जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं : डिजिटल क्रांति के इस दौर में इलेक्ट्राॅनिक्स के क्षेत्र में हर दिन कुछ न कुछ नया बाजार में आता रहता है और इसके साथ ही निकलने वाले ई-वेस्ट वातावरण को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं ऐसे में इन ई-वेस्ट मैनेजमेंट बहुत आवश्यक है। जिले में पहली बार ई-वेस्ट मैनेजमेंट के पूर्ण निस्तारण की पहल पिछले महीने झुंझुनूं एकेडमी ने निसा एवं लायंस क्लब झुंझुनूं के संयुक्त तत्वाधान में की थी और उसका आयोजन पिछले एक महीने से जिले के अंदर किया जा रहा था। जिसका मुख्य उद्देश्य इलेक्टाॅनिक्स के ई-वेस्ट कचरे के रूप में खराब हो चुके उपकरणों को एकत्रित कर किसी नई चीज का निर्माण करना है इसके अलावा ई-वेस्ट को अन्य किसी रूप में उपयोग करके पर्यावरण को नुकसान से भी बचाना है।
जानकारी देते हुए निसा के प्रांतीय प्रभारी एवं जीवेम चेयरमैन डाॅ. दिलीप मोदी ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत 13 जनवरी को की गई थी लगभग एक माह से अधिक चलने वाले इस अभियान में विद्यार्थियों के द्वारा जिले के विभिन्न क्षेत्रों के ई-वेस्ट को एकत्रित किया गया एवं लाए गए ई- वेस्ट को पूर्ण रूप से निस्तारित करने के लिए लायंस क्लब को सुपुर्द किया जाएगा जिसका संस्था के द्वारा पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए इस ई- वेस्ट का डिस्पोजल लायंस इंटरनेशनल के प्रोटोकॉल के अंतर्गत किया जाएगा।
प्रबंधन प्रक्रिया में डाॅ. मोदी ने बताया की ई- वेस्ट में विद्यार्थियों के द्वारा सीआरटी माॅनिटर, लैपटाॅप स्क्रीन, डीवीडी प्लेयर, पैन ड्राइव, अनेक प्रकार की केबल, वीडियो गेम के उपकरण, किचन के इलेक्ट्राॅनिक्स उपकरण, पुराने रेडियो एवं टेलीविजन के पार्ट्स, पुराने पंखे, स्विच बोर्ड का संकलन किया गया। ये सभी ऐसे उपकरण है जो पर्यावरण को दूषित कर रहे थे ऐसे में इन सभी ई- वेस्ट को उनके वर्ग के अनुसार अलग – अलग कर उचित प्रबंधन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भारत में हर दिन 15 हजार टन प्लास्टिक निकलता है। ऐसे में अगर हमने ई- कचरे का सही प्रबंधन नहीं किया तो इसके लिए भविष्य में हमारे बच्चों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। ऐसे में हमारा कर्तव्य बन जाता है कि हम कम से कम ई- वेस्ट करें और यदि जरूरी है तो उसके सही निस्तारण में सहयोग करें।
साथ ही डाॅ. मोदी ने बताया कि कचरे को उठाने वाले छोटे बच्चे ई-वेस्ट के कीमती धातु प्राप्त करने लिए इन वेस्ट को जलाते है जिनसे हानिकारक गैसें निकलती हैं ये गैसें न केवल बच्चों को नुकसान पहुँचाती है बल्कि पर्यावरण के लिए भी घातक सिद्ध होती हैं।
लायंस क्लब के संयोजक डाॅ. देवकीनंदन तुलस्यान ने बताया कि विश्व तेजी से डिजिटल बनता जा रहा है जिसके चलते हमारे घरों में मोबाइल फोन, टेलीविजन, कम्प्यूटर, वाशिंग मशीन, कैमरा, कूलर, एयर कंडीशन, हीटर, चार्जर आदि कई ऐसे उपकरण डम्प हो जाते हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं होता। विकसित होती तकनीक में ये भविष्य में भी कोई उपयोग के नहीं रहते। ऐसे में इन्हें बाहर फेंक दिया जाए तो ये पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं। जिसके कारण मानव जीवन पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है और यह कई रोगों को बढ़ावा देता है।
लायंस क्लब झुंझुनूं के अध्यक्ष अमरनाथ जांगिड़ ने बताया कि इलेक्ट्रोनिक सामानों के अलावा क्रोमियम, लैड, कैडमियम, आर्सेनिक और मरकरी जैसे खतरनाक पदार्थों का भी इनमें उपयोग होता है। जब हम इन ई- वेस्ट को खुले में फैंक देते हैं तो यह मिट्टी, हवा और भूमिगत जल में मिलकर विष का काम करते हैं। कैडमियम का धुआं मनुष्य के फेफड़े और किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा कंप्यूटर में उपयोगी फास्फोरस और मर्करी भी पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं। इस ई-वेस्ट के डिस्पाॅजल के लिए प्रदेश में पांच सेंटर बनाए गए हैं, जहां ई- वेस्ट संग्रहित किया जाना है। इनमें उदयपुर, अजमेर, कोटा, जयपुर और भीलवाड़ा शामिल हैं। स्कूल के संग्रहित ई- वेस्ट एक जगह लाए जाने के बाद इसे जयपुर भेजा जाएगा जिसे बाद में हिन्दुस्तान ई वेस्ट रिसाइकल कंपनी को भेजा जाएगा। यह कंपनी इसका रिसाइकल करेगी। स्कूल प्राचार्य डाॅ. रवि शंकर शर्मा ने बताया कि महीने भर से ज्यादा चल रहे ई-वेस्ट मैनेजमेंट ड्राइव का विधिवत समापन समारोह झुंझुनूं एकेडमी विज्डम सिटी स्थित नवरंग कला मंडपम में सोमवार दोपहर 2ः00 बजे आयोजित किया जाएगा।