रक्षाबंधन से 40 लाख महिलाओं को मिलेंगे स्मार्ट फोन:नए जिले बनाने के साथ हर वर्ग को साधा, क्या टूटेगी 30 साल पुरानी परंपरा ?

राजस्थान में पिछले चार चुनावों से सत्ता विरोधी लहर के कारण कोई भी सरकार रिपीट नहीं हुई। हर बार सत्ता बदल जाने की परंपरा को इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तोड़ने का दावा कर रहे हैं। वे हर वर्ग को साध रहे हैं।

यही कारण है कि इस बार के बजट में उन्होंने किसान, महिला, कर्मचारी, युवा और मध्यम वर्ग को खुश करने के लिए सरकार के खजाने को पूरी तरह से खोल दिया। ताकि आठ माह बाद चुनावी मैदान में उतरने जा रही कांग्रेस को कहीं एंटी-इंकमबेंसी की मार नहीं झेलनी पड़े।

भाजपा जिन मुद्दों को हवा दे रही, उनको हावी होने से पहले ही सभी वर्गों को साधने की उनकी कोशिश को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

गहलोत लगातार यह दावा कर रहे हैं कि इस बार कांग्रेस फिर से सत्ता में आएगी। वे इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि किसी भी पार्टी को फिर से सत्ता में आने के लिए सरकार का प्रदर्शन जितना मायने रखता है, उतना ही यह भी जरूरी है कि चुनाव में बड़े वर्गों की नाराजगी काे रोका जाए।

यही कारण है कि गहलोत अपनी घोषणाओं में खासकर यह ध्यान रख रहे हैं कि वे ज्यादा से ज्यादा उन बड़े वर्गों पर फोकस रखे जो चुनाव में ज्यादा असर डालते हैं।

अब जानते हैं गहलोत की क्या-क्या कोशिश?

एक साथ 19 जिले बनाकर सबको खुश करने की कोशिश

राजस्थान में नए जिलों की मांग पिछले 15 साल से चली आ रही थी। वसुंधरा राजे सरकार के समय 26 जनवरी 2008 को प्रतापगढ़ को 33वां जिला बनाया गया था। तब से प्रदेशभर से करीब 60 जगहों से नए जिले बनाने के प्रस्ताव सरकार को मिल चुके थे। नए जिलों की मांग राजनीतिक रूप से इस कदर पेचीदा हो चुकी थी कि सरकार को रामलुभाया कमेटी की अवधि बार-बार बढ़ानी पड़ी।

गहलोत ने सबको साधते हुए एक साथ 19 नए जिलों की घोषणा की। इसके साथ ही सीकर, पाली और बांसवाड़ा को नया संभाग घोषित किया। नए जिलों और संभागों की घोषणा करके गहलोत ने एक तरह से मास्टर स्ट्रोक लगाया है। नए जिलों के गठन में गहलोत ने क्षेत्रीय और राजनीतिक संतुलन साधा।

एक साथ इतनी बड़ी संख्या में जिलों की घोषणा करके यह भी कोशिश की कि आने वाले चुनाव में कहीं से एंटी-इंकमबेंसी नहीं पनपे। अगर कम जिलों की घोषणा होती तो बाकी जगहों से चुनाव से पहले नाराजगी पनप सकती थी। जिन इलाकों में संभाग मुख्यालय से ज्यादा दूरी के कारण मांग उठ रही थी, उनको राहत देने के लिए पाली, सीकर और बांसवाड़ा को संभाग बनाकर लोगों की मांग को बैलेंस करने की कोशिश की।

मंदिरों के विकास की घोषणा से भाजपा का मुद्दा छीना

भाजपा कांग्रेस सरकार पर मंदिरों को तोड़ने, रामनवमी के दिन शोभायात्रा पर रोक लगाने जैसे आरोप लगाती रही है। भाजपा के हिंदुत्व के मुद्दे की काट के लिए गहलोत ने प्रदेश के प्रमुख मंदिरों के विकास और धार्मिक पर्यटन को गति देने के लिए कई घोषणाएं की हैं।

