजारणियां, ओपेंद्र, अमरचंद ढाका, गोपाल दूधवाल को गुरुवार को सीकर कोर्ट में पेश किया था।
वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। इससे पहले सारे आराेपी रिमांड पर चल रहे थे। पुलिस मामले की जांच करने के बाद अब कोर्ट में चार्जशीट पेश करेगी। साथ ही अन्य मुकदमों में भी आराेपियों को गिरफ्तार करेगी।
इस तरह हजारों लोगों को ठगी के जाल में फंसाया…
60 सप्ताह का इन्वेस्टमेंट प्लान
ठगों ने बैंक से दोगुने ब्याज का रिटर्न, हर हफ्ते ब्याज का पैसा अकाउंट में, नया ग्राहक जोड़ने पर कमीशन, धोलेरा सिटी में प्लॉट जैसे लालच दिए। जिसने भी इनका प्लान सुना, लालच में आकर शिकार बनता चला गया। इसे साधारण तरीके से समझाते हैं …
कंपनी में इन्वेस्टमेंट प्लान 50 हजार रुपए से शुरू होता था, जिसे 60 महीने के लिए जमा करवाने पर हर हफ्ते उसके ब्याज के रूप में 1352 रुपए रिटर्न मिलता था। इसी तरह 1 लाख रुपए जमा करवाने पर 2704 रुपए मिलते थे।
कंपनी ने लोगों को झांसे में लेने के लिए ऐसे बुकलेट बना रखे थे। इन बुकलेट में भविष्य के प्रोजेक्ट, प्लानिंग, लैंड, प्लॉट, मॉल्स के अच्छे-अच्छे फोटो लगाकर ऐसे पेश किया जाता था जैसे सचमुच ऐसा शहर बसा रहे हैं।
मान लीजिए कंपनी में आपने 50 हजार रुपए 60 महीने के लिए इन्वेस्ट किए हैं। अब आपको हर 7 दिन बाद बैंक अकाउंट में 1352 रुपए मिलना शुरू हो जाएंगे।
60 सप्ताह यानी 14 महीने तक इन्वेस्टमेंट रखने पर उसे 1352X60 = 81 हजार 120 रुपए देने का दावा कंपनी करती थी। यानी 50 हजार रुपए पर 14 महीने में 31 हजार 120 रुपए की कमाई। इसी तरह 1 लाख रुपए जमा कराने पर 14 महीने में 62 हजार से ज्यादा का रिटर्न मिलता था।
ऐप बनाकर हाइटेक तरीका अपनाया
कंपनी ने इन्वेस्ट प्लान सक्सेस करने के लिए NEXA EVERGREEN के नाम से एक मोबाइल ऐप भी बना रखा था। इस ऐप के जरिए जुड़ने वाले हर कस्टमर की आईडी-पासवर्ड जनरेट होते थे। इससे ग्राहक को भरोसा रहता था कि ऐप में हो रहा लेनदेन सेफ है। कंपनी सिस्टेमेटिक तरीके से काम कर रही है और भागेगी नहीं।
कंपनी के झांसे में आए सीकर के सुरेंद्र ने बताया कि उन्होंने एक बार ऐप पर पासवर्ड बदल दिया था। कंपनी से फोन आया और वापस वही पासवर्ड रखने के लिए बोला था। वे आईडी खोल कर चेक करते रहते थे। ऐप पर ही कमीशन और रुपयों का इंवेस्टमेंट का रिकॉर्ड रहता था। लेकिन सुरेन्द्र यह समझ नहीं पाए कि कंपनी ऐसा क्यों कर रही है।
हर मंगलवार की सुबह रुपए ट्रांसफर
कंपनी रुपए इन्वेस्ट कराने के बाद उसके रिटर्न का पैसा हर सप्ताह के मंगलवार को सीधे अकाउंट में ट्रांसफर कराती थी। सोमवार की रात को 12 बजते ही पैसा अकाउंट में आना शुरू हो जाता था। सुबह उठते ही लोगों के रुपए अकाउंट में मिलने पर चेहरे पर खुशी आ जाती थी। जब लोगों को पक्का विश्वास हो गया तो कई लोगों ने अपनी जमीनें बेचकर कंपनी में पैसा लगाना शुरू कर दिया।
नए लोगों को जोड़ने पर कमीशन
कंपनी मल्टीलेवल मार्केटिंग पैटर्न पर काम कर रही थी। एक के नीचे तीन लोगों काे जोड़ना, फिर उन तीन के नीचे तीन-तीन कर 9 लोगों की चेन बनाने का सिस्टम बनाया गया था।
- तीन लोगों को जोड़ने पर हर ग्राहक को 4500 रुपए का कमीशन अलग से दिया जाता था।
- इसी तरह आपके द्वारा जोड़े गए ग्राहक ने एक और आदमी से इन्वेस्टमेंट कराया तो उसका भी हर सप्ताह 200 रुपए कमीशन और तीन लोगों की चेन बनने पर 600 रुपए मिलते थे।
- ऐसे में लोगों ने ज्यादा लालच में पड़ कर अपने रिश्तेदारों और पड़ोस के लोगों, जान पहचान वाले लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया।
- कंपनी बाकायदा नियम के अनुसार 74 रुपए का टीडीएस 60 सप्ताह तक काटती थी जोकि मार्च में मिल जाता था।
थाईलैंड, बैंकॉक के टयूर, प्लॉट व लग्जरी कार का लालच
कंपनी ने अपने इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के जरिए 3000 से ज्यादा एजेंट तैयार किए। इन एजेंटों को बड़े टारगेट दिए जाते, जिन्हे पूरा करने पर थाईलैंड व बैंकॉक का फ्री टूर दिया जाता था।
एजेंट को कंपनी अपने आईडी कार्ड बनाकर देती थी, ताकि झांसे में आने वाले ग्राहक को सब कुछ असली नजर आए। अपने अंडर में नई चेन बनाने पर एक एजेंट को 25 हजार रुपए का कमीशन अलग से दिया जाता था। साथ ही बड़े शहरों में प्लॉट और लग्जरी कार का लालच देते थे।