जयपुर : 28 जनवरी को राजस्थान शिक्षक प्रशिक्षण विद्यापीठ में दीक्षान्त समारोह व ऋतुराज महोत्सव का आयोजन खादी ग्रामोद्योग बोर्ड राजस्थान के अध्यक्ष बृजकिशोर शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। समारोह में राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने दीक्षांत शब्द की विशद व्याख्या करते हुए दस इन्द्रियों का दमन, दस प्रकार के दान और दया को परिभाषित करते हुए निरन्तर अध्ययनशील और शिक्षा के क्षेत्र में सेवा भाव होना आवश्यक बताया।राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर ने 10 इन्द्रियों के दमन, दान और दया को स्पष्ट करते हुए कहा कि व्यक्ति स्वयं तीनों गुणों से परिपूर्ण हो और स्वयं की परिपूर्णता के बाद समाज को नवचेतना देने के लिए अग्रसर हो।राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. बनवारी लाल गौड ने ऋतुराज (वसंत) को प्रकृति और प्राणीमात्र के लिए उमंग और उत्साह का समय बतलाते हुए इसे शीत और ग्रीष्म ऋतु का सन्धिकाल बताया और स्वास्थ्य की दृष्टि से वसंत ऋतु को मानव जाति का स्वास्थ्य के प्रति सचेष्ट रखने हेतु विशिष्ट ऋतु की संज्ञा दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बृजकिशोर शर्मा ने शिक्षा के साथ-साथ संस्कृत को रोजगारोन्मुखी बनाने पर बल दिया।राजस्थान विश्वविद्यालय शिक्षा विभाग की डीन प्रो. प्रमिला दुबे ने शिक्षक प्रशिक्षण को गंभीरता से ग्रहण करने और अपने शान से बाल और युवा पीढ़ी को दीक्षित करने पर बल दिया। समारोह में विद्यापीठ के पुरातन छात्रों को राजस्थान विश्वविद्यालय की बी.एड. एवं शिक्षाशास्त्री की उपाधियों प्रदान की गई इसके साथ ही महाविद्यालय में सप्तदिवसीय शैक्षणिक एवं शिक्षणेतर गतिविधियों में विजेता और उपविजेता रहे प्रतिभागियों को मैडल्स और प्रमाण पत्र वितरित किये गए।
प्रदेश के शिक्षा एवं संस्कृत से जुड़े हुए अनेक शिक्षाविदों संस्कृत मनीषियों विद्यापीठ एल्यूमिनाई सदस्यों सहित मंचस्थ अतिथियों का शब्द सुमनाजली से विद्यापीठ सचिव डॉ. राजकुमार जोशी द्वारा स्वागत किया गया। संस्था प्राचार्य डॉ. मनीषा शर्मा ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए, आगन्तुक अतिथियों और विद्यापीठ के शिक्षकों और शिक्षार्थियों का कार्यक्रम सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया।
(डॉ. मनीषा शर्मा)
प्राचार्य