मंदिरों के विकास की घोषणा कर गहलोत ने भाजपा के आरोपों का जवाब दिया।
मंदिरों के विकास की घोषणा कर गहलोत ने भाजपा के आरोपों का जवाब दिया।

जयपुर के गोविंद देवजी मंदिर का विकास उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर करने के साथ उन्हाेंने खाटूश्याम जी, सालासर, त्रिपुरासुंदरी, करणाीमाता, कैलादेवी, मेहंदीपुर बालाजी, रामदेवरा मंदिर, खोले के हनुमान, वीर तेजाजी मंदिर, सांवलिया मंदिर के विकास के लिए डीपीआर तैयार कराई जाएगी। साथ ही बेणेश्वर धाम पर 100 करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की है। तीर्थराज पुष्कर के विकास के लिए पुष्कर डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाने की घोषणा के मायने भी खास है। गहलोत ने धार्मिक क्षेत्रों के विकास पर फोकस करके एक तरह से भाजपा का मुद्दा गौण करने की कोशिश की है।

नए बोर्ड-निगम बनाकर जातियों को साधा

चुनाव से पहले गहलोत का सोशल इंजीनियरिंग पर भी फोकस है। जातियों को साधने के लिए वे बोर्ड-निगम बनाकर सोशल इंजीनियरिंग कर रहे हैं। हाल में ही वीर तेजाजी बोर्ड का गठन करके जाट समाज को साधने की कोशिश की है।

वहीं करीब पांच माह पहले गहलोत ने 3 नए बोर्ड बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इनमें राजस्थान चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड, राजस्थान राज्य महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड और राजस्थान राज्य रजक (धोबी) कल्याण बोर्ड शामिल है। ये बोर्ड एससी और ओबीसी को साधने के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

महिलाओं को 40 लाख स्मार्ट फोन

राजस्थान में इस बार महिला मतदाताओं की संख्या 2.52 फीसदी बढ़ी है। चुनाव आयोग के नए आंकड़ों के अनुसार अब महिला वोटर्स की संख्या 2.46 करोड़ हो गई है। महिला मतदाताओं में अपनी सरकार की छवि बेहतर बनाने के लिए गहलोत लगातार महिलाओं से जुड़ी योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं। चिरंजीवी योजना में शामिल परिवारों की महिलाओं को गहलोत ने रक्षाबंधन से फ्री स्मार्ट फोन देने की घोषणा की है। करीब 40 लाख को इसका फायदा मिलेगा।

चिरंजीवी में आने वाली महिलाओं को रक्षाबंधन तक स्मार्ट फोन देने की घोषणा कर महिला मतदाताओं को साधने की कोशिश की।
चिरंजीवी में आने वाली महिलाओं को रक्षाबंधन तक स्मार्ट फोन देने की घोषणा कर महिला मतदाताओं को साधने की कोशिश की।

महिलाओं को फोकस करते हुए गहलोत इस साल के मूल बजट में राजस्थान रोडवेज का सफर सस्ता कर चुके हैं। सरकारी बसों में अब राजस्थान सीमा के भीतर महिलाओं का बस किराया आधा ही लगेगा। इससे पहले किराए में 30 प्रतिशत की छूट मिलती थी, लेकिन अब ये छूट 50 फीसदी कर दी गई।

बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में 18 गर्ल्स कॉलेज खोलने की भी घोषणा बजट में हो चुकी है। कॉलेजों में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए नई ट्रांसपोर्ट स्कीम लाई जाएगी। स्कूल की लड़कियों को रोडवेज में 75 किमी तक फ्री यात्रा करने को मिलेगी। काली बाई भील योजना में भी 30 हजार इलेक्ट्रिक स्कूटी मिलेगी। पहले ये संख्या 20 हजार थी।

भाजपा को कैसे दिया गहलोत ने जवाब?

