झुंझुनूं-सूरजगढ़ : पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि मनाई:देश की प्रथम महिला जासूस सरस्वती राजामणि को जयंती पर किया याद

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल

झुंझुनूं-सूरजगढ़ : चोटिया कॉम्प्लेक्स सूरजगढ़ में शिक्षाविद् मोतीलाल डिग्रवाल की अध्यक्षता में सादगी के प्रतीक महान स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि मनाई। सर्वप्रथम लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वक्ताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में शास्त्री जी योगदान और प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उनकी उपलब्धियों को याद किया। इस मौके पर देश की प्रथम महिला जासूस और आजाद हिंद फौज की लेफ्टिनेंट नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सहयोगी सरस्वती राजामणि की जयंती पर उनको याद किया।वीर तेजाजी विकास संस्थान सूरजगढ़ के अध्यक्ष जगदेव सिंह खरड़िया ने कार्यक्रम का संचालन किया और अंत में सभी का आभार व्यक्त किया।

आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा- जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले महान नेता लाल बहादुर शास्त्री किसानों को जहां देश का अन्नदाता मानते थे, वहीं देश के जवानों के प्रति भी उनके मन में अगाध प्रेम था। वे एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता, महान स्वतंत्रता सेनानी और जवाहरलाल नेहरू के बाद देश के प्रधानमंत्री बने थे। भले ही इस महान् व्यक्ति का कद छोटा था लेकिन भारतीय इतिहास में उसका कद बहुत ऊंचा था। जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद शास्त्री जी ने 9 जून, 1964 को प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया। उनका कार्यकाल राजनीतिक सरगर्मियों से भरा और तेज गतिविधियों का काल था।

पाकिस्तान और चीन भारतीय सीमाओं पर नज़रें गड़ाए खड़े थे तो वहीं देश के सामने कई आर्थिक समस्याएं भी थीं। लेकिन शास्त्री जी ने हर समस्या को बेहद सरल तरीक़े से हल किया। किसानों को अन्नदाता मानने वाले और देश की सीमा प्रहरियों के प्रति उनके अपार प्रेम ने हर समस्या का हल निकाल दिया “जय जवान, जय किसान” के उद्घोष के साथ उन्होंने देश को आगे बढ़ाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मोतीलाल डिग्रवाल ने कहा- लाल बहादुर शास्त्री अपनी सादगी के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने देश में ‘भोजन की कमी’ के बीच सैनिकों और किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए ‘जय जवान’ ‘जय किसान’ का नारा दिया। उस समय उन्होंने अपना वेतन तक लेना बंद कर दिया था। ऐसे महान देशभक्त नेता को हम नमन करते हैं।

इस मौके पर मानसिंह कुलहरी, स्योराम ठेकेदार, राजेंद्र फौजी, टेकचंद स्वामी, ओमप्रकाश सेवदा, धर्मपाल गांधी, जगदेव सिंह खरड़िया, रोहतास मैच्यू, श्रीराम ठोलिया, डॉ. सीताराम जांगिड़, बनवारी भांभू, करण सिंह दीवाच आदि अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

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