आर्टिकल : हल्द्वानी प्रकरण से आपने क्या सीखा? सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी, शुक्राने की दो रकाअत नमाज़ पढ़ लेंगे, देवता पूज लेंगे, प्रसाद बांट देंगे, फातिहा लगा देंगे… बस?? इससे आगे क्या सोचा?

आर्टिकल :  देखिए, बुलडोजर राज है। इस देश में बुलडोज़र के विध्वंस पर तालियां बजाने वाला एक वर्ग जन्म ले चुका है। ऐसे में हमें चाहिए कि प्रॉपर्टी खरीदते वक्त जमीन के अलावा जमीन के कागज़ों की भी अच्छे से जांच करें। जिस जमीन पर आप घर बनाने जा रहे हैं यदि वो सरकारी भूमि है, कब्रिस्तान की जमीन है, श्मशान भूमि है, गौचर भूमि है, वक़्फ़ जायदाद है तो अपने इरादे से पीछे हट जाइए, यदि नहीं हटे तो एकदिन कोई बुलडोजर आकर आपको खदेड़ डालेगा ये तय है।

आप यदि कब्जा करने की गलती कर चुके हैं तो धीरे धीरे अपनी गलती को सुधारने का प्रयास कीजिए। इसका सबसे अच्छा तरीका है सरकार से शिफ्टिंग की मांग कीजिए। सरकार से मांग कीजिए कि “हम आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग हैं, भूमाफियाओं ने ये जमीन हमें बेची, हम जमीन की हक़ीक़त से वाकिफ नहीं थे, हम सस्ता समझकर यहाँ बस गए, कृपया कर हमारे लिए पुनर्वास की योजना लाएं। ताकि स्वेच्छा से जगह खाली करने में हमे आसानी हो” .. ये अर्ज़ी आपके तब और अधिक काम आएगी जब कोई पार्टी आपको हटवाने के लिए कोर्ट जाएगी, तब आप वहाँ अपना पक्ष रख सकते हैं कि हमने तो पहले से पुनर्वास की मांग कर रखी है। ऐसे में सरकार और न्यायालय का एक मोरल सपोर्ट स्वतः ही आपके साथ हो पड़ेगा।

अच्छा एक बात और… जमीन आपने कागज़ों के हिसाब से बिल्कुल साफ सुथरी खरीद ली है। तो उसपर जो भी इमारत बनाए तो नियमों के अनुसार बकायदा नक्शा पास करवाकर बनवाएं। कल को आपके परिवार में किसी ने क्राइम कर लिया तो प्रशासन आपके घर पर बुलडोजर नहीं चला सकता। बुलडोजर चलाने वाली विध्वंसकारी मानसिकता सिर्फ एक लूज पॉइंट देखती है। उस एक लूज पॉइंट के आधार पर कई मकान गिरा दिये गए हैं। कुल मिलाकर हमें कोई मौका नहीं देना है। और भी नसीहतें हैं.. जैसे अधिक घनत्व वाली बस्तियों से बाहर निकल जाइए, रातों को देर से सोना और सवेरे देर से उठने की आदत से बाज़ आ जाइए.. आपकी तरक्की में सबसे बड़ी बाधक यही आदत है। ग़ौरतलब है कि रात को देर तक जगने वाले लोग नशा सीखते हैं, नशा ज़िन्दगी बर्बाद करता है ये लिखकर रख लीजिए।

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