सबसे बड़ा वर्ग किसान: 2000 यूनिट फ्री बिजली, घर के लिए सब्सिडी

भाजपा कांग्रेस सरकार को कर्जमाफी के मुद्दे पर लगातार घेर रही है। आरोप लगाया जा रहा है कि किसानों के कर्जे पूरी तरह से माफ नहीं हुए। किसानों की नाराजगी को हवा देकर भाजपा चाहती है कि कांग्रेस सरकार के खिलाफ माहौल बनाया जाए।

राजस्थान में किसान वर्ग की चुनाव में बड़ी भूमिका रहती है। आने वाले चुनाव में किसान वर्ग में कर्जमाफी का मुद्दा बड़ी एंटी-इंकमबेंसी का कारण बन सकता है। इसे पहले से भांपकर गहलोत ने बजट में किसानों को 2000 यूनिट फ्री बिजली देने की घोषणा की। हर महीने 2000 यूनिट तक खर्च करने वाले 11 लाख किसानों को फ्री बिजली मिलेगी।

किसानों को 2000 यूनिट फ्री बिजली की घोषणा। राजस्थान में 11 लाख किसानों को फ्री बिजली मिलेगी।
किसानों को 2000 यूनिट फ्री बिजली की घोषणा। राजस्थान में 11 लाख किसानों को फ्री बिजली मिलेगी।

खेत में घर बनाने के लिए ब्याज में 5 प्रतिशत सब्सिडी और प्रत्येक पशुपालक के लिए प्रति पशु 40 हजार का दो पशुओं के लिए बीमा करने की घोषणा करके किसानों को खुश करने की कोशिश की। 23 लाख किसानों को मुफ्त बीज किट देने की घोषणा से भी किसानों को सीधे फायदा पहुंचाया गया।

लंपी महामारी में मारे गए दुधारू पशुओं का मुआवजा देने का भी गहलोत ने बजट में वादा किया है। हालांकि बिजली फ्री देने की घोषणा चुनाव के लिहाज से बड़ी है, लेकिन अब सरकार के लिए यह चुनौती रहेगी कि किसानों को पूरी बिजली मिले, जबकि प्रदेश में बिजली का संकट लगातार गहराया हुआ रहता है।

कर्मचारियों को ओपीएस से खुश किया

चुनाव में किसी भी सरकार के लिए पक्ष या विपक्ष का माहौल पैदा करने में सरकारी कर्मचारियों का बड़ा रोल रहता है। पिछले मुख्यमंत्री काल में गहलोत कर्मचारियों के गुस्से को झेल चुके हैं। पिछले बजट में कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम(OPS) लागू करके उन्हाेंने कर्मचारी वर्ग में पैठ जमा चुके थे।

इस बार ओपीएस से वंचित बोर्ड, निगम और यूनिवर्सिटीज को भी उन्होंने इसके दायरे में लाकर अपनी छवि चमकाने की कोशिश की है। गहलोत जानते हैं कि कर्मचारियों को खुश करने से सीधा फायदा चुनाव में मिलेगा। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से ओपीएस को लेकर अभी भी कहा जा रहा है कि इससे राज्यों के विकास पर नकारात्मक असर पड़ेगा और न्यू पेंशन स्कीम का पैसा राज्यों को नहीं लौटाया जाएगा। ऐसे में फिलहाल आने वाले दिनों में ओपीएस का क्या होगा, यह भविष्य के गर्भ में है।

चिरंजीवी योजना में राशि 25 लाख करके आम आदमी काे साधा

आम आदमी के हेल्थ से जुड़ी चिरंजीवी स्कीम में मेडिक्लेम राशि 10 से बढ़ाकर सीधे 25 लाख करना गहलोत का मास्टर स्ट्रोक है। आम आदमी हेल्थ के मुद्दे पर संवेदनशील रहता है। ऐसे में इस योजना के जरिए गहलोत ने बड़े वर्ग को साधा है।

ईडब्ल्यूएस परिवारों का प्रीमियम भी फ्री करने की घोषणा की है। अगले वित्त वर्ष से ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के परिवारों काे भी चिरंजीवी योजना के तहत फ्री बीमा मिलना शुरू हो जाएगा। गहलोत ने इस योजना के जरिए प्रदेश के 1.37 करोड़ परिवारों को साधा है।

