जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं : पंचदेव मंदिर के सामने स्थित मोदी हाउस पर श्रीमती बिमला देवी रिद्धकरण मोदी परिवार द्वारा श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पीठ से कथावाचक श्री हरिशरण महाराज ने अपनी सुमधुर चिर परिचित शैली में कथा का रसपान श्रोता भक्तों को करवाते हुए सष्टम दिवस गुरुवार को श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह दिखाया भी था कि श्रीराधा और वह दो नहीं बल्कि एक हैं। लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं। देवी रुक्मणी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है। इसी कहानी से प्रेम की नई परंपरा की शुरुआत भी हुई। देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मिणी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया। बाद में रुक्मणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ। कथा में महाराज श्री ने महारास लिला सुनाते हुए कहा कि बांसुरी की धुन पर गोपियों को अपने पास बुला भगवान श्रीकृष्ण द्वारा प्रत्येक को अपनत्व का अहसास कराने वाली लीला महारास है। महारास कान्हा के जीवन का वो अभिन्न हिस्सा है, जिसके बिना राधाकृष्ण के प्रेम की कल्पना अधूरी ही रह जाएगी। प्रभु ने गोपियों के साथ छह महीने की रात्रि का निर्माण कर महारास रचाया। महारास प्रेम का उच्चतम और पवित्र शिखर है, बाकी सभी लीलाओं को रास का नाम दिया जाता है, जबकि सिर्फ इसी लीला को महारास की पदवी प्राप्त है।
कथा के मध्य महाराज श्री के कर्णप्रिय भजनों पर श्रोता भक्त मंत्र मुग्ध हुए बिना नही रह सके। इस अवसर पर रुक्मणी विवाह की जीवंत झांकी सजाई गई।
इस अवसर पर इस अवसर पर आयोजक मोदी परिवार से बिमला देवी रिद्धकरण मोदी, प्रमोद एवं प्रदीप मोदी, अनिल मोदी, सुरेश मोदी, आनंद मोदी, अमन मोदी, नरेंद्र मोदी, अशोक मोदी सहित अन्य परिवार जन, श्रीकांत पंसारी, नितिन नारनौली, रुपेश तुलस्यान, शशिकांत पंसारी, कुंदन सिगंडोदिया, रधुनाथ पौद्वार, परमेश्वर हलवाई, अशोक केडिया, प्रदीप पाटोदिया, कैलाशचन्द्र सिंघानिया, डॉ.डी.एन.तुलस्यान, ताराचंद भौडकीवाला, महेश मोदी, अनिल खंडेलिया, संजय नांगलिया, सुरेंद्र अग्रवाल, अशोक गोटेवाला, कालुराम तुलस्यान, आशिष श्रीमोहन तुलस्यान, महेंद्र तुलस्यान, श्रवण केजडीवाल, विनोद सिंघानिया, निर्मल मोदी, दिनेश ढंढारिया सहित बडी संख्या मे अन्यजन उपस्थित थे।
कथा के मध्य जीवन्त झांकी प्रत्येक दिवस वृंदावन से पधारे मूलचंद शर्मा द्वारा सुसज्जित कर सजाई जाती है। मूलचंद शर्मा ने बताया कि वे यह कार्य वर्षों से कुशलतापूर्वक करते आ रहे हैं साज सज्जा ड्रेस एवं मेकअप का सामान सब अपने साथ वृंदावन से लाते हैं तथा प्रत्येक दिवस सजाई जाने वाली झांकी के पात्र आयोजक परिवार के सदस्यों को बनाकर उन्हें सुसज्जित करते हैं।