झुंझुनूं-खेतड़ी : सुबह के आठ बजते ही खेतड़ीनगर में रेल के इंजन की सीटी सुनाकर लोगों की शुभ प्रभात होती थी। जिस समय बड़े-बड़ेे शहरो में ही रेल की सुविधा होती थी उस समय खेतड़ी, खेतड़ीनगर व सिंघाना में इंजन की सीटी सुनाई देती थी। लेकिन अब रेल तो दूर रेल की पटरियां भी देखना मुश्किल है। हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ने अपने खेतड़ीनगर में स्थापित केसीसी प्रोजेक्ट के सामान की ढुलाई के लिए डाबला से लेकर सिंघाना तक 30 किलोमीटर की रेलवे लाइन बिछाई थी। मालगाड़ी के साथ-साथ सवारी गाड़ी का डिब्बा जुड़ा होता था। रास्ते में पडऩे वाले बड़े गांवों में स्टेशन भी बनाए गए थे जो आज भी कई जगह पत्थर पर स्टेशनों के नाम लिखे हुए हैं । वर्ष 2004-05 आते आते बिछाई गई रेल की पटरियों को हटा लिया गया और लोगों को जो सवारी गाड़ी आने की आस थी वह धूमिल हो गई। जब डाबला स्टेशन की पटरियां ब्रॉडगेज में परिवर्तित हो गई तब डाबला से सिंघाना तक भी ब्रॉड गेज में परिवर्तित करना था लेकिन पटरियों को ब्रॉडगेज में परिवर्तित नहीं किया और मीटर गेज में रहने से यह पटरियां कोई काम की नहीं रही। तीस किलोमीटर में लगी उन पटरियों को उखाड़ लिया गया। पटरियों की खाली जगह पर लोगों ने कब्जा कर लिया। जहां चिकनी मिट्टी थी वहां की मिट्टी ईंट भट्टे वाले ले गए। अंतिम रेलवे स्टेशन सिंघाना का था वहां पर अब प्लॉटिंग तक हो चुकी है।