भाजपा पेपर लीक के मुद्दे को हवा दे रही, गहलोत ने युवाओं पर किया फोकस

चुनाव में युवाओं के लिहाज से भर्तियों में पेपर लीक का मुद्दा कांग्रेस सरकार के लिए सबसे नुकसान पहुंचाने वाला हो सकता है। भाजपा पेपर लीक के मुद्दे को ठंडा नहीं होने देना चाहती। इसको लेकर सीएम हाउस का घेराव तक कर चुकी है। जनाक्रोश अभियान में भी भाजपा ने सरकार के खिलाफ युवाओं के गुस्से को भुनाया।

युवाओं में बढ़ती नाराजगी को रोकने के लिए गहलोत ने बजट में युवाओं के लिए कई घोषणाएं की थीं। एक साल में एक लाख नई नौकरियों की घोषणा की गई। सबसे बड़ी राहत कॉम्पिटिशन एग्जाम देने वाले कैंडिडेट्स को मिली। सभी भर्ती परीक्षाओं को मुफ्त करने का फैसला लिया गया। इस फैसले से 50 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स को फायदा होगा।

सरकार का दावा है कि 2023 में 100 जॉब फेयर लगाए जाएंगे। इसके साथ ही प्रदेश के कॉलेजों में कैंपस प्लेसमेंट की व्यवस्था भी की जाएगी। 18 से 35 साल तक की उम्र के युवाओं को मुख्यमंत्री लघु उद्योग योजना के साथ 10 से 15 प्रतिशत तक 5 लाख तक की सीमा की मार्जिन मनी दी जाएगी। स्वरोजगार के लिए विश्वकर्मा कल्याण योजना शुरू की जाएगी। युवाओं को 5000 रुपए तक सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इससे एक लाख युवा लाभान्वित होंगे।

स्टार्टअप और उद्यमियों के लिए युवाओं को 250 करोड़ की राशि दी जाएगी। इसके साथ ही उन्हें आई स्टार्ट फंड के माध्यम से मैचिंग शेयर की सीमा 25 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए की गई है। गहलोत ने बजट में दावा किया है कि 4 साल के कार्यकाल में 1 लाख 42 हजार पदों पर नियुक्ति दी जा चुकी है। वहीं 1 लाख 81 हजार से ज्यादा प्रक्रियाधीन है। ऐसे में राजस्थान में 5 साल में कुल 3 लाख 23 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी होगी। राजस्थान में एविएशन यूनिवर्सिटी की घोषणा भी युवाओं के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

76 लाख परिवारों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर

उज्ज्वला योजना में शामिल 76 लाख परिवारों को गैस सिलेंडर 500 रुपए में देने की घोषणा भी चुनावी लिहाज से अहम है। 10 फरवरी को गहलोत बजट पेश करने के दौरान यह घोषणा कर चुके हैं।

सबसे बड़ी चुनौती- पार्टी की इंटरनल एंटी-इंकमबेंसी कैसे रोकेंगे गहलोत?

 

सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान चल रही है। ऐसे में गहलोत के सामने गुटों में बंटी पार्टी को एकजुट रखना प्रमुख चुनौती होगा।

कांग्रेस में यह बात आम तौर पर सुनाई पड़ रही है कि कुछ चुनिंदा लोगों को ही हर बार निगम-बोर्डों और पार्टी की प्रदेश इकाइयों में पद मिल रहे हैं। बहुत से ऐसे कार्यकर्ता जो बरसों से पार्टी के ग्रास रूट पर एक्टिव हैं, वे साइड लाइन हैं। पांच साल तक इंतजार में रहने वाले ऐसे कार्यकर्ता जब चुनाव आते हैं तो निष्क्रिय हो जाते हैं।

दूसरा बड़ा मुद्दा गहलोत-पायलट खेमेबाजी के कारण जिलों तक कार्यकर्ताओं के दो गुटों में बंटा होना भी है। पार्टी के भीतर अंदरूनी नाराजगी को दूर करना कांग्रेस और गहलोत के लिए अगले चुनावों में बड़ी चुनौती है। देखना यह है कि जनता में एंटी-इंकमबेंसी को दूर करने में जुटे गहलोत पार्टी की इंटरनल एंटी-इंकमबेंसी को कैसे दूर करते हैं?

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