अजमेर : ख्वाजा साहब के उर्स में शामिल होने आए जायरीनों की हुई वतन वापसी, दोनों देशों के बीच अमन की मांगी दुआ

अजमेर : ख्वाजा साहब के 811वें उर्स में शामिल होने आए 240 पाक जायरीन का जत्था दोनों देशों के बीच अमन-चैन की दुआ मांगते हुए बुधवार को अजमेर-अमृतसर एक्सप्रेस ट्रेन से रवाना हो गया। जायरीन ने कहा कि दरगाह में चादर पेश करने के दौरान उन्होंने ख्वाजा साहब से यही दुआ की है कि पाकिस्तान और भारत में अमन चैन शांति भाईचारा बना रहे और दोनों मुल्क भाई-भाई बनके रहे। पुरानी मंडी स्थित सेंट्रल गर्ल्स स्कूल से रोडवेज बसों में 240 पाकिस्तानी जायरीन को रेलवे स्टेशन लाया गया। स्टेशन पर इसके लिए विशेष बंदोबस्त किए गए। पाक जायरीनों के लिए ट्रेन के आखिर में अलग से 4 कोच लगाए गए थे। जीआरपी और स्थानीय पुलिस सभी के द्वारा कोच में जायरीनों को बैठाने से पहले उसकी जांच की गई। हथियारबंद जवान और पुलिसकर्मी तैनात रहे।

दो साल बाद भारत आए थे
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के 811 वें उर्स में शामिल होने के लिए 25 जनवरी को 240 जायरीन का जत्था पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी ताहिर हुसैन की अगुवाई में अजमेर आया था। दो साल बाद 240 पाक जायरीन ख्वाजा साहब के उर्स में 25 जनवरी को अजमेर पहुंचे थे। कड़ी सुरक्षा के बीच रोडवेज बसों में सभी को नया बाजार स्थित सेंट्रल गर्ल्स स्कूल में रुकवाया गया था। प्रशासन की तरफ से स्कूल में ही खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था की गई थी। एक सप्ताह तक गरीब नवाज के शहर में रहे कई जायरीन वापसी के समय भावुक नजर आए। पाक जायरीन ने स्टेशन पर हाथ उठाकर वापस अजमेर आने की दुआ की।

दोनों मुल्क भाई-भाई बनके रहें

पाक जायरीन डॉक्टर शाहिद जावेद ने बताया कि सभी का सफर काफी अच्छा रहा। भारत सरकार के द्वारा बेहतरीन व्यवस्था की गई और उनका अच्छा ख्याल रखा गया। हमारे द्वारा भी कोशिश की गई कि प्रशासन को किसी तरह की हमारी वजह से समस्या ना हो। दरगाह यात्रा भी बेहतरीन करवाई गई। सर्दी को देखते हुए गर्म पानी की भी व्यवस्था प्रशासन की ओर से करवाई गई। जायरीन ने कहा कि दरगाह में चादर पेश करने के दौरान उन्होंने ख्वाजा साहब से यही दुआ की है कि पाकिस्तान और भारत में अमन चैन शांति भाईचारा बना रहे और दोनों मुल्क भाई-भाई बनके रहे।

रेलवे स्टेशन पर पुलिस के रहे कड़े बंदोबस्त, सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा चेकिंग के बाद ही स्टेशन पर दी गई एंट्री।
रेलवे स्टेशन पर पुलिस के रहे कड़े बंदोबस्त, सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा चेकिंग के बाद ही स्टेशन पर दी गई एंट्री।

 

स्टेशन पर रहे सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त

पाकिस्तानी जायरीनों बुधवार को अमृतसर ट्रेन के जरिए पाकिस्तान की ओर रवाना हुए। इस दौरान अजमेर रेलवे स्टेशन पर जिला पुलिस, जीआरपी, आरपीएफ सहित सुरक्षा एजेंसी अलर्ट मोड पर रही। जायरीनों की चेकिंग के बाद ही उन्हें स्टेशन पर प्रवेश दिया गया। सेटिंग के बाद उन्हें ट्रेन में बैठाया गया।

पाक जायरीनों के द्वारा अजमेर यात्रा के दौरान की गई है खरीदारी, सामान लेकर के लौटे अपने मुल्क की ओर।
पाक जायरीनों के द्वारा अजमेर यात्रा के दौरान की गई है खरीदारी, सामान लेकर के लौटे अपने मुल्क की ओर।

 

परिवार के लिए की गई खरीदारी

पाकिस्तान लौटे जायरीनों ने अपने परिवार और जरूरत के सामान की खरीदारी की है। किसी ने अपने घर के लिए हेलमेट लिए तो किसी ने कूकर लिया है। स्टेशन पर पाक जायरीन से जीआरपी के अधिकारी ने हेलमेट की खरीद के संबंध में पूछा तो उनका कहना रहा कि जब हमारे यहां टमाटर 250 रुपये किलो के हिसाब से बिक सकता है तो बाकी उत्पाद की कीमत का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार की जरूरतों और पसन्द के अनुसार यहां से कुछ तोहफा ले जाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने यहां से जितनी उन्हें इजाजत दी गई उन्हें बाजारों में घूम अपने परिवार के लिए अलग-अलग चीजें खरीदी है।

पाकिस्तान सरकार की दरगाह में चढ़ाई थी चादर

पाक जायरीनों के द्वारा 30 जनवरी को ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें उर्स में पाकिस्तान सरकार वो खुद की तरफ से दरगाह में चादर चढ़ाई थी। नया बाजार स्थित सेंट्रल गर्ल्स स्कूल से कड़ी सुरक्षा के बीच जुलूस के रूप में दरगाह पहुंचे थे। दरगाह कमेटी की ओर से चादर चढ़ाने के बाद सभी की दस्तारबंदी कर तबरुक भेंट किया गया था।

भारत-पाकिस्तान के जुलूस में लहराए झंडे

दरगाह में चादर पेश करने के दौरान जुलूस में पाकिस्तानी डेलिगेशन के द्वारा भारत-पाकिस्तान के झंडे लहराए गए। डेलिगेशन जब दरगाह में पहुंचा और अधिकारियों ने जायरीनों के हाथ में झंडे देखें तो उनसे ले लिए गए।

25 जनवरी को पहुंचे थे अजमेर

2 साल बाद 240 पाक जायरीन ख्वाजा साहब के उर्स में 25 जनवरी को अजमेर पहुंचे थे। कड़ी सुरक्षा के बीच रोडवेज बसों में सभी को नया बाजार स्थित सेंट्रल गर्ल्स स्कूल में रुकवाया गया था। प्रशासन की तरफ से स्कूल में ही खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था की गई थी।

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