जयपुर : वीरांगनाएं बोलीं- रिश्तेदारों को नौकरी नहीं मिले:सीएम से मुलाकात के बाद कहा- धरना देने वालों की ये मांग वाहियात

जयपुर : पुलवामा शहीदों की तीन वीरांगनाओं को जबरन धरने से उठाने और सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ हुई पुलिस बदसलूकी के मुद्दे पर सियासी वार पलटवार का दौर शुरू हो गया है।

सीएम अशोक गहलोत ने शनिवार को सीएम हाउस पर शेखावाटी और मारवाड़ क्षेत्र से आई वीरांगनाओं से मुलाकात की। गहलोत ने वीरांगनाओं और उनके बच्चों से बातचीत की।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शनिवार को शेखावाटी और मारवाड़ इलाके से कई वीरांगनाएं मिलने पहुंचीं। सीएम से मिलने के बाद उन्होंने मीडिया से भी बातचीत की।

सीएम से मिलने वाली वीरांगनाओं ने शहीद की पत्नी और बच्चों के अलावा दूसरे रिश्तेदार को नौकरी नहीं देने की पैरवी की। शहीद हवलदार रमेश कुमार डागर की पत्नी कुसुम ने कहा- देवर को नौकरी देने की मांग गलत ही नहीं वाहियात है।

धरना देने वाली वीरांगनाओं की यह मांग नाजायज है। शहीद के बच्चों की जगह दूसरे पारिवारिक सदस्यों के लिए नौकरी की मांग के दुष्परिणाम दूसरी वीरांगनाओं को भी झेलने पड़ते हैं। अनुचित मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन से सभी वीरांगनाओं की छवि प्रभावित होती है।

वीरांगनाओं के आंदोलन पर उठाए सवाल
शहीद हवलदार श्याम सुंदर जाट की पत्नी कृष्णा जाट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से नौकरी पाने का अधिकार केवल शहीद के बच्चों को हैं।

वीरांगनाओं की ओर से देवर, जेठ या अन्य पारिवारिक सदस्यों को नौकरी दिलाने के लिए आंदोलन करना गलत है। इस मामले में राज्य सरकार का रुख संवेदनशील और सही है।

शहीद लांस नायक मदन सिंह की पत्नी प्रियंका कंवर और शहीद हवलदार होशियार सिंह की पत्नी नमिता रामावत ने भी वीरांगना और बच्चों के स्थान पर अन्य रिश्तेदारों को नौकरी दिलाने के लिए धरना-प्रदर्शन को गलत ठहराया।

गहलोत बोले- शहीद की पत्नी-बच्चों के अलावा नौकरी का नियमों में प्रावधान नहीं

गहलोत ने कहा कि शहीदों से जुड़े मामलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। वीरांगना या बच्चों के अलावा परिवार के किसी अन्य सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान नियमों में नहीं है। यह मांग सही नहीं है। इससे भविष्य में वीरांगनाओं को अनुचित पारिवारिक और सामाजिक दबाव झेलना पड़ सकता है।

शहीदों के आश्रितों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा

सीएम ने कहा कि राज्य सरकार के लिए शहीदों और वीरांगनाओं का सम्मान सर्वोच्च है। राज्य सरकार शहीदों के आश्रितों को नियमानुसार सरकारी नौकरी देती रही है। भविष्य में भी नियमों की पालना की जाएगी। शहीदों के आश्रितों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।

सीएम अशोक गहलोत ने वीरांगनाओं और उनके परिवार से मुलाकात की।
सीएम अशोक गहलोत ने वीरांगनाओं और उनके परिवार से मुलाकात की।

गहलोत ने कहा कि पहले के कार्यकाल में शहीदों के लिए कारगिल पैकेज लागू किया था। इस पैकेज के तहत वर्तमान में शहीदों के परिवार के लिए 25 लाख रुपए, 25 बीघा जमीन, हाउसिंग बोर्ड से मकान, और मकान नहीं लेने पर अतिरिक्त 25 लाख रुपए, वीरांगनाओं या उनके बच्चों के लिए नौकरी, गर्भवती वीरांगनाओं के बच्चों के लिए नौकरी सुरक्षित करने का प्रावधान है।

साथ ही शहीद के माता-पिता के लिए 5 लाख रुपए की एफडी. करवाने, शहीदों की प्रतिमा लगाने और किसी एक सार्वजनिक स्थल का शहीदों के नाम से नामकरण करने के प्रावधान भी किए गए थे।

किरोड़ी बोले- वीरांगनाओं से राजनीति करते सीएम को शर्म नहीं आई?

वीरांगनाओं से सीएम की मुलाकात पर सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने गहलोत पर निशाना साधा। किरोड़ी ने ट्वीट किया- वीरांगनाओं का अपमान करने वाले गहलोत आज वीरांगनाओं से मुलाकात कर रहे हैं।

आपके द्वार पर 10 दिनों तक आपसे मिलने की गुहार लगाने वाली भूखी-प्यासी वीरांगनाएं क्या आपको दिखाई नहीं दीं? वीरांगनाओं के साथ राजनीति करते हुए जरा भी लज्जा नहीं आती आपको?

किरोड़ी ने आगे लिखा- क्या मंजू जाट, सुंदरी गुर्जर, मधुबाला मीना वीरांगना नहीं हैं? मंजू जाट को आपने किडनैप कर रखा है। आप उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों कर रहे हो? गहलोत वीरांगनाओं के साथ फोटो तो खिंचवा लो पर मंजू जाट के सवालों का उत्तर भी तो दो।

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