अजमेर : दवा कारोबारी से दो करोड़ की रिश्वत मांगने के मामले फंसी राजस्थान एसओजी की निलंबित एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एसीबी की विशेष न्यायालय ने जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद प्रर्थनापत्र को खारिज कर दिया। इस मामले में दोनों पक्षों का तर्क सुनने के बाद एसीबी के विशिष्ठ न्यायाधीश संदीप कुमार शर्मा ने याचिका खारिज कर दी। अब दिव्या मित्तल को कुछ दिन और सलाखों के पीछे रहना होगा। बता दें कि दिव्या को अजमेर जेल में भेजा गया था। 21 जनवरी को कोर्ट ने तीन फरवरी तक न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश दिए थे।
दिव्या मित्तल के एडवोकेट प्रीत सिंह सोनी ने बताया कि उन्होंने न्यायालय के समक्ष जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि एसीबी की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि दिव्या को बेवजह फंसाया जा रहा है। जिन फाइलों की जांच एएसपी दिव्या मित्तल कर रही थी, उनसे हटाने के लिए ही एसीबी को टूल की तरह काम में लिया गया है। सोनी ने धारा 41 ए के संबंध में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग भी न्यायालय के समक्ष पेश करने की बात कही। वहीं, एसीबी की तरफ से वकील ने रिश्वत के मामले को गंभीर बताते हुए आरोपी दिव्या मित्तल के जमानत पर बाहर आने पर गवाहों और परिवादी को डराने धमकाकर केस प्रभावित करने की दलील पेश की। एसीबी के विशिष्ठ न्यायाधीश संदीप कुमार शर्मा ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
ये है मामला
गौरतलब है कि नशीली दवाओं के मामले में दवा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में एसीबी ने एसओजी एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल को गिरफ्तार किया था। वहीं, एक बर्खास्त कांस्टेबल सुमित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रखा है। एसीबी ने अजमेर ,उदयपुर, झुंझुनू, जयपुर में भी सर्च चलाया और एएसपी दिव्या के ठिकानों पर छापेमारी की थी।